॥ अग्नि देव गायत्री मन्त्र ॥
ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्नि मध्याय धीमहि।
तन्नो अग्निः प्रचोदयात्॥
मन्त्र अर्थ
ॐ, मैं उन महान ज्योति का ध्यान कर रहा हूँ, जो अग्नि के मध्य में निवास करते हैं। हे अग्नि देव! अपने अग्नि रूपी तेज से मेरी बुद्धि एवं मन को प्रकाशित करें तथा हमें सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें।
अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया
शेयर,
लाइक या
कॉमेंट जरूर करें!
भक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें

* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।
** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें।