हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से प्रारंभ हो रही है, जो 30 मार्च 2023 को समाप्त होगी। पंचांग के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के पहले दिन बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है, जिसमें मां दुर्गा अपने भक्तों के घर पधारेंगे। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 प्रमुख रूपों की पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि 2023 घट स्थापना शुभ मुहूर्त
❀ हिन्दू पंचांग में कहा गया है कि घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है। घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव मीन लग्न के दौरान है। प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ मार्च 21, 2023 को 10:52 PM, प्रतिपदा तिथि समाप्त - मार्च 22, 2023 को 08:20 PM और मीन लग्न प्रारम्भ - मार्च 22, 2023 को 06:23 AM, मीन लग्न समाप्त - मार्च 22, 2023 को 07:32 AM बजे है।
❀ घटस्थापना मुहूर्त 22 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 32 मिनट तक है। (अवधि - 01 घण्टा 09 मिनट्स)
मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने से सारे विघ्न दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
चैत्र नवरात्रि विशेष 2023: आरती | भजन | मंत्र | नामवली | कथा | मंदिर | भोग प्रसाद
नवरात्रि 2023 की तारीखें Navratri 2023 Dates |
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दिन | तिथि | नवरात्रि में देवी के नाम | |
22 मार्च | प्रतिपदा | माता शैलपुत्री पूजा, नवरात्रि घटस्थापना, नववर्ष, चेटी चंड | |
23 मार्च | द्वितीया | माता ब्रह्मचारिणी पूजा | |
24 मार्च | तृतीया | माता चंद्रघंटा पूजा, मत्स्य जयन्ती, गणगौर | |
25 मार्च | चतुर्थी | माता कुष्मांडा पूजा, लक्ष्मी पंचमी | |
26 मार्च | पंचमी | माता स्कंद माता पूजा | |
27 मार्च | षष्ठी | माता कात्यायनी पूजा | |
28 मार्च | सप्तमी | माता कालरात्रि पूजा | |
29 मार्च | अष्टमी | महा गौरी पूजा | |
30 मार्च | नवमी | राम नवमी, माता सिद्धिदात्री पूजा | |
31 मार्च | दशमी | नवरात्रि व्रत समाप्त। |
❀ पूजा घर में घटस्थापना के स्थान को अच्छी तरह से साफ कर लें और पूर्व या उत्तर दिशा में घटस्थापना करें।
❀ इसके बाद उस स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लें।
❀ फिर वहां पर थोड़ी सी साफ मिट्टी बिछा दें और फिर उस पर जौ के दाने डाल दें। फिर जौ के दानों को फिर से मिट्टी डालकर अच्छी तरह ढक दें। इसके बाद थोड़ा पानी छिड़कें।
❀ कलश में जल और गंगाजल भरकर उसमें एक सिक्का भी डाल दें। इस दौरान वरुण देव का ध्यान करें।
❀ इसके बाद कलश पर कलावा बांध दें। कलश के मुख पर मिट्टी का कटोरा रखें और कटोरे को जौ से ढक दें।
❀ फिर एक नारियल लें और उसे लाल चुन्नी में लपेट कर आम के पत्तों की एक टहनी रखें और नारियल को कलश के ऊपर रख दें।
❀ कलश को गणपति का रूप माना जाता है। इसलिए माता रानी की पूजा से पहले कलश की पूजा की जाती है।
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