Shri Krishna Bhajan

कर्मानुसार सुख एवं दुःख का भोग - प्रेरक कहानी (Karm Anusar Sukh Evan Duhkh Ka Bhog)


कर्मानुसार सुख एवं दुःख का भोग - प्रेरक कहानी
Add To Favorites Change Font Size
एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से कहा कि प्रभु मैंने पृथ्वी पर देखा है कि जो व्यक्ति पहले से ही अपने प्रारब्ध से दुःखी है आप उसे और ज्यादा दुःख प्रदान करते हैं, और जो सुख में हैं आप उसे दुःख नहीं देते है।
भगवान ने इस बात को समझाने के लिए माता लक्ष्मी को पृथ्वी पर चलने के लिए कहा और दोनों ने मनुष्य रूप धारण कर पति-पत्नी का रूप लिया और एक गांव के पास डेरा जमाया।

शाम के समय भगवान ने माता लक्ष्मी से कहा कि हम मनुष्य रूप में यहाँ आए हैं इसलिए यहाँ के नियमों का पालन करते हुए हमें यहाँ भोजन करना होगा। अतः मैं भोजन कि सामग्री की व्यवस्था करता हूँ, तब तक तुम भोजन बनाओ।

जब भगवान के जाते ही माता लक्ष्मी रसोई में चूल्हे को बनाने के लिए बाहर से ईंटें लेने गईं और गांव में कुछ जर्जर हो चुके मकानों से ईंटें लाकर चूल्हा तैयार कर दिया

चूल्हा तैयार होते ही भगवान वहाँ पर बिना कुछ लाए ही प्रकट हो गए।
माता लक्ष्मी ने उनसे कहा: आप तो कुछ लेकर नहीं आए, भोजन कैसे बनेगा।
भगवान बोले: लक्ष्मी ! अब तुम्हें इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। भगवान ने माता लक्ष्मी से पूछा कि तुम चूल्हा बनाने के लिए इन ईटों को कहाँ से लेकर आई
तो माता लक्ष्मी ने कहा: प्रभु ! इस गांव में बहुत से ऐसे घर भी हैं जिनका रख रखाव सही ढंग से नहीं हो रहा है। उनकी जर्जर हो चुकी दीवारों से मैं ईंटें निकाल कर ले आई।

भगवान ने फिर कहा: जो घर पहले से खराब थे तुमने उन्हें और खराब कर दिया। तुम ईंटें उन सही घरों की दीवार से भी तो ला सकती थीं।
माता लक्ष्मी बोलीं: प्रभु ! उन घरों में रहने वाले लोगों ने उनका रख-रखाव बहुत सही तरीके से किया है और वो घर सुन्दर भी लग रहे हैं, ऐसे में उनकी सुन्दरता को बिगाड़ना उचित नहीं होता।

भगवान बोले: लक्ष्मी ! यही तुम्हारे द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर है। जिन लोगों ने अपने घर का रख-रखाव अच्छी तरह से किया है यानि सही कर्मों से अपने जीवन को सुन्दर बना रखा है उन लोगों को दुःख कैसे हो सकता है।

मनुष्य के जीवन में जो भी सुखी है वो अपने कर्मों के द्वारा सुखी है, और जो दु:खी है वो अपने कर्मों के द्वारा दु:खी है। इसलिए हर एक मनुष्य को अपने जीवन में ऐसे ही कर्म करने चाहिए, जिससे इतनी मजबूत व खूबसूरत इमारत खड़ी हो कि कभी भी कोई भी उसकी एक ईंट भी निकालने न पाए।
यह भी जानें

Prerak-kahani Karm Prerak-kahaniVillage Prerak-kahaniGaon Prerak-kahaniLakshmi Prerak-kahaniShri Hari Prerak-kahaniLakshmi Narayan Prerak-kahaniShri Vishnu Prerak-kahaniMaha Lakshmi Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

कोयला और चंदन

चौधरी पहलवान का पूरा जीवन जरूरतमंदों की सहायता के लिए समर्पित हुआ था। जब उनका अंतिम समय नजदीक आया तो उन्होंने अपने बेटे को पास बुलाया।

प्रणाम का महत्व - प्रेरक कहानी

महाभारत का युद्ध चल रहा था, एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर भीष्म पितामह घोषणा कर देते हैं कि: मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा..

नाम जप की महत्ता - प्रेरक कहानी

प्रभु नाम के जप ने एक भिखारी को सच्चा दाता बना दिया है। यह सुनकर अकबर बड़े हैरान हुये। ये है नाम जप का प्रभाव जो भिखारी से सच्चा दाता बना दे।

गोस्वामी तुलसीदास की सूरदास जी से भेंट - सत्य कथा

श्री सूरदास जी से भगवान् का विनोद करना | तुलसीदास जी वाला पलड़ा भारी हो गया। अब सूरदास श्री को बड़ा दुःख हुआ | किशोरी जी जहाँ हो वहाँ का पलड़ा तो भारी होगा ही..

रामायण से, श्री कृष्ण के पंख की कहानी

वनवास के दौरान माता सीताजी को प्यास लगी, तभी श्रीरामजी ने चारों ओर देखा, तो उनको दूर-दूर तक जंगल ही जंगल दिख रहा था। कुदरत से प्रार्थना की, हे वन देवता..

बच्चे की राजा को 4 शर्तें - प्रेरक कहानी

एक बार एक राजा नगर भ्रमण को गया तो रास्ते में क्या देखता है कि, एक छोटा बच्चा माटी के खिलौनो को कान में कुछ कहता फिर तोड कर माटी में मिला रहा है..

मानवता भीतर के संस्कारों से पनपती है - प्रेरक कहानी

श्री टी.एन. शेषन जब मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तो परिवार के साथ छुट्टीयां बिताने के लिए मसूरी जा रहे थे। परिवार के साथ उत्तर प्रदेश से निकलते हुऐ रास्ते में..

Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP