तिरुवनंतपुरम में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर अपने लक्षदीपम उत्सव के लिए प्रसिद्ध है - एक लुभावने उत्सव जिसमें मंदिर परिसर में एक लाख (100,000) तेल के दीपक जलाए जाते हैं। श्री
पद्मनाभस्वामी मंदिर का लक्षदीपम एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है जो की वास्तुशिल्प सौंदर्य और सामुदायिक भक्ति का एक असाधारण मिश्रण है। यह उत्सव हर छह साल में एक बार मनाया जाता है।
लक्षदीपम क्या है?
❀ लक्षदीपम का अर्थ है “एक लाख दीपक जलाना।” हर छह साल में एक बार आयोजित होने वाला यह मुराजपम का भव्य समापन है, जो गहन वैदिक मंत्रोच्चार (ऋग, यजुर और साम वेद) की 56-दिवसीय अवधि है।
❀ पहला रिकॉर्डेड उत्सव जनवरी 1750 में राजा मार्तंड वर्मा के शासनकाल में मनाया गया था, और यह भक्ति और सांस्कृतिक भव्यता की एक दृश्य अभिव्यक्ति है।
लक्षदीपम कब मनाया जाता है
❀ हर छह साल में एक बार, आमतौर पर मकर संक्रांति (14-15 जनवरी) के मलयालम त्योहार मकरम 1 पर मनाया जाता है।
❀ पिछला त्योहार जनवरी 2020 में मनाया गया था, जिसका अगला संस्करण 2026 में होगा।
लक्षदीपम समारोह की मुख्य बातें
❀ दीप जलाना: मंदिर, गोपुरम, शिवली मार्ग और पवित्र पद्मतीर्थम तालाब के चारों ओर मिट्टी और पीतल के दीपक सजाए जाते हैं गए हैं।
❀ शीवेली जुलूस: पुजारी पारंपरिक गरुड़ वाहन जुलूस में पद्मनाभ, नरसिंह और कृष्ण की मूर्तियों को ले जाते हैं - आमतौर पर त्रावणकोर शाही परिवार के सदस्यों और सैकड़ों वैदिक विद्वानों के साथ।
❀ पारंपरिक तेल के दीयों के साथ-साथ, आधुनिक प्रकाश व्यवस्था का उपयोग वातावरण को बढ़ाने के लिए किया जाता है, जो इसे वास्तव में शानदार बनाता है।
ड्रेस कोड:
❀ पुरुष: पारंपरिक मुंडू/धोती, मुंडू के नीचे शर्ट नहीं।
❀ महिलाएं: साड़ी या लंबी स्कर्ट; युवा लड़कियां स्कर्ट/टॉप में।
लक्षदीपम के दौरान प्रवेश:
केवल पास के माध्यम से (सार्वजनिक रूप से लगभग 15,000, कर्मचारियों/शाही परिवार के लिए 5,000)। लक्षदीपम के दौरान यहां भीड़ हो जाती है, इसलिए पहले से योजना बना लें।