रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है, जो पेड़ हमने लगाया पहले...
राम को देख कर के जनक नंदिनी, बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी। यज्ञ रक्षा में जा कर के मुनिवर के संग...
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की। जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
मैया ओढ़ चुनरिया लाल, के बैठी कर सोलह श्रृंगार, बड़ी प्यारी लागे, बड़ी सोणी लागे, बड़ी प्यारी लागे, बड़ी सोणी लागे ॥
सुन मेरी मात मेरी बात, छानी कोणी तेरे से, आँखड़ली चुराके मैया, जासी कठे मेरे से ॥
माँ तू है अनमोल, जो जाने मेरे बोल, माँ तेरा ना कोई मोल, तू तो प्रेम की मूरत है, माँ तू प्रेम की मूरत है ॥
साँची ज्योतो वाली माता, तेरी जय जय कार। तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये, मैं आया मैं आया शेरा वालिये।