क्रोध मे हम, चिल्लाते क्यों हैं? - प्रेरक कहानी (Krodh Me Ham Chillate Kyon Hain)


एक बार एक संत ने अपने शिष्यों से पूछा: हम गुस्से में चिल्लाते क्यो हैं? जब हम खिन्न होते हैं, तो एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं?शिष्यों ने कुछ समय विचार किया और उनमें से एक शिष्य ने कहा: हम अपनी शांति खो देते हैं इसलिए चिल्लाते हैं।

संत ने पूछा: पर जब दूसरा व्यक्ति आपके पास ही खड़ा हों तो इतना चिल्लाना क्यों? क्या यह संभव नहीं कि हम उस व्यक्ति से नरम आवाज़ में बात करें? हम एक दूसरे पर क्यों चिल्लाते हैं जब हम क्रोधित होते हैं?

शिष्यों ने कई जवाब दिए पर किसी भी जवाब से संत संतुष्ट ना दिखाई दिये। अंत में उसने कहा, जब दो व्यक्ति एक दूसरे पर क्रोधित हों तो उनका हृदय बहुत दूर हों जाते हैं। इस दूरी को तय करने हेतु उन्हें चिल्लाना होता है ताकि वे एक दूसरे को सुन सके। वो जितना अधिक क्रोधित होते हैं उन्हें अपने हृदय की दूरी तय करने के लिये उतना ही चिल्लाना पड़ता हैं फिर संत ने पूछा, क्या होता है जब दो लोग एक दूसरे से प्रेम करते हैं?

वे एक दूसरे पर चिल्लाते नहीं बल्कि सौम्यता से बात करते हैं, क्योकि उनका हृदय बहुत करीब होता है। उनके बीच की दूरी बहुत कम होती हैं।

संत ने आगे कहा: जब वे लोग एक दुसरे से और ज्यादा प्रेम करते तब क्या होता हैं? वे कुछ बोलते नहीं बस फुसफुसाते हैं और एक दुसरे के प्रेम में और करीब आते जाते हैं। अंत में उन्हें फुसफुसाने की भी जरूरत नहीं होती, बस एक दुसरे को देखते हैं। इस तरह लोग करीब होते हैं जब वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं। जब आप किसी से बहस करें तो इसका ध्यान रखें कि आपका हृदय उनसे दूर न हो जाए, ऐसे शब्द ना कहें जिससे दूरी और बढ़ जाए, वर्ना कभी ऐसा दिन आ जायेगा कि दूरी इतनी बढ़ जायेगी कि आपको आने का रास्ता नहीं मिलेगा।

क्रोध से, हमारे साथ साथ हमारे आस पास के लोगों के शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक स्वास्थ्य को खतरा हो जाता है। क्रोध पर विजय पाने का केवल एक रास्ता है और वो है कि हम अपनी नियंत्रण करने की प्रवृत्ति का त्याग करें और श्रीकृष्ण ही सबसे बड़े नियंत्रक हैं, ये स्वीकार करें।

हम प्रार्थना करें कि हम क्रोध का ग्रास ना बनें, तथा सभी जीवों से मित्रवत सम्बन्ध रखते हुए उन्हे परमात्मा के अंश के रूप में देख सके।
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

भगवान की गोद में सिर - प्रेरक कहानी

एक लड़की ने, एक सन्त जी को बताया कि मेरे पिता बहुत बीमार हैं और अपने पलंग से उठ भी नहीं सकते क्या आप उनसे मिलने हमारे घर पे आ सकते हैं।

जीवन की ठक-ठक चलती ही रहेगी - प्रेरक कहानी

एक आदमी घोड़े पर कहीं जा रहा था। घोड़े को जोर की प्यास लगी थी। दूर कुएं पर एक किसान बैलों से रहट चलाकर खेतों में पानी लगा रहा था।...

संसार के सभी प्राणी अपूर्ण हैं - प्रेरक कहानी

राजा फल को देखते ही पहचान गया और भौंचक रह गया। पूछताछ करने से जब पूरी बात मालूम हुई, तो उसे वैराग्य हो गया...

सर्वश्रेष्ठ हो, बस वही ईश्वर को समर्पित हो - प्रेरक कहानी

उस राज्य की राजकुमारी भगवान के आगे अपना मुंडन करवा रही थी और वहाँ पर एक किसान जिसके स्वयं के वस्त्र फटे हुये थे पर वो कुछ लोगों को नये नये वस्त्र दान कर रहा था।

कर्म महत्वपूर्ण है - प्रेरक कहानी

उसकी नजर एक मरे हुए सांप पर पड़ी। उसने एक लाठी पर सांप को लटकाया और घर की और जाते हुए सोचने लगा, इसे देखकर पत्नी डर जाएगी और आगे से काम पर जाने के लिए नहीं कहेगीं।...