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14 विद्या और 16 कला का क्या अर्थ है?

कला का अर्थ है संस्कृत में प्रदर्शन कला। चौसठ कला या चतुर्दशी कला के रूप में जानी जाने वाली 64 पारंपरिक कलाओं में से कई की महारत ने प्राचीन भारत के कई हिस्सों में एक सुसंस्कृत व्यक्ति के विकास में एक महत्वपूर्ण आधार बनाया।

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आम के पत्तों का तोरण बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

तोरण को बंदनवार भी कहा जाता है। मां लक्ष्मी के स्वागत व उन्हें प्रसन्न करने के लिए दरवाजे पर इसे लगाना शुभ माना जाता है। तोरण लगाने से घर की नाकारात्मक ऊर्जा दरवाजे से ही वापिस चली जाती है। तोरण कई तरह से बनाए जाते हैं। आम के पत्तों,धान की बालियों और गेंदे को फूलो से बना तोरण का अलग-अलग महत्व है।

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सेंगोल क्या है? क्या है इसके पीछे की कहानी?

भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होने जा रहा है। इसी के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि नया संसद भवन भारत के इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का एक प्रयास है। इस दौरान एक ऐतिहासिक परंपरा को पुनर्जीवित किया जा रहा है यानी नए संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया जाएगा।

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मंदिर के शिखर दर्शन का महत्व

मंदिर में दर्शन के कई नियम हैं और उनका पालन करना जरूरी है। साथ ही यह भी माना जाता है कि यदि आप किसी कारण से मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते हैं, तो आपको बाहर से इसके शिखर के दर्शन अवश्य करने चाहिए।

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ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों है?

ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ब्रह्ममुहूर्त समय अत्यधिक महत्वपूर्ण समय होता है, यह शरीर को व्यस्त दिन के साथ बनाए रखने के लिए एक अच्छी ऊर्जा को बढ़ावा देता है।

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साध्वी का क्या अर्थ है?

साध्वी एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है "गुणी महिला" और उन महिलाओं को संदर्भित करता है जिन्होंने अपनी संसार का मोह को त्याग दिया है और आध्यात्मिक जीवन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समाज से अलग रहना चुना है। उनका जीवन भगवान के प्रति समर्पण और समाज के लिए सेवा का एक उल्लेखनीय संयोजन है। साध्वी मानते ​​है कि “मानवता की सेवा भगवान की सेवा है” और अपने जीवन भगवान के प्रति समर्पण करलेते हैं।

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भारत के बाहर सबसे ऊंची भगवान हनुमान की मूर्ति

कारापीचैमा गांव के ऊपर भगवान हनुमान की शानदार 85 फुट ऊंची मूर्ति है, जो भारत के बाहर सबसे बड़ी हनुमान मूर्ति है। कारापीचैमा, त्रिनिदाद और टोबैगो में स्थित है।

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हनुमान जी का रहस्य: हनुमानजी के चरणों के नीचे कौन रहता है?

हनुमान जी से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं जो आज भी पहेली बने हुए हैं। इन्हीं रहस्यों में से एक है उनके चरणों के नीचे कौन निवास करता है। हिन्दू धर्म में हनुमान जी को परम भक्त और परम देव माना जाता है।

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YouTube पर 3 बिलियन बार देखा गया - हनुमान चालीसा

म्यूजिक लेबल टी-सीरीज़ 'हनुमान चालीसा' यूट्यूब पर तीन बिलियन व्यूज पार करने वाला भारत का पहला वीडियो बन गया है। भक्ति गीत का लोकप्रिय गायन अनुभवी गायक हरिहरन द्वारा गाया गया है और वीडियो में टी-सीरीज़ के संस्थापक गुलशन कुमार हैं।

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अमेरिका के सबसे ऊंची हनुमान मूर्ति

अमेरिका, डेलावेयर हॉकेसिन के महालक्ष्मी मंदिर में 25 फीट की सबसे ऊंची हनुमान मूर्ति स्थापित गयी है, जो की तेलंगाना के वारंगल से लाया गया है। यह देश में एक हिंदू भगवान की सबसे ऊंची मूर्ति है और इसे काले ग्रेनाइट के एक ही पत्थर से उकेरा गया है। इस 30,000 किलो वजन हनुमान प्रतिमा को पूरा होने में एक साल से अधिक का समय लगा है।

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अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के दाता का क्या अर्थ है?

भगवान श्री राम के प्रिय भक्त प्रभु हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता के रूप में जाना जाता है। हनुमान चालीसा की एक चौपाई भी है “अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता”। अर्थात हनुमान जी की भक्ति से व्यक्ति के जीवन में आठ प्रकार की सिद्धियाँ और नौ प्रकार की निधियाँ प्राप्त होती हैं।

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हनुमान जी के जन्म के पीछे की पौराणिक कथा पढ़ें

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अंजनेरी पर्वत पर भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। उनके पिता केसरी बृहस्पति के पुत्र थे और सुमेरु के राजा थे। उनकी माँ अंजना एक अप्सरा थी जो पृथ्वी पर रहने के लिए अभिशप्त थी।

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भंडारे में क्यों नहीं खाना चाहिए खाना, जानिए वजह

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य या पूजा के बाद भंडारे का आयोजन किया जाता है। हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि सिख धर्म में भी भंडारे को लंगर के रूप में रखा जाता है, लेकिन माना जाता है कि भंडारे या लंगर में खाना नहीं खाना चाहिए। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।

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बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ

बुद्ध पूर्णिमा, बुद्ध जयंती या वेसाक बौद्धों का त्योहार है जो गौतम बुद्ध के जन्म का प्रतीक है। बुद्ध का अर्थ है आत्मज्ञान और मृत्यु। यह अप्रैल या मई में पूर्णिमा के दिन पड़ता है और भारत में यह राजपत्रित अवकाश होता है।

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