Shri Ram Bhajan

गोकुलनाथजी (Gokulnathji)


गोकुलनाथजी
Add To Favorites Change Font Size
भक्तमाल | श्री गोकुलनाथजी
वास्तविक नाम - श्रीवल्लभ
अन्य नाम - श्रीजी
गुरु - श्री गुसांईजी
आराध्या - श्री कृष्ण
जन्म - विक्रम संवत 1608 में मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी
जन्म स्थान - 11
वैवाहिक स्थिति - विवाहित
पत्नी - श्री पार्वती बहूजी
संतान - पुत्र: श्री गोपालजी, श्री विट्ठलरायजी एवं श्री व्रजरत्नजी, एवं तीन पुत्रियाँ थीं
गोलोक गमन - विक्रम संवत 1697 में माघ कृष्ण नवमी
प्रकटे श्रीगोकुलनाथजी श्रीविट्ठलनाथके धाम बधाई ।
उग्र कियो यश या भूतल पर, माला तिलक दृढ़ाई ॥
श्री गुसांईजी के चतुर्थ पुत्र श्री गोकुलनाथजी का प्राकट्य विक्रम संवत 1608 में मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी को इलाहबाद के अडेल में हुआ था। आपके प्राकट्य के समय श्री गुसांईजी के कृपापात्र कृष्णादासी ने कहा - "मेरो गोकुलनाथ आयो"। तब से आपका नाम श्री गोकुलनाथ पड़ा, परन्तु घर में सभी आपको श्रीवल्लभ के नाम से पुकारते थे एवं आपके भक्त आपको श्रीजी कहते थे। पुष्टिमार्ग में सभी आपको "माला-तिलक के रक्षणहार" के रूप में जानते हैं एवं भक्ति भाव से वंदन करते हैं।

आप मेघश्याम वर्ण के एवं मध्यम कद के थे। लम्बा मुख, विशाल ललाट एवं सुन्दर नैत्र थे। आपको विद्याभ्यास के साथ खेलकूद में भी अत्यधिक रूचि थी। सभी कलाओं में आप प्रवीण थे।
सोलह वर्ष की आयु में आपका विवाह श्री पार्वती बहूजी के साथ हुआ। आपको तीन पुत्र (श्री गोपालजी, श्री विट्ठलरायजी एवं श्री व्रजरत्नजी) एवं तीन पुत्रियाँ थीं।

श्री गुसांईजी ने आपको प्रभु श्री गोकुलनाथजी का स्वरुप सेवा हेतु प्रदान किया। गोकुल में जहाँ आप रहते थे वहीँ निकट आपने मंदिर बनवा कर श्री ठाकुरजी को पधराया एवं सेवा करते थे।

श्री गोकुलनाथजी का सभी परिवारजनों पर अत्यंत स्नेह था। श्री गिरधरजी लीलाप्रवेश के पश्चात आप ही परिवार के मुखिया थे अतः सभी आपको बहुत मान देते थे एवं आपकी सलाह के अनुसार कार्य करते थे।

विक्रम संवत 1672 में बादशाह जहाँगीर ने वश कर चिद्रुप नामक सन्यासी के माला-तिलक पहनने पर प्रतिबन्ध लगा दिया तब आपने इसका कड़ा विरोध कर माला-तिलक का रक्षण किया। 72 वर्ष की आयु में आप 49 दिन की विकट यात्रा कर बादशाह जहाँगीर को समझाने कश्मीर पधारे। आपने कहा था -

माला केम उतारिये जे आपी छे जगदीश,
ए कोण माला के उतराव माला बाँधी शीष ।
शीष जे बाँधी छे ते शीष साथे जाय,
पण हाथे करी माला उतारू एम केम करी थाय ॥
अर्थात - यह तुलसीजी की माला (कण्ठीजी) हम कैसे उतार दें, यह माला तो जगदीश (श्रीजी) ने दी है, और वो कौन है जो मालाजी को उतरवाये अब तो यह मालाजी शीष से बाँध ली है, अगर यह माला जायेगी तो यह मेरा मस्तक भी जाएगा, अरे ! इस मालाजी को कौन कैसे अपने हाथ से उतार सकता है?

अथक प्रयत्न करने के पश्चात भी जब जहाँगीर नहीं माना तब आपने गोकुल को छोड़ दिया परन्तु माला-तिलक को नही छोड़ा. आप तीन मास तक गोकुल छोड़कर सोरम गाँव में विराजे, वर्षों तक सतत संघर्ष कर माला-तिलक का रक्षण किया। बादशाह को अपनी भूल का आभास हुआ और जब उसने अपना आदेश वापिस लिया तब आप पुनः गोकुल पधारे।

आपकी तेरह बैठकें विराजित हैं। इनमें से आठ बैठकें व्रज में, दो गुजरात (अहमदाबाद एवं गोधरा) में, एक सोरमजी में, एक अडेल में एवं एक कश्मीर में स्थित हैं। विक्रम संवत 1697 में माघ कृष्ण नवमी के दिवस 89 वर्ष की आयु में आपने नित्यलीला में प्रवेश किया।

पुष्टिसम्प्रदाय के हितों के रक्षणकर्ता, श्री वल्लभ के सिद्धांतों को वार्ता आदि के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने वाले श्री गोकुलनाथजी का यह पुष्टिमार्ग सदा ऋणी रहेगा।
यह भी जानें

Bhakt Gokulnathji BhaktPushtimarg BhaktShrinath Ji Bhakt

अगर आपको यह भक्तमाल पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस भक्तमाल को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Bhakt ›

ज्ञानमती

ज्ञानमती माताजी एक भारतीय जैन धार्मिक आर्यिका (जैन धर्म में महिला संत) हैं।

भगिनी निवेदिता

सिस्टर निवेदिता, आयरिश मूल की हिंदू नन थीं जो स्वामी विवेकानन्द की शिष्या थीं।

अनुराधा पौडवाल

अनुराधा पौडवाल एक भारतीय पार्श्व गायिका हैं जो मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा में काम करती हैं। मीडिया में उन्हें अग्रणी भजन गायिका के रूप में वर्णित किया गया है।

गुरु जम्भेश्वर

गुरु जम्भेश्वर मध्यकालीन भारत के एक महान संत और दार्शनिक थे। उन्होंने हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और औपचारिकताओं के खिलाफ आवाज उठाई। एक संपन्न राजपूत परिवार में जन्मे।

चैतन्य महाप्रभु

चैतन्य महाप्रभु 15वीं शताब्दी के एक भारतीय संत थे, जिन्हें उनके शिष्यों और विभिन्न शास्त्रों द्वारा राधा और कृष्ण का संयुक्त अवतार माना जाता है।

कृष्ण दास

कृष्णा दास एक भक्ति गायक हैं जो भारतीय मंत्रों को कीर्तन तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

हनुमान प्रसाद पोद्दार

हनुमान प्रसाद पोद्दार एक हिंदी लेखक, पत्रकार और समाज सुधारक थे। उन्हें हिंदू संतों की जीवनियों के संग्रह भक्तमाल पर उनके काम के लिए जाना जाता है।

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP