बाबा बैद्यनाथ मंदिर - Baba Baidyanath Temple

मुख्य आकर्षण - Key Highlights

◉ बारह ज्योतिर्लिंग के बीच में झारखंड का एक मात्र ज्योतिर्लिंग।
◉ माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक, माता का हृदय विराजमान है।
झारखंड के देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, साथ ही साथ यहीं माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक जहाँ माता का हृदय विराजमान है, यह शक्तिपीठ हाद्रपीठ के रूप में जानी जाती है। बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, जिसे आमतौर पर बैद्यनाथ धाम के रूप में भी जाना जाता है, भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास माना जाता है।

पुराणों के विवरण अनुसार, इस मंदिर को देव शिल्पि विश्वकर्मा जी ने बनाया है और कुछ इतिहासकारों का कहना है कि अभी की संरचना सन् 1496 में गिधौर (जिला - जमुई, बिहार) के राजा पूरनमल ने बैधनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। एक मान्यता यह भी है कि बैजू नामक एक चरवाहे ने इस ज्योतिर्लिंग की खोज की थी और उसी के नाम पर इस जगह का नाम वैद्यनाथ धाम पड़ा। वैजू मंदिर ज्योतिर्लिंग मंदिर से 700 मीटर दूर ही स्थापित है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व?
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व यह है कि मुख्य मंदिर ऐतिहासिक तिथियों से परे है। अयोध्या के राजा राम की उम्र से भक्त इसे देखने आते हैं। शीर्ष में तीन आरोही आकार के सोने के बर्तन हैं जो कॉम्पैक्ट रूप से सेट हैं, जिन्हें गिधौर के महाराजा, राजा पूरन सिंह द्वारा दान किया गया था।

इन घड़े के आकार के बर्तनों के अलावा, एक 'पंचसूला' (त्रिशूल के आकार में पांच चाकू) हैं, जो दुर्लभ है।
लिंगम एक बेलनाकार आकार का है जो लगभग 5 इंच व्यास का है और बेसाल्ट के एक बड़े स्लैब के केंद्र से लगभग 4 इंच की दूरी पर स्थित है।
भक्तों का यह भी मानना ​​​​है कि शिव ने सबसे पहले अरिद्र नक्षत्र की रात को खुद को ज्योतिर्लिंग में बदल लिया था, इस प्रकार ज्योतिर्लिंग के लिए विशेष श्रद्धा है।
ज्योतिर्लिंग सर्वोच्च अंशहीन वास्तविकता है, जिसमें से शिव आंशिक रूप से प्रकट होते हैं। ज्योतिर्लिंग मंदिर इस प्रकार वे स्थान हैं जहाँ शिव प्रकाश के एक उग्र स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का वास्तुकला:
बैद्यनाथ धाम मंदिर कमल के आकार का है और 72 फीट लंबा है। मंदिर में प्राचीन और आधुनिक दोनों प्रकार की स्थापत्य कला देखने को मिलती है। यहां बैद्यनाथ का मुख पूर्व की ओर है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण विश्वकर्मा ने किया है। बैद्यनाथ के मंदिर के अलावा, मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं के एक ही परिसर में 22 मंदिर हैं। इस मंदिर के तीन भाग हैं; मुख्य मंदिर, मुख्य मंदिर का मध्य भाग और मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार। गर्भगृह में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की गई है।

मंदिर का प्रमुख त्यौहार:
महा शिवरात्रि और श्रवण मेला बाबा बैद्यनाथ धाम में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार हैं। सावन के महीने में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। प्रतिदिन मंदिर दर्शन के लिए प्रातः 4:00 बजे से 3:30 बजे तक तथा सायं 6:00 से 9:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर प्रांगण में प्रवेश के लिए मंदिर सुवह 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।

बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पास कुछ दर्शनीय स्थल हैं:
त्रिकुटा पर्वत, सामूहिक रूप से त्रिकुटाचल के रूप में प्रसिद्ध, पहाड़ी पर तीन मुख्य चोटियों का एक संयोजन है, जो लगभग 2,470 फीट की ऊंचाई पर है। यह स्थल देवघर से दुमका के रास्ते में लगभग 10 किमी की दूरी पर है।
नौलखा मंदिर बाबा बैद्यनाथ मंदिर से लगभग 2 किमी की दूरी पर है। बेलूर में रामकृष्ण मंदिर की तरह इसकी वास्तुकला है। मंदिर में राधा और कृष्ण की सुंदर मूर्तियाँ हैं।
सत्संग आश्रम एक पवित्र स्थान है जहाँ श्री श्री ठाकुर अनुकुलचंद्र के अनुयायी पूजा करने के लिए एकत्रित होते हैं। आश्रम के परिसर में एक चिड़ियाघर और एक संग्रहालय भी है।

प्रसाद: बैद्यनाथ धाम देवघर का प्रमुख प्रसाद मावे का पेड़ा है जोकि विभिन्न प्रकार के स्वाद अनुरूप बनाया जाता है।

बैद्यनाथ धाम प्रांगण में स्थापित सभी मंदिरों के नाम
माँ पार्वती मंदिर, माँ जगत जननी मंदिर, गणेश मंदिर, ब्रह्मा मंदिर, संध्या मंदिर, कल मनाशा मंदिर, हनुमान मंदिर, माँ मनशा मंदिर, माँ सरस्वती मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, माँ बागला मंदिर, राम मंदिर, आनंद भैरव मंदिर, माँ गंगा मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, माँ तारा मंदिर, माँ काली मंदिर, नारदेश्वर मंदिर, माँ अन्नपूर्णा मंदिर, लक्ष्मी नारायम मंदिर, नीलकंठ मंदिर

यह वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मनुष्य को उसकी इच्छा के अनुकूल फल देने वाला है। इस वैद्यनाथ धाम में मन्दिर से थोड़ी ही दूरी पर एक विशाल सरोवर है, जिस पर पक्के घाट बने हुए हैं। भक्तगण इस सरोवर में स्नान करते हैं। यहाँ तीर्थपुरोहितों (पण्डों) के हज़ारों घाट हैं, जिनकी आजीविका मन्दिर से ही चलती है। परम्परा के अनुसार पण्डा लोग एक गहरे कुएँ से जल भरकर ज्योतिर्लिंग को स्नान कराते हैं। अभिषेक के लिए सैकड़ों घड़े जल निकाला जाता हैं। उनकी पूजा काफ़ी लम्बी चलती है। उसके बाद ही आम जनता को दर्शन-पूजन करने का अवसर प्राप्त होता है।

यह ज्योतिर्लिंग रावण के द्वारा दबाये जाने के कारण भूमि में दबा है तथा उसके ऊपरी सिरे में कुछ गड्ढा सा बन गया है। फिर भी इस शिवलिंग मूर्ति की ऊँचाई लगभग ग्यारह अंगुल है। सावन के महीने में यहाँ मेला लगता है और भक्तगण दूर-दूर से काँवर में जल लेकर बाबा वैद्यनाथ धाम (देवघर) आते हैं। वैद्यनाथ धाम में अनेक रोगों से छुटकारा पाने हेतु भी बाबा का दर्शन करने श्रद्धालु आते हैं। ऐसी प्रसिद्धि है कि श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की लगातार आरती-दर्शन करने से लोगों को रोगों से मुक्ति मिलती है।
प्रचलित नाम: वैद्यनाथ धाम, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, श्री श्री 108 रावणेश्वर बाबा बैद्यनाथ धाम
Baba Baidyanath Temple - Read In English
Baidyanath Jyotirlinga Temple, also commonly known as Baidyanath Dham, is considered to be the holiest abode of Bhagwan Shiva. Baidyanath Dham is one of the twelve Jyotirlingas located in Deoghar, Jharkhand.

जानकारियां - Information

दर्शन समय
4:00 AM - 3:30 PM, 6:00 PM - 9:00 PM
7:00 PM: संध्या आरती
त्योहार
बुनियादी सेवाएं
Prasad, Drinking Water, Shoe Store, Cloak Room, Sitting Benches, Sound System
धर्मार्थ सेवाएं
Shiv Ganga, Jalsaar
संस्थापक
रावण
स्थापना
त्रेता युग
देख-रेख संस्था
बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रबंधन बोर्ड
समर्पित
भगवान शिव
फोटोग्राफी
🚫 नहीं (मंदिर के अंदर तस्वीर लेना अ-नैतिक है जबकि कोई पूजा करने में व्यस्त है! कृपया मंदिर के नियमों और सुझावों का भी पालन करें।)
नि:शुल्क प्रवेश
हाँ जी

कैसे पहुचें - How To Reach

पता 📧
Shankar Road, Shivganga Muhalla Deoghar Jharkhand
मेट्रो 🚇
सड़क/मार्ग 🚗
Jamua - Deoghar Road
रेलवे 🚉
Baidyanathdham Deoghar
हवा मार्ग ✈
Dhanbad Airport
नदी ⛵
Mayurakshi
सोशल मीडिया
निर्देशांक 🌐
24.492559°N, 86.7001773°E

फोटो प्रदर्शनी - Photo Gallery

Baba Temple

Aarti Time

Maha Aarti

Sandhya Aarti

Surya Dev

Temple

वीडियो - Video Gallery

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Updated: Mar 30, 2024 18:31 PM

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