Shri Krishna Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

सीता चालीसा (Sita Chalisa)


॥ दोहा ॥
बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम,
राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥
कीरति गाथा जो पढ़ें सुधरैं सगरे काम,
मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम ॥
॥ चौपाई ॥
राम प्रिया रघुपति रघुराई,
बैदेही की कीरत गाई ॥

चरण कमल बन्दों सिर नाई,
सिय सुरसरि सब पाप नसाई ॥

जनक दुलारी राघव प्यारी,
भरत लखन शत्रुहन वारी ॥

दिव्या धरा सों उपजी सीता,
मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता ॥4

सिया रूप भायो मनवा अति,
रच्यो स्वयंवर जनक महीपति ॥

भारी शिव धनु खींचै जोई,
सिय जयमाल साजिहैं सोई ॥

भूपति नरपति रावण संगा,
नाहिं करि सके शिव धनु भंगा ॥

जनक निराश भए लखि कारन,
जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन ॥8

यह सुन विश्वामित्र मुस्काए,
राम लखन मुनि सीस नवाए ॥

आज्ञा पाई उठे रघुराई,
इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई ॥

जनक सुता गौरी सिर नावा,
राम रूप उनके हिय भावा ॥

मारत पलक राम कर धनु लै,
खंड खंड करि पटकिन भू पै ॥12

जय जयकार हुई अति भारी,
आनन्दित भए सबैं नर नारी ॥

सिय चली जयमाल सम्हाले,
मुदित होय ग्रीवा में डाले ॥

मंगल बाज बजे चहुँ ओरा,
परे राम संग सिया के फेरा ॥

लौटी बारात अवधपुर आई,
तीनों मातु करैं नोराई ॥16

कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा,
मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा ॥

कौशल्या सूत भेंट दियो सिय,
हरख अपार हुए सीता हिय ॥

सब विधि बांटी बधाई,
राजतिलक कई युक्ति सुनाई ॥

मंद मती मंथरा अडाइन,
राम न भरत राजपद पाइन ॥20

कैकेई कोप भवन मा गइली,
वचन पति सों अपनेई गहिली ॥

चौदह बरस कोप बनवासा,
भरत राजपद देहि दिलासा ॥

आज्ञा मानि चले रघुराई,
संग जानकी लक्षमन भाई ॥

सिय श्री राम पथ पथ भटकैं,
मृग मारीचि देखि मन अटकै ॥24

राम गए माया मृग मारन,
रावण साधु बन्यो सिय कारन ॥

भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो,
लंका जाई डरावन लाग्यो ॥

राम वियोग सों सिय अकुलानी,
रावण सों कही कर्कश बानी ॥

हनुमान प्रभु लाए अंगूठी,
सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी ॥28

अष्ठसिद्धि नवनिधि वर पावा,
महावीर सिय शीश नवावा ॥

सेतु बाँधी प्रभु लंका जीती,
भक्त विभीषण सों करि प्रीती ॥

चढ़ि विमान सिय रघुपति आए,
भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए ॥

अवध नरेश पाई राघव से,
सिय महारानी देखि हिय हुलसे ॥32

रजक बोल सुनी सिय बन भेजी,
लखनलाल प्रभु बात सहेजी ॥

बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो,
लवकुश जन्म वहाँ पै लीन्हो ॥

विविध भाँती गुण शिक्षा दीन्हीं,
दोनुह रामचरित रट लीन्ही ॥

लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी,
रामसिया सुत दुई पहिचानी ॥36

भूलमानि सिय वापस लाए,
राम जानकी सबहि सुहाए ॥

सती प्रमाणिकता केहि कारन,
बसुंधरा सिय के हिय धारन ॥

अवनि सुता अवनी मां सोई,
राम जानकी यही विधि खोई ॥

पतिव्रता मर्यादित माता,
सीता सती नवावों माथा ॥40

॥ दोहा ॥
जनकसुत अवनिधिया राम प्रिया लवमात,
चरणकमल जेहि उन बसै सीता सुमिरै प्रात ॥

Sita Chalisa in English

Ram priya raghupati raghurai baidehi ki keerat gaai॥ Charan kamal bandon sir naai, Siya surasari sab paap nasaai॥
यह भी जानें

Chalisa Shri Hanuman ChalisaBalaji ChalisaBajrangbali ChalisaShri Balaji ChalisaMehadipur Balaji ChalisaHanuman Jayanti ChalisaMangalwar ChalisaTuesday ChalisaMost Popular Chalisa3 Billion Views Chalisa

अगर आपको यह चालीसा पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस चालीसा को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

चालीसा ›

शिव चालीसा

शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.. शिव चालीसा लिरिक्स के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न होते हैं

राधा चालीसा

जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा । कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥ नित्य विहारिणी श्याम अधर ।

कैला देवी चालीसा

जय जय जय कैला महारानी । नमो नमो जगदम्ब भवानी ॥ सब जग की हो भाग्य विधाता । आदि शक्ति तू सबकी माता ॥..

श्री झूलेलाल चालीसा

जय जय जल देवता, जय ज्योति स्वरूप। अमर उडेरो लाल जय, झुलेलाल अनूप॥

गंगा चालीसा

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥ जय भगीरथी सुरसरि माता।

सूर्य चालीसा

जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP