Shri Krishna Bhajan

आराम मे भी राम भाजो - प्रेरक कहानी (Aaram Me Bhi Ram Bhajo)


Add To Favorites Change Font Size
कुंदन काका एक फैक्ट्री में पेड़ काटने का काम करते थे. फैक्ट्री मालिक उनके काम से बहुत खुश रहा करता था और हर एक नए मजदूर को उनकी तरह कुल्हाड़ी चलाने को कहता। यही कारण था कि अधिकतर मजदूर उनसे जलते थे।
एक दिन जब मालिक काका के काम की तारीफ कर रहे थे तभी एक नौजवान युवक मजदूर सामने आया और बोला- मालिक! आप हमेशा इन्ही काका की तारीफ़ करते हैं, जबकि मेहनत तो हम सब करते हैं। बल्कि काका तो बीच-बीच में आराम भी करने चले जाते हैं, लेकिन हम लोग तो लगातार कड़ी मेहनत करके पेड़ काटते रहते हैं।

इस पर मालिक बोले- भाई! मुझे इससे मतलब नहीं है कि कौन कितना आराम करता है, कितना काम करता है, मुझे तो बस इससे मतलब है। दिन के अंत में किसने सबसे अधिक पेड़ कटे और इस मामले में काका आप सबसे 2-3 पेड़ आगे ही रहते हैं। जबकि उनकि उम्र भी काफी हो चली है।
मजदूर को ये बात अच्छी नहीं लगी।

वह बोला- मलिक अगर ऐसा ही है तो क्यों न कल पेड़ काटने की प्रतियोगिता हो जाए। कल दिन भर में जो सबसे अधिक पेड़ काटेगा वही विजेता बनेगा।
मालिक तैयार हो गए।

अगले दिन प्रतियोगिता शुरू हुई। मजदूर बाकी दिनों की तुलना में इस दिन अधिक जोश में थे और जल्दी-जल्दी हाथ चला रहे थे। और पेड़ काटे जा रहे थे।

लेकिन कुंदन काका को तो मानो कोई जल्दी न हो। वे रोज की तरह आज भी पेड़ काटने में जुट गए। सबने देखा कि शुरू के आधा दिन बीतने तक काका ने 4-5 ही पेड़ काटे थे जबकि और लोग 6-7 पेड़ काट चुके थे। लगा कि आज काका हार जायेंगे। ऊपर से रोज की तरह वे अपने समय पर एक कमरे में चले गए जहाँ वो रोज आराम करने जाया करते थे।

सबने सोचा कि आज काका प्रतियोगिता हार जायेंगे। बाकी मजदूर पेड़ काटते रहे, काका कुछ देर बाद अपने कंधे पर कुल्हाड़ी टाँगे लौटे और वापस अपने काम में जुट गए। तय समय पर प्रतियोगिता ख़त्म हुई। अब मालिक ने पेड़ों की गिनती शुरू की।

बाकी मजदूर तो कुछ ख़ास नहीं कर पाए थे लेकिन जब मालिक ने उस नौजवान मजदूर के पेड़ों की गिनती शुरू की तो सब बड़े ध्यान से सुनने लगे।
1, 2, 3, 4 ... 9, 10 और ये 11!
सब ताली बजाने लगे क्योंकि बाकी मजदूरों में से कोई 10 पेड़ भी नहीं काट पाया था।

अब बस काका के काटे पेड़ों की गिनती होनी बाकी थी। मालिक ने गिनती शुरू की 1, 2, 3, 4 ... 9, 10 और ये 11 और आखिरी में ये बारहवां पेड़, मालिक ने ख़ुशी से ऐलान किया।

कुंदन काका की कुल्हाड़ी:
कुंदन काका प्रतियोगिता जीत चुके थे। उन्हें 1000 रुपये इनाम में दिए गए। तभी उस हारे हुए मजदूर ने पूछा- काका, मैं अपनी हार मानता हूँ। लेकिन कृपया ये तो बताइये कि आपकी शारीरिक ताकत भी कम है और ऊपर से आप काम के बीच आधे घंटे विश्राम भी करते हैं, फिर भी आप सबसे अधिक पेड़ कैसे काट लेते हैं?

इस पर काका बोले- बेटा बड़ा सीधा सा कारण है इसका, जब मैं आधे दिन काम करके आधे घंटे विश्राम करने जाता हूँ तो उस दौरान मैं अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज कर लेता हूँ, जिससे बाकी समय में मैं कम मेहनत के साथ तुम लोगों से अधिक पेड़ काट पाता हूँ।
सभी मजदूर आश्चर्य में थे कि सिर्फ थोड़ी देर धार तेज करने से कितना फर्क पड़ जाता है।

इसी प्रकार जब भी आराम का समय मिले बेफिक्रे ना बन जाएँ बल्कि उस समय को प्रभु स्मरण में लगाए, जिससे कठिन समय मे भी आप उतने ही सार्थक बने रहें।
यह भी जानें

Prerak-kahani Success Prerak-kahaniSuccess In Life Prerak-kahaniSharpen Skills Prerak-kahaniNirantarta Prerak-kahaniContinuity Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

बिना श्रद्धा और विश्वास के, गंगा स्नान - प्रेरक कहानी

इसी दृष्टांत के अनुसार जो लोग बिना श्रद्धा और विश्वास के केवल दंभ के लिए गंगा स्नान करते हैं उन्हें वास्तविक फल नहीं मिलता परंतु इसका यह मतलब नहीं कि गंगा स्नान व्यर्थ जाता है।

भगवान चढ़ाया गया भोग कैसे खाते हैं? - प्रेरक कहानी

क्या भगवान हमारे द्वारा चढ़ाया गया भोग खाते हैं? यदि खाते हैं, तो वह वस्तु समाप्त क्यों नहीं हो जाती?..

जब अर्जुन का घमंड चूर-चूर हुआ - प्रेरक कहानी

एक दिन श्रीकृष्ण, अर्जुन साथ घूम रहे थे। रास्ते में उनकी मुलाकात एक गरीब ब्राह्मण से हुई। उसका व्यवहार थोड़ा विचित्र था। वह सूखी घास खा रहा था और उसकी कमर से तलवार लटक रही थी।

जब चंद देव ने लगाया गुरु रामदास को गले - सत्य कथा

जब गुरु नानक देव जी के वृद्ध पुत्र एवं 'उदासी' संप्रदाय के संस्थापक बाबा श्री चंद जी सिख संप्रदाय के चतुर्थ गुरु रामदास जी से मिलने आए ...

प्रतिदिन बदलते लक्ष्य - प्रेरक कहानी

एक लड़के ने एक बार एक बहुत ही धनवान व्यक्ति को देखकर धनवान बनने का निश्चय किया। वह धन कमाने के लिए कई दिनों तक मेहनत कर धन कमाने के पीछे पड़ा

सबसे समर्थ और सच्चा साथी कौन?

एक छोटे से गाँव मे श्रीधर नाम का एक व्यक्ति रहता था, स्वभाव से थोड़ा कमजोर और डरपोक किस्म का इंसान था।..

देह दानी राजा शिवि महाराज - प्रेरक कहानी

शिवि की धर्मपरायणता, उदारता, दयालुता एवं परोपकार की ख्याति स्वर्गलोक में भी पहुंच गई थी। इन्द्र और अग्निदेव शिवि की प्रशंसा सुनने के बाद उनकी परीक्षा की योजना बनायी

Durga Chalisa - Durga Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP