Shri Hanuman Bhajan

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे मंदिरों का योगदान - ब्लॉग (Contribution of Temples in Indian Freedom Struggle)

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे मंदिरों का योगदान - ब्लॉग
भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सभी का योगदान सम्माननीय है, इस योगदान में क्या बड़ा, क्या छोटा सभी ने जिस भी तरह से अपना योगदान निर्धारित किया वह अपने में एक मिसाल बन गया।
भारत में मंदिरों की ऐतिहासिक भूमिका है। प्राचीन काल से, मंदिरों ने न केवल पूजा के स्थान के रूप में बल्कि शिक्षा और व्यक्तियों के समग्र विकास के रूप में भी खुद को प्रतिबिंबित किया है। इन प्राचीन मंदिरों के आसपास अनेक नगर, सत्ता के स्थान, व्यापारिक केंद्र विकसित हुए। इन सभी सुधारों का उद्देश्य भारतीय लोगों को एक सामान्य उद्देश्य के लिए एकजुट करना था - विदेशी शासन के खिलाफ एक आम और एकजुट राजनीतिक चेतना विकसित करना। राजनीतिक मामलों पर चर्चा करने के लिए लोग धार्मिक स्थलों पर एकत्रित हुए।

लोकमान्य तिलक ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए हिंदुओं को संगठित करने के लिए गणेश चतुर्थी और शिव जयंती त्योहारों का आयोजन किया।

सनातन परंपरा के मुख्य केंद्र मंदिर, इस अभूतपूर्व घटना का साक्षी बनाने से अपने को कैसे रोक पाते? आइए जानते हैं किस-किस मंदिर का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्या-क्या योगदान रहा है।

श्री बाबा औघड़नाथ शिव मंदिर - Shri Baba Augharnath Shiv Mandir
#MeerutCantt #Meerut #UttarPradesh

परतन्त्र काल में भारतीय सेना को काली पल्टन कहा जाता था। यह मन्दिर काली पल्टन क्षेत्र में स्थित होने से काली पल्टन मन्दिर के नाम से भी विख्यात है।

भारत के प्रथम स्वातन्त्रय संग्राम (1857) की भूमिका में इस देव-स्थान का प्रमुख स्थान रहा है। सुरक्षा एवं गोपनीयता के लिए उपयुक्त शान्त वातावरण के कारण अग्रेजों ने यहाँ सेना का प्रशिषण केन्द्र स्थापित किया था।

मन्दिर के प्रांगण में स्थित कुएँ पर सेना के जवान पानी पीने के अभ्यस्त थे। 1856 में बंदूकों के नये कारतूसो का आगमन भी स्वतंत्रता के प्रथम आन्दोलन का प्रधान कारण बना। इस कारतूसो का प्रयोग करने से पहले मुख से खोला जाता था, जिसमें गाय की चर्बी लगी रहती थी जिसकी वजह से मन्दिर के तत्कालीन पुजारी ने सेना के जवानों को पानी पिलाने से मना कर दिया। अतः निर्धारित 31 मई से पूर्व ही उत्तेजित सेना के जवानों ने 10 मई 1857 को अंगेजों के विरूद्ध क्रान्ति का बिगुल बजा दिया।

सारसबाग गणपती मंदिर - Sarasbaug Ganesh Temple
#SadashivPeth #Pune #Maharashtra

पार्वती मंदिर से थोड़ी दूर होने के कारण, यह मंदिर 18वीं और 19वीं शताब्दी में निजाम और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ मराठों द्वारा सैन्य रणनीति चर्चा व क्रियान्वयन के लिए भी इस्तेमाल किया गया। पेशवा, उनके कमांडर तथा सलाहकार मुद्दे और योजनाओं पर चर्चा करने केलिए अफ्रीकी मूल निवासियों द्वारा संचालित गोपनीयता ढंग से नाव से झील में जाया करते थे। नाव चलाने के लिए गैर-मूल निवासियों को इसलिए चुनते थे क्योंकि वह स्थानीय मराठी भाषा को न समझ सकें।

भगवान वाल्मीकि मंदिर - Bhagwan Valmiki Mandir
#MandirMarg #NewDelhi

महात्मा गांधी ने 1 अप्रैल 1946 से 1947 के प्रारंभ तक अपने दिल्ली प्रवास के दौरान यहाँ 214 दिन बिताए थे।

देशभक्ति गीत:

Contribution of Temples in Indian Freedom Struggle in English

How could the temple, the main center of the Sanatan tradition, prevent itself from witnessing this unprecedented event? Let us know which temple has contributed to the Indian freedom struggle.
यह भी जानें

Blogs Happyindependenceday BlogsBharatmata BlogsIndipendenceday2023 BlogsIndependencedaycelebration BlogsIndependencedayspecial BlogsIndia Blogs15August Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ का मुकुट टाहिया

रथयात्रा के समय पहण्डी बिजे के दौरान भगवन टाहिया धारण करते हैं। टाहिया एकमात्र आभूषण है जिसे रथयात्रा अनुष्ठान के दौरान भगवान पहनते हैं।

भगवान जगन्नाथ के नील माधव के रूप में होने के पीछे क्या कहानी है?

नील माधव (या नीला माधव) के रूप में भगवान जगन्नाथ की कहानी प्राचीन हिंदू परंपराओं, विशेष रूप से ओडिशा की परंपराओं में निहित एक गहरी आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक कहानी है।

पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा के तीन रथ

रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा का वार्षिक रथ उत्सव है। वे तीन अलग-अलग रथों पर यात्रा करते हैं और लाखों लोग रथ खींचने के लिए इकट्ठा होते हैं।

शिव ने शिवा को बताया भक्ति क्या है?

भगवान शिव ने देवी शिवा अर्थात आदिशक्ति महेश्वरी सती को उत्तम भक्तिभाव के बारे मे इस प्रकार बताया..अरुणोदयमारभ्य सेवाकालेऽञ्चिता हृदा। निर्भयत्वं सदा लोके स्मरणं तदुदाहृतम्॥

लक्षदीपम

तिरुवनंतपुरम में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर अपने लक्षदीपम उत्सव के लिए प्रसिद्ध है - एक लुभावने उत्सव जिसमें मंदिर परिसर में एक लाख (100,000) तेल के दीपक जलाए जाते हैं।

बांके बिहारी मंदिर में घंटियाँ क्यों नहीं हैं?

उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर कई मायनों में अनोखा है, और इसकी सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक यह है कि मंदिर में घंटियाँ नहीं हैं।

भगवान जगन्नाथ का नीलाद्रि बीजे अनुष्ठान क्या है?

नीलाद्रि बीजे, वार्षिक रथ यात्रा उत्सव के अंत और भगवान जगन्नाथ की गर्भगृह में वापसी को चिह्नित करता है या फिर आप भगवान जगन्नाथ और उनकी प्यारी पत्नी माँ महालक्ष्मी के बीच एक प्यारी सी कहानी बता सकते हैं।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
×
Bhakti Bharat APP