आरती श्री गैय्या मैंय्या की, आरती हरनि विश्व धैय्या की ॥ अर्थकाम सद्धर्म प्रदायिनि, अविचल अमल मुक्तिपददायिनि। सुर मानव सौभाग्य विधायिनि...
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम्॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥..
ॐ जय जय शनि महाराज, स्वामी जय जय शनि महाराज। कृपा करो हम दीन रंक पर...
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी, तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता। अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता..
जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगाऊँ..
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥