गणेश चतुर्थी - Ganesha Chaturthi

रमेश बाबा (Ramesh Baba)


रमेश बाबा
भक्तमाल: रमेश बाबा
अन्य नाम - रमेश पुरी महाराज, श्री रामेश्वर प्रसाद शुक्ला
आराध्य - श्रीकृष्ण
जन्म - पौष मास कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 1938
जन्म स्थान - प्रयाग, उत्तर प्रदेश
वैवाहिक स्थिति - अविवाहित
भाषा - अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत
माता - श्रीमती हेमेश्वरी देवी
पिता - श्री बल्देव प्रसाद शुक्ल
प्रसिद्ध - भारतीय आध्यात्मिक गुरु, भक्ति गायक, सामाजिक कार्यकर्ता
पुरस्कार - पद्मश्री
तीर्थराज प्रयाग में जन्मे बाबा रमेश पुरी महाराज ब्रज के पर्यावरणविद और संत हैं। बाबा ने ब्रज के पौराणिक स्वरूप को बचाने के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। इन्हें आम तौर पर ब्रज रसिकों द्वारा ब्रज के विरक्त संत की उपाधि दी गयी है। उन्हें पर्यावरण का संत भी कहा जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि उन्होंने ब्रज के वन उपवनों और कृष्ण लीला से जुड़ी प्राचीन पहाड़ियों के लिए कई दशकों तक जन आंदोलन चलाया था।

बाबा ने प्रयाग में ही शिक्षा प्राप्त की। उनके भीतर का आध्यात्मिक प्रकाश उन्हें सदैव अपना घर-बार छोड़कर ब्रज आने के लिए प्रेरित करता था। करीब 40 साल पहले रमेश बाबा राधारानी मंदिर में मृदनाग बजाते थे। राधा नाम के प्रचार-प्रसार में रमेश बाबा का भी बहुत योगदान रहा।

संत रमेश बाबा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान गौ सेवा के लिए दिया गया है। बरसाना के गहवरवन स्थित गौशाला माताजी में 50 हजार से ज्यादा गायें मौजूद हैं। रमेश बाबा ने गायों और अन्य जानवरों के लिए एक अस्पताल बनाया है। रमेश बाबा के नेतृत्व में हर वर्ष राधारानी ब्रज यात्रा का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं और ब्रज की परिक्रमा करते हैं।

Ramesh Baba in English

Baba Ramesh Puri Maharaj, born in Tirtharaj Prayag, is an environmentalist and saint of Braj.
यह भी जानें

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स्वामी मुकुंदानंद

स्वामी मुकुंदानंद एक आध्यात्मिक नेता, सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखक, वैदिक विद्वान और मन प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं। वह डलास, टेक्सास स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन जेकेयोग (जगदगुरु कृपालुजी योग) के रूप में भी जाना जाता है।

शबरी

हिंदू महाकाव्य रामायण में सबरी एक बुजुर्ग महिला तपस्वी हैं। उनकी भक्ति के कारण उन्हें भगवान राम के दर्शन का आशीर्वाद मिला। वह भील समुदाय की शाबर जाति से संबंधित थी इसी कारण से बाद में उसका नाम शबरी रखा गया।

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स्वामी प्रभुपाद एक भारतीय गौड़ीय वैष्णव गुरु थे जिन्होंने इस्कॉन की स्थापना की, जिसे आमतौर पर "हरे कृष्ण आंदोलन" के रूप में जाना जाता है। इस्कॉन के सदस्य भक्तिवेदांत स्वामी को चैतन्य महाप्रभु के प्रतिनिधि और दूत के रूप में देखते हैं।

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संत ज्ञानेश्वर महाराज (1275-1296), जिन्हें ज्ञानेश्वर या ज्ञानदेव के नाम से भी जाना जाता है, 13वीं शताब्दी के एक महान मराठी संत, योगी, कवि और महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के दार्शनिक थे।

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गोपाल कृष्ण गोस्वामी इस्कॉन द्वारका के एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु थे।

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गौरांग दास आईआईटी बॉम्बे से बी.टेक स्नातक हैं और इस्कॉन संगठन में राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं।

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लोकनाथ स्वामी, श्रील प्रभुपाद के सबसे समर्पित शिष्यों में से एक थे। परम पूज्य लोकनाथ स्वामी को वैदिक शास्त्रों का गहन ज्ञान है।

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