Shri Krishna Bhajan

सत्संग के महत्व - प्रेरक कहानी (Satsang Ke Mahatv)


Add To Favorites Change Font Size
एक युवक प्रतिदिन संत का सत्संग सुनता था। एक दिन जब सत्संग समाप्त हो गए, तो वह संत के पास गया और बोला:
महाराज! मैं काफी दिनों से आपके सत्संग सुन रहा हूं, किंतु यहां से जाने के बाद मैं अपने गृहस्थ जीवन में वैसा सदाचरण नहीं कर पाता, जैसा यहां से सुनकर जाता हूं। इससे सत्संग के महत्व पर शंका भी होने लगती है। बताइए, मैं क्या करूं?

संत ने युवक को बांस की एक टोकरी देते हुए उसमें पानी भरकर लाने के लिए कहा। युवक टोकरी में जल भरने में असफल रहा।

संत ने यह कार्य निरंतर जारी रखने के लिए कहा। युवक प्रतििदन टोकरी में जल भरने का प्रयास करता, किंतु सफल नहीं हो पाता। कुछ दिनों बाद संत ने उससेे पूछा, इतने दिनों से टोकरी में लगातार जल डालने से क्या टोकरी में कोई फर्क नजर आया ?

युवक बोला: एक फर्क जरूर नजर आया है। पहले टोकरी के साथ मिट्टी जमा होती थी, अब वह साफ दिखाई देती है। कोई गंदगी नहीं दिखाई देती और इसके छेद पहले जितने बड़े नहीं रह गए, वे बहुत छोटे हो गए हैं।

तब संत ने उसे समझाया, यदि इसी तरह उसे पानी में निरंतर डालते रहोगे, तो कुछ ही दिनों में ये छेद फूलकर बंद हो जाएंगे और टोकरी में पानी भर पाओगे।

इसी प्रकार जो लगातर सत्संग जाते हैं, उनका मन एक दिन अवश्य निर्मल हो जाता है, अवगुणों के छिद्र भरने लगते हैं और गुणों का जल भरने लगता है। युवक ने संत से अपनी समस्या का समाधान पा लिया।

निरंतर सत्संग से दुर्जन भी सज्जन हो जाते हैं। क्योंकि महापुरुषों की पवित्र वाणी उनके मानसिक विकारों को दूर कर उनमें सदविचारों का आलोक प्रसारित कर देती है।
यह भी जानें

Prerak-kahani Satsang Prerak-kahaniSant Prerak-kahaniGuru Prerak-kahaniPravachan Prerak-kahaniGuruvani Prerak-kahaniSajjan Purush Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

सच्चे देशभक्त की निष्ठा - प्रेरक कहानी

गुलजारीलाल नंदा को मकान मालिक ने किराया न दे पाने पर किराए के मकान से निकाल दिया। बूढ़े के पास एक पुराना बिस्तर, कुछ एल्युमीनियम के बर्तन, एक प्लास्टिक की बाल्टी और एक मग आदि के अलावा शायद ही कोई सामान था।

दो पैसे के काम के लिए तीस साल की बलि - प्रेरक कहानी

स्वामी विवेकानंद एक बार कहीं जा रहे थे। रास्ते में नदी पड़ी तो वे वहीं रुक गए क्योंकि नदी पार कराने वाली नाव कहीं गई हुई थी।...

भगवन को आपकी एक सुई की भी चिंता है - प्रेरक कहानी

एक गांव में कृष्णा बाई नाम की बुढ़िया रहती थी वह भगवान श्रीकृष्ण की परमभक्त थी। वह एक झोपड़ी में रहती थी।

शांति कहाँ मिलेगी - प्रेरक कहानी

एक समय कि बात है, भगवान विष्णु सभी जीवों को कुछ न कुछ चीजें भेट कर रहे थे। सभी जीव भेंट स्वीकार करते और खुशी-खुशी अपने निवास स्थान के लिए प्रस्थान करते।

...हम माँग नही पाते प्रभु से - प्रेरक कहानी

एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गांवो में घूम रहा था। घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया...

मैं सावंरे की कुदरत से हैरान हूँ - प्रेरक कहानी

वृंदावन शहर में एक वैघ थे, जिनका मकान भी बहुत पुराना था। वैघ साहब अपनी पत्नी को कहते कि जो तुम्हें चाहिए एक चिठ्ठी में लिख दो दुकान पर आकर पहले वह चिठ्ठी खोलते।

राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न भाइयों का प्यार

राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों के बचपन का एक प्रसंग है! जब ये लोग खेलते थे तो लक्ष्मण राम की तरफ उनके पीछे होता था..

Aditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya Stotra
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP