Shri Ram Bhajan

बहरे भक्त का सत्संग प्रेम - प्रेरक कहानी (Bahare Bhakt Ka Satsang Prem)


Add To Favorites Change Font Size
एक संत के पास बहरा आदमी सत्संग सुनने आता था। उसे कान तो थे पर वे नाड़ियों से जुड़े नहीं थे। एकदम बहरा, एक शब्द भी सुन नहीं सकता था।
किसी ने संतश्री से कहा - बाबा जी! वे जो वृद्ध बैठे हैं, वे कथा सुनते-सुनते हँसते तो हैं पर वे बहरे हैं।
बहरे मुख्यत - दो बार हँसते हैं, एक तो कथा सुनते-सुनते जब सभी हँसते हैं तब और दूसरा, अनुमान करके बात समझते हैं तब अकेले हँसते हैं।
बाबा जी ने कहा - जब बहरा है तो कथा सुनने क्यों आता है? रोज एकदम समय पर पहुँच जाता है। चालू कथा से उठकर चला जाय ऐसा भी नहीं है, घंटों बैठा रहता है।

बाबाजी सोचने लगे, बहरा होगा तो कथा सुनता नहीं होगा और कथा नहीं सुनता होगा तो रस नहीं आता होगा। रस नहीं आता होगा तो यहाँ बैठना भी नहीं चाहिए, उठकर चले जाना चाहिए। यह जाता भी नहीं है!

बाबाजी ने उस वृद्ध को बुलाया और उसके कान के पास ऊँची आवाज में कहा - कथा सुनाई पड़ती है?
उसने कहा - क्या बोले महाराज?
बाबाजी ने आवाज और ऊँची करके पूछा - मैं जो कहता हूँ, क्या वह सुनाई पड़ता है?
उसने कहा - क्या बोले महाराज?

बाबाजी समझ गये कि यह नितांत बहरा है। बाबाजी ने सेवक से कागज कलम मँगाया और लिखकर पूछा।
वृद्ध ने कहा - मेरे कान पूरी तरह से खराब हैं। मैं एक भी शब्द नहीं सुन सकता हूँ।
कागज कलम से प्रश्नोत्तर शुरू हो गया।
फिर तुम सत्संग में क्यों आते हो?
बाबाजी! सुन तो नहीं सकता हूँ लेकिन यह तो समझता हूँ कि ईश्वरप्राप्त महापुरुष जब बोलते हैं तो पहले परमात्मा में डुबकी मारते हैं। संसारी आदमी बोलता है तो उसकी वाणी मन व बुद्धि को छूकर आती है लेकिन ब्रह्मज्ञानी संत जब बोलते हैं तो उनकी वाणी आत्मा को छूकर आती हैं। मैं आपकी अमृतवाणी तो नहीं सुन पाता हूँ पर उसके आंदोलन मेरे शरीर को स्पर्श करते हैं।

दूसरी बात, आपकी अमृतवाणी सुनने के लिए जो पुण्यात्मा लोग आते हैं उनके बीच बैठने का पुण्य भी मुझे प्राप्त होता है।

बाबा जी ने देखा कि ये तो ऊँची समझ के धनी हैं।
उन्होंने कहा - आप दो बार हँसना, आपको अधिकार है किंतु मैं यह जानना चाहता हूँ कि आप रोज सत्संग में समय पर पहुँच जाते हैं और आगे बैठते हैं, ऐसा क्यों?

मैं परिवार में सबसे बड़ा हूँ। बड़े जैसा करते हैं वैसा ही छोटे भी करते हैं। मैं सत्संग में आने लगा तो मेरा बड़ा लड़का भी इधर आने लगा। शुरुआत में कभी-कभी मैं बहाना बना के उसे ले आता था। मैं उसे ले आया तो वह अपनी पत्नी को यहाँ ले आया, पत्नी बच्चों को ले आयी, सारा कुटुम्ब सत्संग में आने लगा, कुटुम्ब को संस्कार मिल गये।

ब्रह्मचर्चा, आत्मज्ञान का सत्संग ऐसा है कि यह समझ में नहीं आये तो क्या, सुनाई नहीं देता हो तो भी इसमें शामिल होने मात्र से इतना पुण्य होता है कि व्यक्ति के जन्मों-जन्मों के पाप-ताप मिटने एवं एकाग्रतापूर्वक सुनकर इसका मनन-निदिध्यासन करे उसके परम कल्याण में संशय ही क्या !
यह भी जानें

Prerak-kahani Satsang Prerak-kahaniMahatma Prerak-kahaniBabaji Prerak-kahaniBahara Prerak-kahaniDeaf Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न भाइयों का प्यार

राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों के बचपन का एक प्रसंग है! जब ये लोग खेलते थे तो लक्ष्मण राम की तरफ उनके पीछे होता था..

अच्छे को अच्छे एवं बुरे को बुरे लोग मिलते हैं - प्रेरक कहानी

गुरु जी गंभीरता से बोले, शिष्यों आमतौर पर हम चीजों को वैसे नहीं दखते जैसी वे हैं, बल्कि उन्हें हम ऐसे देखते हैं जैसे कि हम खुद हैं।...

मन की शांति कैसे प्राप्त करें? - प्रेरक कहानी

सेठ अमीरचंद के पास अपार धन दौलत थी। उसे हर तरह का आराम था, लेकिन उसके मन को शांति नहीं मिल पाती थी। हर पल उसे कोई न कोई चिंता परेशान किये रहती थी...

सतगुरु की कृपा से कैसे चोर राजा बना - प्रेरक कहानी

एक बार एक चोर ने गुरु से नाम ले लिया, और बोला गुरु जी चोरी तो मेरा काम है ये तो नहीं छूटेगी मेरे से अब गुरु जी बोले ठीक है म तुझे एक दूसरा नेम देता हुँ..

संस्कार क्या है? - प्रेरक कहानी

यह बात सुनकर बच्चे को राजा पर गुस्सा आया और माँ से बोला: माँ मैं इसका बदला लूंगा।

गेहूँ का दाना एक शिक्षक - प्रेरक कहानी

गेहूँ का दाना वह शिक्षक है जो मुझे सृष्टि के नियमों को सिखाता है, एक बार एक राजा युद्ध जीतकर लौट रहा था, तो वह संत के निवास के निकट जा पहुंचा। उसने इस रहस्यदर्शी संत के दर्शन करने की सोची। राजा ने संत के पास जाकर कहा..

जब तक दुख नहीं मिलते, प्रभु की याद नहीं आती - प्रेरक कहानी

फिर सुपरवाईजर ने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए एक १० रु का नोट नीचे फैंका, जो ठीक मजदूर के सामने जा कर गिरा..

Durga Chalisa - Durga Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP