हनुमान मंदिर, कनाट प्लेस - Hanuman Mandir, Connaught Place

मुख्य आकर्षण - Key Highlights

◉ दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध बाल हनुमान मंदिर।
◉ पांडवों ने कुरुक्षेत्र को जीतने के बाद मंदिर की स्थापना की।
◉ तुलसीदास ने हनुमान चालीसा इसी पवित्र स्थान के दर्शन कर किया।
◉ निरंतर जाप के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स मे नाम।
◉ मुगल बादशाह अकबर भी बाल हनुमान की प्रार्थना करने आते थे।
प्राचीन हनुमान मंदिर, महाभारत काल से बाल हनुमान को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। यह दिल्ली में पांडवों द्वारा स्थापित पांच मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर में श्री राम, जय राम, जय जय राम मंत्र का जप 1 अगस्त 1964 से लगातार 24 घंटे किया जा रहा है, इस कारण मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।

मंदिर का इतिहास:
वर्तमान हनुमान मंदिर का स्वरूप सन 1724 में श्रद्धालुओं के सम्मुख आया जब तत्कालीन जयपुर रियासत के महाराज जयसिंह ने इसका फिर से जीर्णोद्धार करवाया. उसके पूर्व कनाट प्लेस स्थित भगवान हनुमान का ये दिव्य मंदिर आक्रमण और आततायी अत्याचार के तमाम झंझावातों से भी जूझता रहा था. मुगल शासकों के दौर में इस मंदिर पर कई आक्रमण होने की भी कहानियां भी मंदिर के महंत और श्रद्धालु सुनाते हैं. लेकिन अपने आप में ये बात भी उतनी ही चमत्कार और श्रद्धापूर्ण है कि हनुमान मंदिर के इस बालरूप को कभी भी कोई क्षति नहीं पहुंचा सका. मंदिर के महंत जिनकी पिछली 33 पीढ़ियां यहां बालरूप हनुमान की सेवा करती आ रही हैं बताते हैं कि कनाट प्लेस के हनुमान मंदिर में आने भक्तों पर बजरंगबली की हमेशा से कृपादृष्टि बरसती रहती है. विधिपूर्वक पूजित होने पर कनाट प्लेस के बजरंगबली सभी मनोरथों की पूर्ति करने वाले सुख समृद्धि की पूर्ति करने वाले हैं. बजरंग बली के इस बालरूप के पूजन की एक और विशेषता है मोदक, लड्डू चढ़ाने वाले भक्तों पर ये विशेष मुदित होते हैं।

ऐतिहासिक संदर्भों के साथ-साथ इस मंदिर से सर्वधर्म समभाव और सांप्रदायिक एकता की कई मिसालें भी इस मंदिर के साथ जुड़ी हुई हैं. कहा जाता है कि मुगल बादशाह अकबर को जब काफी समय तक पुत्र प्राप्ति नहीं हुई तब वे कनाट प्लेस के इस मंदिर में आए और पूरी आस्था के साथ पुत्ररत्न की कामना की । और अंतत बजरंग बली की कृपा से सलीम के रूप में उनकी मुराद पूरी हुई. सौहार्द्र की मिसाल के तौर पर मंदिर के विमान पर आज भी ओम अथवा कलश के स्थान पर चांद का चिन्ह अवस्थित है. इस मंदिर की तमाम विशेषताओं में सबसे उल्लेखनीय तथ्य यह है कि ये हनुमानजी के बाल्यकाल को दर्शाने वाले देश का सबसे प्रमुख मंदिर है। यहां बाल हनुमान के एक हाथ में खिलौना और दूसरा हाथ उनके सीने पर है. ये महावली वीरवर बजरंगबली का ही प्रताप है कि इस मंदिर में 1 अगस्त 1964 से आज तक लगातार श्री राम जयराम जय जय राम का जाप जारी है. जिसके लिए इसे गिनीज बुक में भी शामिल किया गया है।

शिल्पकला की दृष्टि भी ये मंदिर बेहद उत्कृष्ट कोटि का है. इसके मुख्य द्वार का वास्तुशिल्प रामायण में वर्णित कला के अनुरूप है. मुख्य द्वार के स्तंभों पर संपूर्ण सुंदरकांड की चौपाइयां खुदी हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि रामचरित मानस जैसा ऐतिहासिक धर्मग्रंथ लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदास 16वीं सदी में जब दिल्ली आए तब वे इस मंदिर में भी दर्शन को आए थे. कहा जाता है कि यही वो पवित्र स्थान है जहां से उन्हें 40 चौपाइयों की हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मिली .ऐसे संकट मोचन प्रभु श्री हनुमान का स्तवन मानव मात्र के आधि-व्याधि-शोक-संताप-ज्वर का प्रशमन कर विजय प्रदान करने वाला है। जो भी भक्त मन में साध लिए सात शनिवार तक लगातार यहां परिक्रमा करने आता है वो भक्त निश्चय ही मनोवांछित फल पाता है।

दिल्ली के दिल यानी कनाट प्लेस के बाबा खड़ग सिंग मार्ग पर स्थित यह मंदिर कई मायनों में विशिष्ट इसलिए भी है कि इसके एक तरफ गुरुद्वारा बंगला साहिब स्थित है तो वहीं थोड़ी ही दूरी पर मस्जिद और चर्च भी हैं. सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को मंदिर में चोला चढ़ाने की खास परंपरा है. चोला चढ़ावे में श्रद्धालु घी, सिंदूर, चांदी का वर्क और इत्र की शीशी का इस्तेमाल करते हैं. कनाट प्लेस के हनुमान मंदिर की एक अद्भुद चमत्कारिक विशेषता है यहां हनुमानजी लगभग दस साल बाद अपना चोला छोड़कर अपने प्राचीन स्वरूप में आ जाते हैं।

इसके अतिरिक्त साल में चार तिथियां इस मंदिर के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं. दीपावली, हनुमान जयंती, जन्माष्टमी, और शिवरात्रि के दिन मंदिर में बाल हनुमान का विशेष श्रृंगार किया जाता है. इस दिन भगवान को सोने का श्रंगार किया जाता है। यहां मनौती मानने वाले भक्त बड़ी संख्या में संसारभर से आते हैं और मनौती पूर्ण होने पर भगवान को सवामनी चढ़ाते हैं।

कनाट प्लेस देश और दिल्ली का व्यावसायिक केंद्र होने के साथ ही धर्म और आस्था का भी केंद्र है। और इसमें हनुमान मंदिर की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसका सबूत हैं यहां हर दिन दर्शन करने वाले लाखो भक्त। इस लिहाज से कनाट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर पर्यटन और धार्मिक पर्यटन में महतवपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अमूमन देश विदेश से आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु इस मंदिर में शीश झुकाना नहीं भूलते। मंगलवार और शनिवार भगवान हनुमान के पूजन के दो विशेष दिन हैं। इन दिनों में मंदिर 24 घंटे के लिए खुला होता है। भगवन की आराधना में जलने वाली अखंड ज्योति यहां हमेशा जलती रहती है।
प्रचलित नाम: प्राचीन हनुमान मंदिर
Hanuman Mandir, Connaught Place - Read In English
Prachin Hanuman Mandir is an ancient temple dedicated to Bal Hanuman from the Mahabharata period. It is claimed to be one of the five temples of Mahabharata days in Delhi.

जानकारियां - Information

दर्शन समय
Tuesday, Saturday: 4:00 AM - All Night; Other Days: 4:00 AM - 11:00 PM
मंत्र
श्री राम, जय राम, जय जय राम॥
त्योहार
धाम
Main Bhawan: Shri Radha KrishnaShri Ram SitaShri Bal Hanuman JiOuter> Mata Rani in Vishal RoopPanchmukhi Hanuman JiMaa SarswatiMaa LakshmiShri Ganesh JiShivling with GanMaa GayatriBhagwan KalkiSai BabaBaba Balakn
बुनियादी सेवाएं
Drinking Water, Prasad, Puja Samagri, Shoe Store
धर्मार्थ सेवाएं
धर्मशाला
संस्थापक
पांडव, महाराज जयसिंह (नवीनीकरण)
स्थापना
महाभारत के समय से, 1724 (नवीनीकरण)
देख-रेख संस्था
श्री हनुमान जी महाराज मंदिर ट्रस्ट
समर्पित
श्री हनुमान
फोटोग्राफी
🚫 नहीं (मंदिर के अंदर तस्वीर लेना अ-नैतिक है जबकि कोई पूजा करने में व्यस्त है! कृपया मंदिर के नियमों और सुझावों का भी पालन करें।)
नि:शुल्क प्रवेश
हाँ जी

कैसे पहुचें - How To Reach

पता 📧
Palika Kendra, Hanuman Road Area, Connaught Place Delhi New Delhi
सड़क/मार्ग 🚗
Hanuman Road
रेलवे 🚉
New Delhi
हवा मार्ग ✈
Indira Gandhi International Airport, New Delhi
नदी ⛵
Yamuna
सोशल मीडिया
निर्देशांक 🌐
28.630047°N, 77.214945°E

क्रमवद्ध - Timeline

Mahabharata Period

After won the mahabharat Pandavas foundation several temples, Bal Hanuman temple is one of them.

1532–1623

During his spiritual visit of Delhi, Tulsidas stay this holy place and written Hanuman Chalisa in this temple.

1562–1605

Mughal emperor Akba offer a silver moon, which is placed on the top of Hanuman temple.

1560-1614

Maharaj Mansing First build present structure of mandir.

1724

Renovate by Maharaj Jaisingh from Jaipur.

1964

Guinness Book of world records for continuous japa of

20 January 2010

Shri Goswami Tulsidas Ji stableshed leftmost of main outer hall entrance.

फोटो प्रदर्शनी - Photo Gallery

A side view of Prachin Hanuman Mandir

Full front view of Prachin Hanuman Mandir

Peepal tree with Prachin Hanuman Mandir

Random view of Prachin Hanuman Mandir

Main shikhar with half moon offer by mughal emperor Akbar, which is also visible in night view.

Main entry gate of Prachin Hanuman Mandir from Hanuman Vatika.

वीडियो - Video Gallery

हनुमान मंदिर, कनाट प्लेस गूगल के मानचित्र पर

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अगला मंदिर दर्शन - Next Darshan

Updated: Aug 29, 2023 00:12 AM

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