श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: विभूतियोग - श्लोक 35 (Shrimad Bhagwat Geeta: Vibhuti Yog: Shlok 35)


बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् ।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः ॥भावार्थ: तथा सामवेदके प्रकरणोंमें जो बृहत्साम नामक प्रधान प्रकरण है वह मैं हूँ। छन्दोंमें मैं गायत्री छन्द हूँ अर्थात् जो गायत्री आदि छन्दोबद्ध ऋचाएँ हैं उनमें गायत्री नामक ऋचा मैं हूँ। महीनोंमें मार्गशीर्ष नामक महीना और ऋतुओंमें बसन्त ऋतु मैं हूँ।॥10.35॥
Granth Bhagwat Geeta GranthGeeta GranthVibhuti Yog GranthAdhyay 10 Granth
अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..