Shri Hanuman Bhajan
Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp ChannelDownload APP Now - Download APP NowDurga Chalisa - Durga ChalisaRam Bhajan - Ram Bhajan

मुट्ठी भर सफल लोग - प्रेरक कहानी (A Handful of Successful People)


Add To Favorites Change Font Size
हर साल गर्मी की छुट्टियों में हरिराम अपने दोस्तों के साथ किसी पहाड़ी इलाके में माउंटेनियरिंग के लिए जाता था। इस साल भी वे इसी मकसद से ऋषिकेश पहुंचे।
गाइड उन्हें एक फेमस माउंटेनियरिंग स्पॉट पर ले गया। हरिराम और उसके दोस्तों ने सोचा नहीं था कि यहाँ इतनी भीड़ होगी, हर तरफ लोग ही लोग नज़र आ रहे थे।

एक दोस्त बोला - यार यहाँ तो शहर जैसी भीड़ है, यहाँ चढ़ाई करने में क्या मजा?

क्या कर सकते हैं, अब आ ही गए हैं तो अफ़सोस करने से क्या फायदा, चलो इसी का मजा उठाते हैं - हरिराम ने जवाब दिया।

सभी दोस्त पर्वतारोहण करने लगे और कुछ ही समय में पहाड़ी की चोटी पर पहुँच गए।

वहाँ पर पहले से ही लोगों का तांता लगा हुआ था। दोस्तों ने सोचा चलो अब इसी भीड़ में दो-चार घंटे कैम्पिंग करते हैं और फिर वापस चलते हैं।
तभी हरिराम ने सामने की एक चोटी की तरफ इशारा करते हुए कहा - रुको-रुको! ज़रा उस चोटी की तरफ भी तो देखो, वहाँ तो बस मुट्ठी भर लोग ही दिख रहे हैं, कितना मजा आ रहा होगा, क्यों न हम वहाँ चलें।

“वहाँ!”, एक दोस्त बोला - अरे वहाँ जाना सबके बस की बात नहीं है, उस पहाड़ी के बारे में मैंने सुना है, वहाँ का रास्ता बड़ा मुश्किल है और कुछ लकी लोग ही वहाँ तक पहुँच पाते हैं।

बगल में खड़े कुछ लोगों ने भी हरिराम का मजाक उड़ाते हुए कहा - भाई अगर वहाँ जाना इतना ही आसान होता तो हम सब यहाँ झक नहीं मार रहे होते!

लेकिन हरिराम ने किसी की बात नहीं सुनी और अकेला ही चोटी की तरफ बढ़ चला और तीन घंटे बाद वह उस पहाड़ी के शिखर पर था। वहाँ पहुँचने पर पहले से मौजूद लोगों ने उसका स्वागत किया और उसे प्रोत्साहित किया।

हरिराम भी वहाँ पहुँच कर बहुत खुश था अब वह शांति से प्रकृति की ख़ूबसूरती का आनंद ले सकता था।

जाते-जाते हरिराम ने बाकी लोगों से पूछा - एक बात बताइये? यहाँ पहुंचना इतना मुश्किल तो नहीं था, मेरे विचार से तो जो उस भीड़-भाड़ वाली चोटी तक पहुँच सकता है वह अगर थोड़ी सी और मेहनत करे तो इस चोटी को भी छू सकता है, फिर ऐसा क्यों है कि वहाँ सैकड़ों लोगों की भीड़ है और यहाँ बस मुट्ठी भर लोग?

वहाँ मौजूद एक शिक्षक नवनीत बोला - क्योंकि ज्यादातर लोग बस उसी में खुश हो जाते हैं जो उन्हें आसानी से मिल जाता। वे सोचते ही नहीं कि उनके अन्दर इससे कहीं ज्यादा पाने का इरादा है, और जो थोड़ा पाकर खुश नहीं भी होते वे कुछ अधिक पाने के लिए खतरा नहीं उठाना चाहते। वे डरते हैं कि कहीं ज्यादा के चक्कर में जो हाथ में है वो भी ना चला जाए, जबकि हकीकत ये है कि अगली चोटी या अगली मंजिल पाने के लिए बस जरा सी कोशिश की ज़रुरत पड़ती है! पर साहस ना दिखा पाने के कारण अधिकतर लोग पूरी लाइफ बस भीड़ का हिस्सा ही बन कर रह जाते हैं, और साहस दिखाने वाली उन मुट्ठी भर लोगों को लकी बता कर खुद को तसल्ली देते रहते हैं।

निष्कर्ष:
अगर आप आज तक वो अगला साहसी कदम उठाने से खुद को रोके हुए हैं तो ऐसा मत करिए क्योंकि, अगली चोटी या अगली मंजिल पाने के लिए बस जरा से और कोशिश की ज़रुरत पड़ती है! खुद को उस कार्य को करने से रोकिये मत, थोडा सा साहस, थोड़ी सी हिम्मत आपको भीड़ से निकाल कर उन मुट्ठी भर लोगों में शामिल कर सकती है जिन्हें दुनिया भाग्यशाली कहती है।
यह भी जानें

Prerak-kahani Successful People Prerak-kahaniSuccessful Prerak-kahaniTraking Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

सिद्धियों का उचित प्रयोग ही करें - प्रेरक कहानी

चार विद्वान ब्राह्मण मित्र थे। एक दिन चारों ने संपूर्ण देश का भ्रमण कर हर प्रकार का ज्ञान अर्जित करने का निश्चय किया।...

दो पैसे के काम के लिए तीस साल की बलि - प्रेरक कहानी

स्वामी विवेकानंद एक बार कहीं जा रहे थे। रास्ते में नदी पड़ी तो वे वहीं रुक गए क्योंकि नदी पार कराने वाली नाव कहीं गई हुई थी।...

भक्ति का प्रथम मार्ग है, सरलता - प्रेरक कहानी

प्रभु बोले भक्त की इच्छा है पूरी तो करनी पड़ेगी। चलो लग जाओ काम से। लक्ष्मण जी ने लकड़ी उठाई, माता सीता आटा सानने लगीं। आज एकादशी है...

कर्म के साथ भावनाओं का भी महत्व है - प्रेरक कहानी

एक गाय घास चरने के लिए एक जंगल में चली गई। शाम ढलने के करीब थी। उसने देखा कि एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव बढ़ रहा है।..

बुढ़िया माई को मुक्ति दी - तुलसी माता की कहानी

कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ..

एक दिन का पुण्य ही क्यूँ? - प्रेरक कहानी

तुम्हारे बाप के नौकर बैठे हैं क्या हम यहां, पहले पैसे, अब पानी, थोड़ी देर में रोटी मांगेगा, चल भाग यहाँ से।

बिना श्रद्धा और विश्वास के, गंगा स्नान - प्रेरक कहानी

इसी दृष्टांत के अनुसार जो लोग बिना श्रद्धा और विश्वास के केवल दंभ के लिए गंगा स्नान करते हैं उन्हें वास्तविक फल नहीं मिलता परंतु इसका यह मतलब नहीं कि गंगा स्नान व्यर्थ जाता है।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Durga Chalisa - Durga Chalisa
×
Bhakti Bharat APP