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छप्पन भोग क्या है? छप्पन भोग के व्यंजन क्या हैं? (What is Chappan Bhog? What are the dishes of Chappan Bhog?)

छप्पन भोग क्या है? छप्पन भोग के व्यंजन क्या हैं?
त्योहारों पर भगवान को छप्पन भोग लगाए जाते हैं। अक्सर सवाल यह उठता है कि भगवान को छप्पन व्यंजनों का भोग ही क्यों लगाया जाता है और इन छप्पन व्यंजनों में कौन-कौन सी चीजें शामिल होती हैं। आइए जानते हैं कि आखिर भगवान को छप्पन भोग की कहानी:
छप्पन भोग मैं कड़वा, तीखा, कसैला, अम्ल, नमकीन और मीठा ये छह रस के स्वाद होते हैं। इन छह रसों के मेल से अधिकतम 56 प्रकार के खाने योग्य व्यंजन बनाए जा सकते हैं। इसलिए 56 भोग का मतलब है वह सभी प्रकार का खाना जो हम भगवान को अर्पित कर सकते हैं। जन्माष्ठमी पर भगवान कृष्णा को चढ़ाया जाता है छप्पन भोग, भोजन पहले देवता को चढ़ाया जाता है और बाद में भक्तों के बीच प्रसाद (धन्य भोजन) के रूप में वितरित किया जाता है।

छप्पन भोग के पीछे की प्राचीन कहानी
❀ इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब उन्हें लगातार सात दिन भूखा रहना पड़ा था। इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से छप्पन व्यंजन खिलाए गए थे। माना जाता है तभी से ये ’छप्पन भोग’ परम्परा की शुरुआत हुई।

❀ गौ लोक में श्रीकृष्‍ण और राधा एक दिव्य कमल पर विराजते हैं। उस कमल की तीन परतों में 56 पंखुड़ियां होती हैं।प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और बीच में भगवान विराजते हैं। इसलिए छप्पन भोग लगाया जाता है।

क्या क्या होता है छप्पन भोग में-
भगवान कृष्ण को लगने वाले छप्पन भोग में वह छप्पन आहार होते हैं जो उनको प्रिय हैं। यह छप्पन आहार इस प्रकार हैं-

1. भक्त (भात),
2. सूप (दाल),
3. प्रलेह (चटनी),
4. सदिका (कढ़ी),
5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी),
6. सिखरिणी (सिखरन),
7. अवलेह (शरबत),
8. बालका (बाटी),
9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा),
10. त्रिकोण (शर्करा युक्त),
11. बटक (बड़ा),
12. मधु शीर्षक (मठरी),
13. फेणिका (फेनी),
14. परिष्टश्च (पूरी),
15. शतपत्र (खजला),
16. सधिद्रक (घेवर),
17. चक्राम (मालपुआ),
18. चिल्डिका (चोला),
19. सुधाकुंडलिका (जलेबी),
20. धृतपूर (मेसू),
21. वायुपूर (रसगुल्ला),
22. चन्द्रकला (पगी हुई),
23. दधि (महारायता),
24. स्थूली (थूली),
25. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी),
26. खंड मंडल (खुरमा),
27. गोधूम (दलिया),
28. परिखा,
29. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त),
30. दधिरूप (बिलसारू),
31. मोदक (लड्डू),
32. शाक (साग),
33. सौधान (अधानौ अचार),
34. मंडका (मोठ),
35. पायस (खीर),
36. दधि (दही),
37. गोघृत (गाय का घी),
38. हैयंगपीनम (मक्खन),
39. मंडूरी (मलाई),
40. कूपिका (रबड़ी),
41. पर्पट (पापड़),
42. शक्तिका (सीरा),
43. लसिका (लस्सी),
44. सुवत,
45. संघाय (मोहन),
46. सुफला (सुपारी),
47. सिता (इलायची),
48. फल,
49. तांबूल,
50. मोहन भोग,
51. लवण,
52. कषाय,
53. मधुर,
54. तिक्त,
55. कटु,
56. अम्ल

जन्माष्टमी भजन:
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल
राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी
बड़ी देर भई नंदलाला
श्यामा आन बसों वृन्दावन में
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
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काली कमली वाला मेरा यार है
इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी
बाल लीला: राधिका गोरी से बिरज की छोरी से
मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो
कभी राम बनके, कभी श्याम बनके
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे
कृष्ण भजन

दही हांड़ी भजन:
यगोविंदा आला रे आला
बड़ा नटखट है रे, कृष्ण कन्हैया

जन्माष्टमी बधाई भजन:
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला
नन्द के आनंद भयो
लल्ला की सुन के मै आयी यशोदा मैया देदो
जेल में प्रकटे कृष्ण कन्हैया
कान्हा वे असां तेरा जन्मदिन मनावणा

श्री कृष्ण नामावली:
मधुराष्टकम्: धरं मधुरं वदनं मधुरं
श्री कृष्णाष्टकम् - आदि शंकराचार्य
श्री कृष्णाष्टकम्

कृष्ण मंत्र:
अच्युतस्याष्टकम्
कमल नेत्र स्तोत्रम्
श्री राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र
दामोदर अष्टकम
श्री पंच-तत्व प्रणाम मंत्र
श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्रम्
मदन मोहन अष्टकम
भावयामि गोपालबालं
श्री दशावतार स्तोत्र: प्रलय पयोधि-जले
विष्णु सहस्रनाम

श्री कृष्ण कथा:
गोपेश्वर महादेव की लीला
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गजेंद्र और ग्राह मुक्ति कथा
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कृष्ण मंदिर:
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ब्रजभूमि के प्रसिद्ध मंदिर
सप्त मोक्ष पुरी
दिल्ली के प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर
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What is Chappan Bhog? What are the dishes of Chappan Bhog? in English

Chappan Bhog is offered to the deity on festivals. Often the question arises why only fifty-six dishes are offered to Bhagwan and what are the ingredients included in these fifty-six dishes. Let us know that after all, the story of Chappan Bhog to Bhagwan.
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