तीर पयोनिधि वृक्ष निवासं
हास्य कटाक्षज वंशीनिनादं
श्यामल सुन्दर नित्य विलासं
तं प्रणमामि च वालगोपालं ॥१॥
गोधन पालक गोपकुमारं
चन्दन चर्चित कुंकुमहारं
नीलकलेवर शोभितहारं
तं प्रणमामि च वालगोपालं ॥२॥
गोगिरिधारण मेदिनीत्राणं
काम्य मनोरथ सिद्धि प्रदानं
श्री यदुनन्दन हरमे पापं
तं प्रणमामि च वालगोपालं ॥३॥
श्री मधुसूदन वाल्य चरित्रं
काम्य मनोहर वेणुविचित्रं
यशोदानन्दन सुन्दर कृष्णं
तं प्रणमामि च वालगोपालं ॥४॥
भक्तिभारत अष्टकम
केलि कुतुहलि छन्न विवादं
केशव यामिनि पतित निनादं
मल्लनिपातित मुष्टिकघातं
तं प्रणमामि च वालगोपालं ॥५॥
कंस निषूदन केसिवनाशं
ताल फलेषु च धेनुकानाशं
देवकीनन्दन सुन्दरकृष्णं
तं प्रणमामि च वालगोपालं ॥६॥
उज्ज्वल पङ्कज वाहुमृणालं
लक्ष्मी सरस्वती सेवित पादं
श्री यदुनन्दन हरमे पापं
तं प्रणमामि च वालगोपालं ॥७॥
यादव माधव केशव सौरे
श्रीधर सुन्दर कृष्ण मुरारे
तारय तारय हरमे पापं
तं प्रणमामि च वालगोपालं ॥८॥
॥ इति श्री बालगोपालाष्टकम् सम्पूर्णम् ॥
अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया
शेयर,
लाइक या
कॉमेंट जरूर करें!
भक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें

* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।
** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें।