Haanuman Bhajan

किसका पुण्य बड़ा? - प्रेरक कहानी (Kisaka Punya Sabse Bada)


Add To Favorites Change Font Size
मिथलावती नाम की एक नगरी थी। उसमें गुणधिप नाम का राजा राज करता था। उसकी सेवा करने के लिए दूर देश से एक राजकुमार आया। वह बराबर कोशिश करता रहा, लेकिन राजा से उनकी भेंट न हुई। जो कुछ वह अपने साथ लाया था, वह सब बराबर हो गया।
एक दिन राजा शिकार खेलने चला। राजकुमार भी साथ हो लिया। चलते-चलते राजा एक वन में पहुँचा। वहाँ उसके नौकर-चाकर बिछुड़ गये। राजा के साथ अकेला वह राजकुमार रह गया। उसने राजा को रोका। राजा ने उसकी ओर देखा तो पूछा, “तू इतना कमजोर क्यों हो रहा है।” उसने कहा, “इसमें मेरे कर्म का दोष है। मैं जिस राजा के पास रहता हूँ, वह हजारों को पालता है, पर उसकी निगाह मेरी और नहीं जाती। राजन् छ: बातें आदमी को हल्का करती हैं - खोटे नर की प्रीति, बिना कारण हँसी, स्त्री से विवाद, असज्जन स्वामी की सेवा, गधे की सवारी और बिना संस्कृत की भाषा। और हे राजा, ये पाँच चीज़ें आदमी के पैदा होते ही विधाता उसके भाग्य में लिख देता है - आयु, कर्म, धन, विद्या और यश। राजन्, जब तक आदमी का पुण्य उदय रहता है, तब तक उसके बहुत-से दास रहते हैं। जब पुण्य घट जाता है तो भाई भी बैरी हो जाते हैं। पर एक बात है, स्वामी की सेवा अकारथ नहीं जाती। कभी-न-कभी फल मिल ही जाता है।”
यह सुन राजा के मन पर उसका बड़ा असर हुआ। कुछ समय घूमने-घामने के बाद वे नगर में लौट आये। राजा ने उसे अपनी नौकरी में रख लिया। उसे बढ़िया-बढ़िया कपड़े और गहने दिये।
एक दिन राजकुमार किसी काम से कहीं गया। रास्ते में उसे देवी का मन्दिर मिला। उसने अन्दर जाकर देवी की पूजा की। जब वह बाहर निकला तो देखता क्या है, उसके पीछे एक सुन्दर स्त्री चली आ रही है। राजकुमार उसे देखते ही उसकी ओर आकर्षित हो गया। स्त्री ने कहा, “पहले तुम कुण्ड में स्नान कर आओ। फिर जो कहोगे, सो करूँगी।”
इतना सुनकर राजकुमार कपड़े उतारकर जैसे ही कुण्ड में घुसा और गोता लगाया कि अपने नगर में पहुँच गया। उसने जाकर राजा को सारा हाल कह-सुनाया। राजा ने कहा, “यह अचरज मुझे भी दिखाओ।”

दोनों घोड़ों पर सवार होकर देवी के मन्दिर पर आये। अन्दर जाकर दर्शन किये और जैसे ही बाहर निकले कि वह स्त्री प्रकट हो गयी। राजा को देखते ही बोली, “महाराज, मैं आपके रूप पर मुग्ध हूँ। आप जो कहेंगे, वही करुँगी।”
राजा ने कहा, “ऐसी बात है तो तू मेरे इस सेवक से विवाह कर ले।”
स्त्री बोली, “यह नहीं होने का। मैं तो तुम्हें चाहती हूँ।”
राजा ने कहा, “सज्जन लोग जो कहते हैं, उसे निभाते हैं। तुम अपने वचन का पालन करो।”
इसके बाद राजा ने उसका विवाह अपने सेवक से करा दिया।
इतना कहकर बेताल बोला, “हे राजन्! यह बताओ कि राजा और सेवक, दोनों में से किसका काम बड़ा हुआ?”
राजा ने कहा, “नौकर का।”
बेताल ने पूछा, “सो कैसे?”
राजा बोला, “उपकार करना राजा का तो धर्म ही था। इसलिए उसके उपकार करने में कोई खास बात नहीं हुई। लेकिन जिसका धर्म नहीं था, उसने उपकार किया तो उसका काम बढ़कर हुआ?”
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

तुलसीदास जी द्वारा विप्रचंद ब्राह्मण पर कृपा - सत्य कथा

एक बार एक विप्रचंद नामक ब्राह्मण से हत्या हो गयी और उस हत्या के प्रायश्चित के लिये वह अनेक तीर्थों में घूमता हुआ काशी आया।

नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे

एक बार की बात है, वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे। नारायण नारायण !! नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है। हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि! कहाँ जा रहे हो?

सच्चे गुरु के बिना बंधन नहीं छूटता - प्रेरक कहानी

एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि राम कहे तो बंधन टूटे। तभी पिंजरे में बंद तोता बोलता, यूं मत कहो रे पंडित झूठे।

महाभारत के युद्ध में भोजन प्रबंधन

आर्यावर्त के समस्त राजा या तो कौरव अथवा पांडव के पक्ष में खड़े दिख रहे थे। श्रीबलराम और रुक्मी ये दो ही व्यक्ति ऐसे थे जिन्होंने इस युद्ध में भाग नहीं लिया।

कुछ लोग ही कृष्ण की ओर बढ़ते हैं - प्रेरक कहानी

भोजन की गंध पाने पर तालाब से पांच छह बतखें उनके पास आकर पुकारने लगी क्वेक, क्वेक प्रभुपाद ने बड़े स्नेह से उन बतखों को भोजन दिया...

असल में ज्ञानी कौन? - प्रेरक कहानी

सन्तोष मिश्रा जी के यहाँ पहला लड़का हुआ तो पत्नी ने कहा: बच्चे को गुरुकुल में शिक्षा दिलवाते है...

कर्म महत्वपूर्ण है - प्रेरक कहानी

उसकी नजर एक मरे हुए सांप पर पड़ी। उसने एक लाठी पर सांप को लटकाया और घर की और जाते हुए सोचने लगा, इसे देखकर पत्नी डर जाएगी और आगे से काम पर जाने के लिए नहीं कहेगीं।...

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
×
Bhakti Bharat APP