Shri Krishna Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

ईर्ष्यालु व्यक्ति, किसी को सुखी-संपन्न नहीं देख सकता है - प्रेरक कहानी (Erashaylu Vyakti Kisio Ko Sukhi Sampann Nahi Dekh Sakata Hai)


Add To Favorites Change Font Size
एक महिला कुबड़ी थी जिसकी वजह से वह झुककर चलती थी। सभी लोग उसका उपहास उड़ाते थे। बच्चे तो जब-तब उसे 'कुबड़ी-कुबड़ी' कहकर परेशान करते रहते थे। एक दिन वह कहीं जा रही थी कि सहसा रास्ते में उसकी भेंट नारद जी से हो गई। नारद ने उस महिला पर तरस खाते हुए कहा, 'आओ बहन! मेरे पास आओ। मैं अपने योगबल से तुम्हारा कूबड़ ठीक कर दूंगा।' महिला बोली, 'भगवान! आप अंतर्यामी हैं।
आप तो जानते ही है कि लोग मेरा कितना मजाक उड़ाते हैं। मुझे सदैव यह कहकर चिढ़ाते रहते हैं कि, देखो वह कुबड़ी जा रही है। यदि आप मुझ पर मेहरबानी कर ही रहे हैं तो मेरे कूबड़ की फिक्र मत कीजिए। आप बस इतना कर दीजिए कि जो लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं, उन सबके भी कूबड़ निकल आए।' नारद जी ने उस महिला का उत्तर सुना तो हक्के-बक्के रह गए।

आश्चर्यचकित होकर बोले, 'बहन, दूसरों के कूबड़ निकल आने से तुम्हें क्या मिलेगा/' बुढ़िया बोली, 'मैं उन्हें भी अपनी तरह चलते और दूसरों द्वारा उपहास होते देखूंगी तो मन को शांति मिलेगी।' नारद जी सोचने लगे यह महिला चाहती तो मेरी कृपा से अपना कूबड़ ठीक करा सकती थी। लेकिन उसने हाथ आए अवसर को दूसरों के नुकसान के रूप में ही भुनाने की कामना की।


ईर्ष्यालु व्यक्ति की प्रकृति यही होती है कि वह दूसरों को सुखी-संपन्न देखकर उनके जैसा उन्नत, संपन्न और सुखी होने की प्रेरणा ग्रहण नहीं करता, बल्कि सुखी लोगों को दुखी करने और नीचे गिराने का प्रयास करता है। बुढ़िया का मनोरथ पूरा करने का उनका कोई इरादा नहीं था। बोले, 'मैं तो तुम्हारा भला करने की सोच रहा था, दूसरों का बुरा कर पाप का भागी क्यों बनूं' और अंतर्धान हो गए। अब बुढ़िया अपनी कूबड़ के साथ पहले जैसी ही चाल में चली जा रही थी।
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

कर्म फल भोगते हुए भी दुःखी नहीं हों - प्रेरक कहानी

कर्मफल का भोग टलता नहीं: राजकुमार का सिर कट गया और वह मर गया। राजकन्या पति के मरने का बहुत शोक करने लगी...

जीवन एक प्रतिध्वनि है - प्रेरक कहानी

जीवन एक प्रतिध्वनि है आप जिस लहजे में आवाज़ देंगे पलटकर आपको उसी लहजे में सुनाईं देंगीं। न जाने किस रूप में मालिक मिल जाये...

भगवान को आपके धन की कोई आवश्यकता नहीं - प्रेरक कहानी

पुरानी बात है एक सेठ के पास एक व्यक्ति काम करता था। सेठ उस व्यक्ति पर बहुत विश्वास करता था। जो भी जरुरी काम हो सेठ हमेशा उसी व्यक्ति से कहता था...

अठावन घड़ी कर्म की और दो घड़ी धर्म की - प्रेरक कहानी

एक नगर में एक धनवान सेठ रहता था। अपने व्यापार के सिलसिले में उसका बाहर आना-जाना लगा रहता था। एक बार वह परदेस से लौट रहा था। साथ में धन था, इसलिए तीन-चार पहरेदार भी साथ ले लिए।

जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है - प्रेरक कहानी

एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान: आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे, एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बनकर खड़ा हो जाता हूँ, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ।

प्रेरक कहानी - व्यक्तित्व राव हम्मीर - 7 जुलाई जन्म दिवस

भारत के इतिहास में राव हम्मीर को वीरता के साथ ही उनकी हठ के लिए भी याद किया जाता है। उनकी हठ के बारे में कहावत प्रसिद्ध है...

किसका पुण्य बड़ा? - प्रेरक कहानी

मिथलावती नाम की एक नगरी थी। उसमें गुणधिप नाम का राजा राज करता था। उसकी सेवा करने के लिए दूर देश से एक राजकुमार आया।

Aditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya Stotra
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP