दिवाली  2025 - Diwali 2025

13 जुलाई गुरु पूर्णिमा पर डिजिटल बाबा (Digital Baba on Guru Purnima)

13 जुलाई गुरु पूर्णिमा पर डिजिटल बाबा
Add To Favorites Change Font Size
13 जुलाई गुरु पूर्णिमा पर मिलिये डिजिटल दौर के अनूठे आध्यात्मिक गुरु से जिनके कार्यशैली के कारण कहा जाता है डिजिटल बाबा।
विद्यार्थी जीवन में रंगमंच पर अभिनय करने वाला युवा फिल्मों में अभिनय करने की इच्छा पाले एक नौजवान अचानक जब घर सब लोग सोये थे तब चुपके से घर से निकल पड़ा खुद की तलाश में, बात 1 नवम्बर 2008 की हैं गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी.कॉम. तृतीय वर्ष की पढ़ाई करने के दौरान 19 वर्ष का युवा घर परिवार - संसारी जीवन से निकल कर आयोध्या धाम में स्थित लोमश ऋषि आश्रम के महंथ स्वामी शिवचरण दास महाराज द्वारा दीक्षा प्राप्त कर खुद की खोज में लग गया । उस युवा को आज हम डिजिटल बाबा के नाम से जानते हैं। डिजिटल बाबा स्वामी राम शंकर बताते है कि करीब 5 माह गुरु आश्रम में रहने के बाद हमने अनुभव किया कि हम आश्रम के जिम्मेदारियों में हम उलझते जा रहे है अतः एक दिन अपने गुरु महराज से हमने कहा कि मुझे सनातन शास्त्र का परम्परागत ढंग से अध्ययन करना है इस पर गुरु महराज ने कहा कि जप-तप सेवा-साधना करो, एक दिन तुम चमत्कार करने लगोगे फिर दुनिया भर के लोग तुम्हे नमस्कार करेंगे, हमने अपने गुरु से कहा मुझे शास्त्र का मर्म समझना है पढ़ाई करनी हैं, मेरी जिद को देखकर गुरु ने कहा कि तुम पढ़ना चाहते हो तो जाओ पढ़ो पर हमसे उम्मीद मत रखना कि तुम्हें पढ़ाई हेतु हम खर्च भेजते रहे, अपने गुरु के इस वचन को सुन कर हम बहुत आहत हुये आज भी सोचता हूँ काश वो ऐसा न कहे होते तो उनका सम्मान मेरे जेहन में आज भी बरकरार रहता हम तो स्वयं उनसे कुछ अपेक्षा नहीं किये थे हा उनके इस कथन के बाद मन बार-बार सोचता हैं कि ऐसे गुरु से भले तो माता पिता हैं जो हमारी रक्षा के लिये हमारे विकास हेतु अपना सुख चैन खो कर लगातार धन कमाने के प्रयास में लगे रहते है ताकि उनका बच्चा अच्छे से पढ़ लिख सके आगे चलकर एक दिन कामयाब व्यक्ति बन सके। मैं आज भी सोचता हूँ कि माता पिता के सामान गुरु का व्यवहार शिष्य के लिये क्यों नहीं होता, काश गुरु ! माता-पिता के सामन मिलते तो शिष्य की कितनी उन्नति होती।

खैर अपने अध्ययन उद्देश्य के प्रति संकल्पित होकर हम आश्रम से गुरुकुल की ओर प्रस्थान किये सर्वप्रथम गुजरात के साबर कांठा के रोजड़ में स्थित वानप्रस्थ साधक ग्राम आश्रम में रह कर अध्ययन किये , कुछ समय हरियाणा के जींद में स्थित गुरुकुल कालवा में पढ़ाई किये, उसके बाद मेरे जीवन के सबसे प्रमुख पड़ाव गुरुकुल 'सांदीपनि हिमालय' हिमाचल के धर्मशाला में हमे आश्रय मिला यहां करीब 2 वर्ष 9 माह रहकर वेदांत का अध्ययन-श्रवण किया, सच कह रहा हूँ मेरे जीवन में इस गुरुकुल और यहां बिताये गये जीवन काल का बड़ा उपकार हैं। इसके बाद 4 माह झारखण्ड के देवघर स्थित रिखिआ पीठ में योग अभ्यास को आचार्य जन के सन्निधि में जाने समझे, 2013 में महाराष्ट्र के लोनावला में स्थित विश्व प्रसिद्ध कैवल्य धाम योग संस्थान में रह कर 9 माह तक योग शास्त्र व योग अभ्यास के विभिन्न पहलुओं को जाना समझा अभ्यास में उतारा , स्वामी राम शंकर बताते है कि संगीत गायन में हमारी बहुत रूचि है आध्यात्मिक अध्ययन पूर्ण होने के बाद संगीत सीखने समझने हेतु 2 वर्ष तक इन्दिरा कला संगीत विश्विद्यालय खैरागढ़ छत्तीसगढ़ में रह कर हमने जीवन का अनुपम अनुभव प्राप्त किया उसके बाद वर्ष 2017 में घूम-घूम कर रहने हेतु हिमाचल में एक कुटियाँ तलाश कर रहे थे राम जी की कृपा से शिवभूमि बैजनाथ धाम में नागेश्वर महादेव मन्दिर में रहने हेतु हमें स्थान प्राप्त हुआ जहां पर हम रह रहे है।

स्वामी राम शंकर सोशल मीडिया फेसबुक ,कू ,इंटाग्राम ,यूट्यूब , ट्विटर सभी सोशल मंचो पर एक्टिव रहते है, समय - समय पर आध्यात्म - धर्म - संस्कृति एवं समसामयिक विषयो पर वीडियो बना कर अपलोड करते है साथ ही लाइव सेशन के जरिये सवालों का जबाब भी देते है। आध्यात्मिक जिज्ञासु के ऑनलाइन या नार्मल काल पर सहज संवाद भी स्थापित करते है।डिजिटल बाबा के प्रवचनो की वीडियो शूटिंग हो या एडिटिंग या फिर इस कार्य में आवश्यक समस्त उपकरण के उपयोग की बात हो सब बाबा रामशंकर के पास है उसका बखूबी इतेमाल करना भी जानते है इसी वजह से मीडिया हॉउस इन्हे डिजिटल बाबा के नाम से रूबरू करती हैं।

देश भर के अलग अलग भागो में स्वामी राम शंकर निःशुल्क श्रीरामकथा , श्रीमद्भागवत कथा सुनाने जाते है डिजिटल बाबा कहते है कि इस सेवा के बदले में हम किसी आयोजक से कोई सेवा शुल्क नहीं मांगते। ये सुन कर हैरानी होती है कि आज भी ऐसे लोग हमारे समाज में पाए जाते है अन्यथा आज आध्यात्म ज्ञान व्यापार का हिस्सा बन गया है ऐसे दौर में अव्यवसायिक ढंग से डिजिटल बाबा की सेवा भाव इन्हे औरो से बेहद अलग और अत्याधिक लोकप्रिय बना रही हैं। डिजिटल बाबा के अध्ययन जीवन दर्शन में जहा एक तरफ परम्परागत मूल्य जड़ो से जुड़े होते है वही साथ - साथ आधुनिक वैज्ञानिक सोच खुले मन का एक साफ सुथरा साधक भी डिजिटल बाबा के भीतर देखने को प्राप्त होता है जो पूरी सच्चाई के साथ अपने अनुभव के धरातल पर जीवन जीते हुये ख़ास तौर पर युवा पीढ़ी का मित्रवत मार्गदर्शन कर रहे है। मैं निजी तौर पर कह रही हूँ कि वर्तमान समय में डिजिटल बाबा जैसा आध्यात्मिक गुरु ही युवा वर्ग को आध्यात्म से जोड़ पाने में कुशल सिद्ध होगा।
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित खजुरी भट्ट गांव में 1 नवम्बर 1987 को डिजिटल बाबा का जन्म हुआ विद्यार्थी जीवन में आप रामप्रकाश भट्ट नाम से जाने जाते थे, आप 9 - 10 वी ,11- 12वी में NCC कैडेट रहे ,अध्ययन के दौरान रंगकर्म में सक्रीय रहे। सपनो की बात करे तो डिजिटल बाबा एक सफल अभिनेता बनना चाहते थे, स्वामी ताम शंकर कहते है हमारा मूल किरदार क्या होगा ये हम तय नहीं करते ये हमारे पूर्वकृत कर्म - कर्मफल प्रारब्ध से तय हो जाता है। सच कहूँ तो आज भी अभिनय ही कर रहा हूँ और इस विश्वास के साथ एक दिन हम इस संन्यास को अपने जीवन में आत्मसात कर, एक सच्चा संन्यासी, भगवान का उत्तम, सामाज का भला करने वाला एक बेहतर मनुष्य बन जाऊँगा।

स्वामी राम शंकर की हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बैजनाथ धाम में एक प्यारी सी कुटियाँ है जिसमे एक अतिथि कक्ष, एक खुद के निवास हेतु कक्ष एवं एक पाकशाला कक्ष है। स्वामी राम शंकर कहते है जो सचमुच हिमालय में रह कर साधना करना चाहे ऐसे साधक जन कुटियां में 7 दिन रह सकते हैं , रहने के दौरान बर्तन माजने से भोजन पकाने तक के सारे कार्य में अतिथि साधक को अनिवार्य रूप से अपना योगदान देना होता है। यहाँ रहना तरह निःशुल्क हैं।

डिजिटल बाबा के 14 वर्ष के आध्यात्मिक जीवन का अधिकतर समय गुरुकुल वास में अध्ययनार्थ बिता है पिछेल 5 वर्ष से हिमाचल के बैजनाथ में बाबा जहा रहते है उस स्थान पर आगंतुक के समान रहते हुये नागेश्वर महादेव मन्दिर परिसर को फेसबुक के परिचित जन से जन सहयोग लेकर मन्दिर को अंत्यंत आकर्षक बना दिये हैं। बाबा के पास कुल केवल यह स्थान मात्र है जहा रह कर अपने आध्यात्मिक साधना में संलग्न है न कोई संस्था का संचालन करते नहीं अन्य लोगो के सामान अपने बिस्तार की रणनीति बनाते, बाबा कहते है हमको झंझट में नहीं पड़ना है वैचारिक धरातल पर जो सम्भव होगा हम उसके माध्यम से जनकल्याण में अपना योगदान देंगे पर साधक से संस्था के मैनेजर की भूमिका हमे नहीं चाहिये। सच कहु तो पढ़े लिखे सुलझे हुये डिजिटल बाबा जैसे साधक को जन जन में पहुंचने के लिये हम सबको प्रयत्न करना चाहिये दो वर्ष पूर्व मेरे आमंत्रण पर जब बाबा हमारे घर गोरखपुर आये थे उस समय हमने उनसे कुछ सवाल - संवाद किया जिसे आप इस लिक के जरिये सुन सकते है https://youtu.be/grQ6FqMq81g
गुरु पूर्णिमा पर डिजिटल बाबा के संदेश गूगल ड्राइव में है जिसे आप सुन कर लोगो के मध्य अपने मंच से साझा कर सकते है।

मैं देववन्दिता मिश्रा "प्रज्ञा" विधि की विद्यार्थी हूँगोरखपुर विश्वविद्यालय की छात्रा रही हूँ
यह भी जानें

Blogs Guru BlogsGurudev BlogsGuru Purnima BlogsVyasa Purnima BlogsDigital Baba Blogs

अन्य प्रसिद्ध 13 जुलाई गुरु पूर्णिमा पर डिजिटल बाबा वीडियो

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

ब्लॉग ›

ऑस्ट्रेलिया में प्रसिद्ध हिंदू त्योहार कौन से हैं?

ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों के मुख्य प्रमुख त्योहार दीपावली और अन्नकूट समारोह है हर साल ऑस्ट्रेलियाई संसद भवन, कैनबरा में आयोजित किए जाते हैं। सबसे लोकप्रिय दीवाली सिडनी समारोहों में से एक ऑस्ट्रेलिया की हिंदू परिषद द्वारा आयोजित दीपावली महोत्सव है।

ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

यह एकादशी तिथियाँ केवल वैष्णव सम्प्रदाय इस्कॉन के अनुयायियों के लिए मान्य है | ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

कनाडा के प्रसिद्ध दस हिंदू मंदिर

कनाडा देश दुनिया के सबसे धर्मनिरपेक्ष देशों में से एक है। कुछ दशकों में हिंदुओं ने कनाडा के जीवन के तरीके को इतना प्रभावित किया है कि वे सबसे बड़े समुदायों में से एक हैं। देश भर में मंदिर समितियां हैं जो कनाडा में हिंदू मंदिरों के निर्माण और रखरखाव की जिम्मेदारी लेती हैं। यहां हमने कनाडा के 10 सबसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताया है।

ऑस्ट्रेलिया में दीपावली उत्सव

ऑस्ट्रेलिया मे लोग दीपावली बड़ी धूम-धम से मानते हैं। हिन्दू काउन्सिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया द्वारा सन 1998 से ही दीपावली को बड़े ही रोचक एवं श्रद्धा पूर्वक तरीके से मनाया जारहा है। 2022 का दिवाली समारोह 24 अक्टूबर को ऑस्ट्रेलिया में शुरू होगा।

बिश्नोई पन्थ के उनतीस नियम!

बिश्नोई पन्थ के उनतीस नियम निम्नलिखित हैं: तीस दिन सूतक, पांच ऋतुवन्ती न्यारो। सेरो करो स्नान, शील सन्तोष शुचि प्यारो॥...

तमिलनाडु में कैसे अनोखे तरीके से मनाया जाता है दिवाली?

तमिलनाडु में दीपावली दो दिनों तक मनाई जाती है। लेकिन तमिल लोग दीपक नहीं जलाते हैं।

दिवाली की शुभकामनाएं हिंदी और संस्कृत में

हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में दिवाली की शुभकामनाएं। धनतेरस, काली चौदस, एक दीपक दिवाली, दिवाली, लक्ष्मी पूजा, नरक चतुर्दशी, अन्नकूट, भाई दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजा की शुभकामनाएं।

Ram Bhajan - Ram Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP