
पूर्णिमा के दिन मंदिर की स्थापना होने के कारण मंदिर का नाम पूर्णमासी कालरात्रि मंदिर पड़ा, जबकि माँ काली को कालरात्रि भी कहा जाता है। परंतु जन मानस के बीच यह मंदिर, काली मंदिर के नाम से ही पुकारा जाता है।
आगरा के सिकंदरा उपनगर में माता काली का यह विशाल प्रांगण वाला मंदिर पश्चिमपुरी कॉलोनी के भक्तों के अथक प्रयास का परिणाम है। मंदिर का इतिहास बड़ा ही चमत्कारिक, सत्य एवं प्रामाणिक घटनाओं से भरा पड़ा है। जिसमे माता की चरण पादुका का प्रादुर्भाव सबसे अधिक लोकप्रिय घटना है। जिसके कारण मंदिर की महत्ता भक्तों के बीच और भी आधिक बढ़ी हुई है।
चैत्र एवं अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली नवरात्रि मंदिर में सबसे अधिक धूम-धाम से मनाए जाने वाला त्यौहार है।
मंदिर के मुख्य हाल में आपने सभी गणों साथ शिवलिंग, श्री लक्ष्मी नारायण भगवान, भगवान श्री राम, माता जानकी जी, भाई लक्ष्मण तथा श्री हनुमान के साथ राम दरवार, श्री राधा कृष्ण, मंदिर के मध्य माँ काली, अखंड ज्योति, माँ भगवती, माता सरस्वती, सिंदूर मे ओत-प्रोत श्री बजरंगबली विराजमान हैं।
मंदिर के बाहरी प्रांगण में श्री शनि महाराज, साईं बाबा, माता की चमत्कारिक चरण पदुका, माँ चंडी तथा बाबा भैरव नाथ स्थापित हैं।

Ram Darwar

Radha Krishna

Shivling with Gan

Mandir Dwar

Maa Sarswati

Maa Kali

Maa Chandi

Maa Bhagwati

Prayer Hall Right View

Prayer Hall Left View

Kali Mandir

Shivling Gan

Shri Sinduri Hanuman

Baba Bhairav Nath

Lakshmi Narayan
1 October 2006
मंदिर परिसर में चरण पादुका की स्थापना।
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