एक मान्यता यह भी है कि बैजू नामक एक चरवाहे ने इस ज्योतिर्लिंग की खोज की थी और उसी के नाम पर इस जगह का नाम बैद्यनाथ धाम पड़ा।
एक और मान्यता के अनुसार रावण भगवान शिव के लिंग को लंका में स्थापित करने की उद्देश्य से जा रहा था. मार्ग मे लघुशंका के कारण, उसने शिवलिंग किसी बैजू नामक चरवाहे को पकड़ा दी। शिवलिंग इतने भारी हो गए कि उन्हें वहीं पृथ्वी पर रख देना पड़ा। वे वहीं पर स्थापित हो गए। रावण उन्हें अपनी नगरी तक नहीं ले जाया पाया।
दोनों ही मान्यताओं के अनुसार बैद्यनाथ धाम स्थापित में बैजू की अहम भूमिका रही।अभी का यह बैजू मंदिर बैजू चरवाहे का निवास स्थान था। मंदिर के महंत श्याम जी गोस्वामी के अनुसार बैजू चरवाहा कोई और नहीं स्वयं भगवान विष्णु ही थे।
बैजू मंदिर देवघर के प्रसिद्ध शीतला माता मंदिर से लगभग सामने(50मीटर दूर) ही है।बैजू मंदिर ज्योतिर्लिंग मंदिर से 700 मीटर दूर ही स्थापित है। देवघर का प्रसिद्ध और व्यस्त घंटाघर, मंदिर से लगभग 300-400 मीटर ही दूर स्थित है।
Baiju Mahadev Shivling
Baiju Mandir
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