Shri Ram Bhajan

गणेश विनायक जी की कथा - प्रेरक कहानी (Shri Ganesh Vinayak Ji Ki Katha)


गणेश विनायक जी की कथा - प्रेरक कहानी
Add To Favorites Change Font Size
एक गाँव में माँ-बेटी रहती थीं। एक दिन वह अपनी माँ से कहने लगी कि गाँव के सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं, मैं भी मेला देखने जाऊँगी। माँ ने कहा कि वहाँ बहुत भीड़ होगी कहीं गिर जाओगी तो चोट लगेगी। लड़की ने माँ की बात नहीं सुनी और मेला देखने चल पड़ी।
माँ ने जाने से पहले बेटी को दो लड्डू दिए और एक घण्टी में पानी दिया। माँ ने कहा कि एक लड्डू तो गणेश जी को खिला देना और थोड़ा पानी पिला देना। दूसरा लड्डू तुम खा लेना और बचा पानी भी पी लेना। लड़की मेले में चली गई। मेला खत्म होने पर सभी गाँववाले वापिस आ गए लेकिन लड़की वापिस नहीं आई।

लड़की मेले में गणेश जी के पास बैठ गई और कहने लगी कि एक लड्डू और पानी गणेश जी तुम्हारे लिए और एक लड्डू और बाकी बचा पानी मेरे लिए। इस तरह कहते-कहते सारी रात बीत गई।

गणेश जी यह देखकर सोचने लगे कि अगर मैने यह एक लड्डू और पानी नहीं पीया तो यह अपने घर नहीं जाएगी। यह सोचकर गणेश जी एक लड़के के वेश में आए और उससे एक लड्डू लेकर खा लिया और साथ ही थोड़ा पानी भी पी लिया फिर वह कहने लगे कि माँगो तुम क्या माँगती हो?

लड़की मन में सोचने लगी कि क्या माँगू? अन्न माँगू या धन माँगू या अपने लिए अच्छा वर माँगू या खेत माँगू या महल माँगू! वह मन में सोच रही थी तो गणेश जी उसके मन की बात को जान गए। वह लड़की से बोले कि तुम अपने घर जाओ और तुमने जो भी मन में सोचा है वह सब तुम्हें मिलेगा।

लड़की घर पहुँची तो माँ ने पूछा कि इतनी देर कैसे हो गई? बेटी ने कहा कि आपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया है और देखते ही देखते जो भी लड़की ने सोचा था वह सब कुछ हो गया।
सकट चौथ पौराणिक व्रत कथा - राजा हरिश्चंद्र | सकट चौथ व्रत कथा: एक साहूकार और साहूकारनी | सकट चौथ पौराणिक व्रत कथा: श्री महादेवजी पार्वती
यह भी जानें

Prerak-kahani Shri Ganesh Prerak-kahaniVinayak Prerak-kahaniGanesh Aur Bhakt Prerak-kahaniGanesh And Laddu Prerak-kahaniSakat Prerak-kahaniSakat Chauth Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

जब भक्त के लिए भगवान ने दी गवाही - साक्षी गोपाल मंदिर सत्य कथा

एक बूढ़ा ब्राह्मण तीर्थ यात्रा करना चाहता था। उनके स्वयं के बच्चे थे पर वो उनकी धर्म-कर्म वाली बातों का पालन नहीं करते थे।

सभी के कर्म एक समान नहीं हैं - प्रेरक कहानी

समाज में कभी एकरूपता नहीं आ सकती, क्योंकि हमारे कर्म कभी भी एक समान नहीं हो सकते। और जिस दिन ऐसा हो गया उस दिन समाज-संसार की सारी विषमतायें समाप्त हो जायेंगी।...

अंध-अनुसरण कैसे पनपता है?- प्रेरक कहानी

इंस्पेक्शन के दौरान उन्होंने देखा कि कैम्प एरिया के मैदान में दो सिपाही एक बैंच की पहरेदारी कर रहे हैं।..

दान का खूबसूरत रूप - प्रेरक कहानी

उम्‍मीद की कोई किरण नजर नहीं आई। तभी एक मजदूरन ने मुझे आवाज लगाकर अपनी सीट देते हुए कहा मेडम आप यहां बैठ जाइए।..

जब श्री कृष्ण बोले, मुझे कहीं छुपा लो - प्रेरक कहानी

एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी।...

प्रभु भोग का फल - प्रेरक कहानी

सेठजी के होश उड़ गए, वो तो बैठ गए वहीं पर। रात हो गई, सेठजी वहीं सो गए कि कहीं संतजी की तबियत बिगड़ गई तो कम से कम बैद्यजी को दिखा देंगे..

सूरदास जी की गुरु भक्ति - प्रेरक कहानी

सूर आज अंतिम घडी मे कहता है कि, मेरे जीवन का बाहरी और भीतरी दोनो तरह का अंधेरा मेरे गुरू वल्लभ ने ही हरा। वरना मेरी क्या बिसात थी। मै तो उनका बिना मोल का चेरा भर रहा।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP