Shri Hanuman Bhajan

जब चंदन का बाग बना कोयला? - प्रेरक कहानी (Jab Chandan Ka Bag Bana Koyala)


Add To Favorites Change Font Size
एक राजा जो बहुत परोपकारी थे, उनके पास बहुत ही सुन्दर और विशाल चन्दन का बाग था जिससे हर वर्ष उनको सहस्त्रों रूपये का चन्दन अन्य देशावरों को जाता जिससे तेल और इत्र तैयार किये जाते थे।
एक रोज, राजा उनके सैनिकों के साथ घोड़ों पर सवार होकर अपने प्रजाजन का हाल जानने के उद्देश्य से अपने महल से निकले। लौटते समय बहुत अँधेरे होने के कारण वो मार्ग से भटक गए और एक घने जंगल में जा पहुँचे। उन्होंने जंगल में एक भील और उनकी पत्नी को झोपड़ी बनाये रहते हुए देखा।

राजा को अपने समीप देखकर भील ने बड़े ही स्नेह पूर्वक उनका आदर सत्कार किया, और सभी सैनिकों और राजा के लिए जल, आसन, फल, कंद-मूल का प्रबंध किया.. राजा ने बहुत सुखपूर्वक रात्रि वहाँ बिताई।

प्रातः काल जब राजा जाने के लिए तैयार हुए तब उन्होंने भील से पुछा- तुम अपनी जीविका यहाँ किस प्रकार से चलाते हो?
भील ने कहा- महाराज, मैं रोज वन से लकड़ी काटता हूँ और उसका कोयला तैयार करता हूँ, उसी को बाद में बेचकर अपना जीवन निर्वाह करता हूँ।

राजा ने कहा- हम तुमसे बहुत बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हैं! यदि तुम हमारे नगर में चलकर रहो तो हमें बहुत प्रसन्नता होगी।
भील ने कहा- महाराज! मुझे नगर का माहौल पसंद नहीं है, वन जीवन ही मुझे ज्यादा आनंददायी प्रतीत होता है।

राजा ने कहा- ठीक है! हम अपना बहुत बड़ा चन्दन का बाग तुमको देते हैं, वहीँ जाकर तुम अपना जीवन निर्वाह करो, ये तुम्हारे लिए बहुत अच्छा रहेगा। और यदि तुमने अच्छे ढंग से मेहनत की तो तुम्हारा वंश-वन्शांतर उसी बगिया से सुखपूर्वक अपना जीवन निर्वाह करता रहेगा। भील का खुशी का ठिकाना न था। राजा की इस उदारता की सराहना करते हुए वह चन्दन के बाग को चल दिया और वहीँ पर अपनी कुटिया बनाकर रहने लगा।

भील को चन्दन के बाग में रहते हुए एक वर्ष हो चुके थे। राजा ने सोचा क्यों न आज चन्दन के बाग की सैर कर आऊँ! और अपने कृपापात्र भील को वहाँ देखूं, अब तो वह बड़ा ही अमीर हो गया होगा। हजारों रूपये साल की आमदनी पाकर अब तो वह बड़े ही ठाट बाट से रहता होगा।

राजा चंदन की बाग पर पहुंचकर देखते क्या हैं कि पूरा चन्दन का बाग उजड़ चूका है और कुछ ही पेड़ बचे हुए हैं बाकी सब तरफ कोयला का खदान बन चूका है। राजा को भील से ऐसी उम्मीद नहीं थी, वो यह दृश्य देखकर बहुत दुखी हुए। उन्होंने थोड़ा आगे बढ़कर भील से पुछा- यहाँ यह क्या कर दिया तुमने? बगिया कैसे उजड़ गई? और तुम्हारी दशा क्या है?

भील बोला- महाराज! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने मुझे यह बाग दिया, पहले मुझको वन में जाकर लकड़ी काटने पड़ते और कोयले बनाकर कोशों चलकर आता था। लेकिन अब यहाँ पास ही लकड़ी काट लेता हूँ, और कोयला बनाकर नगर में बेच आता हूँ परन्तु अब दो पेड़ ही शेष बचे हैं कृपया कोई दूसरी वाटिका हमें बताइए जिससे वहाँ जाकर मैं डेरा लगा सकूं!

इतना सुनते ही राजा क्रोध से काँपने लगा और भील की मूर्खता पर बहुत ही ज्यादा दुखी हुआ
राजा ने भील से कहा- अरे मुर्ख! तुमने इस लाखों की संपत्ति का नाश कर दिया और अब दूसरी वाटिका की उम्मीद करते हो! तू जा और उसी जंगल में अपना जीवन यापन कर!

भील बोला- क्यों, क्या हुआ महाराज? मैंने क्या अपराध किया है? लकड़ियों को कोयले के सिवाय और किस कार्य में लाया जा सकता है?

राजा ने कहा- अच्छा! जाओ इस बचे हुए वृक्ष में से एक छोटी-सी लकड़ी काट लो और इसे बाजार में पंसारी के यहाँ बेच आओ! भील बाजार में पहुंचा और पंसारी को एक छोटी-सी लकड़ी का टुकड़ा दिया। पंसारी ने लकड़ी के उचित दाम दिए। अब भील अपने पिछले किये हुए काम पर बहुत ज्यादा पछताने लगा। आज जरा-सी लकड़ी ने उसे एक दिन की पूरी कमाई उसके हाथ में रख दी थी और उसका समय भी बचा था!

भील रोनी सूरत लिए राजा के पास गया और उनके चरणों में गिरकर कहने लगा- महाराज! कृपया मुझे क्षमा करें, मैंने स्वयं का नाश कर डाला। अब क्या करूँ कृपया मेरा मार्गदर्शन कीजिये!

राजा को उसके विलाप पर दया आ गई और उसने कहा- ठीक है! तुमने जो मूर्खता की है उसे अब सुधार लो, बचे हुए वृक्षों से और वृक्ष बढाओ, खर्च के लिए थोड़ा-सा काट लिया करो और इसके ज्यादा पेड़ लगाते रहो थोड़े ही दिनों में फिर चन्दन की बगिया तैयार हो जायेगी।

हम सबकी Life उस चन्दन बाग की तरह है और हमारी सांसें चन्दन के वृक्ष के समान हैं लेकिन बड़ी दुःख की बात है कि हम अपने लाइफ को अपने कीमत से बहुत कम आँक रहे हैं, हम सबके अंदर चंदन रुपी एक Quality है लेकिन हम सब इसे एक सामान्य लकड़ी Means एक सामान्य जीवन के रूप में ही जीने को तैयार हो रहे हैं। जबकि हम सबको पता है कि हमारे अंदर अदभुत टैलेंट हैं लेकिन हम क्यों अपने सपने को मार रहे हैं, हम क्यों अपनी वैल्यू नहीं समझ रहे हैं.. हमें दोबारा मनुष्य रुपी चंदन का बाग नसीब नहीं होने वाला इसलिए हमारे पास जितने भी साँस रुपी पेड़ बचे हैं उनका भरपूर फायदा उठाना होगा और अपनी लाइफ को Successful बनाना होगा ताकि हमें हर जन्म में चन्दन बगिया अर्थात मनुष्य जीवन नसीब हो और इसके हर एक पेड़ का हम सफलतापूर्वक उपयोग कर सकें!
यह भी जानें

Prerak-kahani Raja Prerak-kahaniKing Prerak-kahaniBheel Prerak-kahaniChandan Ka Bagh Prerak-kahaniKoyala Prerak-kahaniBheel Ki Murkhata Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

भक्त के अधीन भगवान - सदना कसाई की कहानी

एक कसाई था सदना। वह बहुत ईमानदार था, वो भगवान के नाम कीर्तन में मस्त रहता था। यहां तक की मांस को काटते-बेचते हुए भी वह भगवान नाम गुनगुनाता रहता था।

भगवान की लाठी तो हमेशा तैयार है - प्रेरक कहानी

एक बुजुर्ग दरिया के किनारे पर जा रहे थे। जहरीले बिच्छु ने दरिया के अन्दर छलांग लगाई..

तुलसीदास जी द्वारा विप्रचंद ब्राह्मण पर कृपा - सत्य कथा

एक बार एक विप्रचंद नामक ब्राह्मण से हत्या हो गयी और उस हत्या के प्रायश्चित के लिये वह अनेक तीर्थों में घूमता हुआ काशी आया।

नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे

एक बार की बात है, वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे। नारायण नारायण !! नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है। हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि! कहाँ जा रहे हो?

सच्चे गुरु के बिना बंधन नहीं छूटता - प्रेरक कहानी

एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि राम कहे तो बंधन टूटे। तभी पिंजरे में बंद तोता बोलता, यूं मत कहो रे पंडित झूठे।

महाभारत के युद्ध में भोजन प्रबंधन

आर्यावर्त के समस्त राजा या तो कौरव अथवा पांडव के पक्ष में खड़े दिख रहे थे। श्रीबलराम और रुक्मी ये दो ही व्यक्ति ऐसे थे जिन्होंने इस युद्ध में भाग नहीं लिया।

कुछ लोग ही कृष्ण की ओर बढ़ते हैं - प्रेरक कहानी

भोजन की गंध पाने पर तालाब से पांच छह बतखें उनके पास आकर पुकारने लगी क्वेक, क्वेक प्रभुपाद ने बड़े स्नेह से उन बतखों को भोजन दिया...

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
×
Bhakti Bharat APP