खजुराहो: ब्रह्मानंदम परम सुखदम (Khajuraho: Brahamanandam, Paramsukhdam)


ब्रह्मानंदम परम सुखदम,
केवलम् ज्ञानमूर्तीम्,
द्वंद्वातीतम् गगन सदृशं,
तत्वमस्यादि लक्षम ।एकं नित्यं विमल मचलं,
सर्वाधी साक्षीभुतम,
भावातीतं त्रिगुण रहितम्,
सदगुरु तं नमामी ॥

धूम मची हर नभ में फूटे,
रस की फुहारे ।
अनहद के आँगन में नाचे,
चँदा सितारे ॥

अबीर गुलाल के बादल गरजे,
फागुन सेज सजाए ।
दूर अधर बिजली यूँ कौंधे,
रंग दियो छिड़काए ॥

रास रंग मदिरा से बरसे,
प्रेम अगन सुलगाए ।
चहक उठे सब डाल पात सब,
एक ही रंग समाए ॥

Khajuraho | Indian Ocean | Kandisa
Khajuraho: Brahamanandam, Paramsukhdam - Read in English
Brahamanandam, Paramsukhdam, Kevalam Gyanmurtim, Dhoom Machi Har Nabh Mein Phoote Ras Ki Phuharein
ब्रह्मानंदं परमसुखदं
ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्ति
द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभुतं
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥

ब्रह्मा के आनंदरुप परम् सुखरुप, ज्ञानमूर्ति, द्वंद्व से परे, आकाश जैसे निर्लेप, और सूक्ष्म "तत्त्वमसि" इस ईशतत्त्व की अनुभूति हि जिसका लक्ष्य है; अद्वितीय, नित्य विमल, अचल, भावातीत, और त्रिगुणरहित - ऐसे सद्गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ ।
Bhajan Times Music BhajanIndian Ocean BhajanKandisa BhajanSukhadam BhajanBrahamanand BhajanShiv BhajanMahadev BhajanGuru Purnima BhajanGuru BhajanGurudev BhajanVyasa Purnima Bhajan
अगर आपको यह भजन पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

हे नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम - भजन

हे नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम, ओ शेरोवाली, ऊँचे डेरों वाली,..

जयपुर से लाई मैं तो चुनरी: भजन

जयपुर से लाई मैं तो, चुनरी रंगवाई के, गोटा किनारी अपने..

भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए: भजन

भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए, ओ मैया तेरे दरबार, में हाँ तेरे दीदार, कि मैं आऊंगा, कभी न फिर जाऊँगा...

ऐसा प्यार बहा दे मैया: भजन

ऐसा प्यार बहा दे मैया, चरणों से लग जाऊ मैं। सब अंधकार मिटा दे मैया..

चौसठ जोगणी रे भवानी: राजस्थानी भजन

चौसठ जोगणी रे भवानी, देवलिये रमजाय, घूमर घालणि रे भवानी, देवलिये रमजाय ॥ देवलिये रमजाय म्हारे, आंगणिये रमजाय..