Shri Krishna Bhajan

सुकर्म का फल सूद सहित मिलता है - प्रेरक कहानी (Sukarm Ka Phal Sood Sahit Milata Hai)


Add To Favorites Change Font Size
इन्सान जैसा कर्म करता है, कुदरत या परमात्मा उसे वैसा ही उसे लौटा देता है।
एक बार द्रोपदी सुबह तड़के स्नान करने यमुना घाट पर गयी भोर का समय था। तभी उसका ध्यान सहज ही एक साधु की ओर गया जिसके शरीर पर मात्र एक लँगोटी थी। साधु स्नान के पश्चात अपनी दुसरी लँगोटी लेने गया तो वो लँगोटी अचानक हवा के झोंके से उड़ पानी में चली गयी ओर बह गयी।

सँयोगवश साधु ने जो लँगोटी पहनी वो भी फटी हुई थी। साधु सोच मे पड़ गया कि अब वह अपनी लाज कैसे बचाए। थोड़ी देर में सुर्योदय हो जाएगा और घाट पर भीड बढ़ जाएगी।

साधु तेजी से पानी के बाहर आया और झाड़ी में छिप गया। द्रोपदी यह सारा दृश्य देख अपनी साडी जो पहन रखी थी, उसमे आधी फाड़ कर उस साधु के पास गयी ओर उसे आधी साड़ी देते हुए बोली- तात मैं आपकी परेशानी समझ गयी। इस वस्त्र से अपनी लाज ढँक लीजिए।

साधु ने सकुचाते हुए साड़ी का टुकड़ा ले लिया और आशीष दिया। जिस तरह आज तुमने मेरी लाज बचायी उसी तरह एक दिन भगवान तुम्हारी लाज बचाएंगे। और जब भरी सभा मे चीरहरण के समय द्रोपदी की करुण पुकार नारद ने भगवान तक पहुंचायी तो भगवान ने कहा- "कर्मों के बदले मेरी कृपा बरसती है, क्या कोई पुण्य है द्रोपदी के खाते में.?"

जाँचा परखा गया तो उस दिन साधु को दिया वस्त्र दान हिसाब में मिला, जिसका ब्याज भी कई गुणा बढ़ गया था।

जिसको चुकता करने भगवान पहुंच गये द्रोपदी की मदद करने, दुस्सासन चीर खींचता गया और हजारों गज कपड़ा बढ़ता गया। इंसान यदि सुकर्म करे तो उसका फल सूद सहित मिलता है, और दुष्कर्म करे तो सूद सहित भोगना पड़ता है।
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

जो आपका नहीं, उसके लिए दुख क्यों? - प्रेरक कहानी

एक आदमी सागर के किनारे टहल रहा था। एकाएक उसकी नजर चांदी की एक छड़ी पर पड़ी, जो बहती-बहती किनारे आ लगी थी। वह खुश हुआ और झटपट छड़ी उठा ली। अब वह छड़ी लेकर टहलने लगा।...

जगत में सबसे सुंदर कौन - प्रेरक कहानी

एक कौआ सोचने लगा कि पंछियों में मैं सबसे ज्यादा कुरूप हूँ। न तो मेरी आवाज ही अच्छी है..

भाव से बढ़कर कोई पूजा नहीं - प्रेरक कहानी

एक करोड़पति बहुत अड़चन में था। करोड़ों का घाटा लगा था, और सारी जीवन की मेहनत डूबने के करीब थी! नौका डगमगा रही थी। कभी मंदिर नहीं गया था, कभी प्रार्थना भी न की थी। फुर्सत ही नहीं मिली थी।

तुलसीदास जी कुटिया पर श्री राम लक्षमण का पहरा - सत्य कथा

उन वीर पाहरेदारों की सावधानी देखकर चोर बडे प्रभावित हुए और उनके दर्शन से उनकी बुद्धि शुद्ध हो गयी।

शिशु प्रेम लेकर तो आता है - प्रेरक कहानी

भाषा के शब्द भी प्रतीक हैं, हाव-भाव या चित्र भी प्रतीक हैं। किस चीज के प्रतीक? ऑडियो-विजुअल माध्यमों (पुस्तकों, प्रवचनों, चित्रों या चलचित्रों) द्वारा हम जो कुछ भी सिखाते हैं..

छोटी सी गौरैया का श्रीकृष्ण पर विश्वास - प्रेरक कहानी

भगवन बोले: अपने घोंसले में तीन सप्ताह के लिए भोजन का संग्रह करो। आइये हम भी तब तक इस घंटी के नीचे विश्राम करे जब तक ये हमारे लिए उठाई ना जाये...

आचरण बड़ा या ज्ञान? - प्रेरक कहानी

राजपुरोहित ने फिर से रत्न चुरा लिए। बात राजा तक पहुंचीं और राजा ने जांच कराई, तथा राजपुरोहित की सच्चाई सामने आईं।..

Om Jai Jagdish Hare Aarti - Om Jai Jagdish Hare Aarti
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP