श्लोक:
शिव समान दाता नहीं,
विपत निवारण हार,
लज्जा सबकी राखियो,
ओ नंदी के असवार ।
बोलो शंकर भगवान की जय !
बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला,
जिनके गले में विषधर काला,
नीलकंठ वाला,
भोले नाथ डमरू वाला,
बड़ा है दयालू भोले नाथ डमरू वाला ।
बैठे पर्वत धुनि रमाये,
बदन पड़ी मृगछाला है,
कालो के महाकाल सदाशिव,
जिनका रूप निराला है,
उनकी गोदी में गजानन लाला,
ओ नीलकंठ वाला,
भोले नाथ डमरू वाला,
बड़ा है दयालू भोले नाथ डमरू वाला ।
बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला,
जिनके गले में विषधर काला,
नीलकंठ वाला,
भोले नाथ डमरू वाला,
बड़ा है दयालू भोले नाथ डमरू वाला ।
शीश चन्द्रमा जटा में गंगा,
बदन पे भस्मी चोला है,
तीन लोक में नीलकंठ सा,
देव ना कोई दूजा है,
पीगए पीगए विष का प्याला,
ओ नीलकंठ वाला,
भोले नाथ डमरू वाला,
बड़ा है दयालू भोले नाथ डमरू वाला ।
बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला,
जिनके गले में विषधर काला,
नीलकंठ वाला,
भोले नाथ डमरू वाला,
बड़ा है दयालू भोले नाथ डमरू वाला ।
Bhajan Shiv BhajanBholenath BhajanMahadev BhajanShivaratri BhajanSavan BhajanMonday BhajanSomvar BhajanSolah Somvar BhajanTerash BhajanTriyodashi BhajanSawan Somvar BhajanShiv Terash BhajanJyotirling BhajanKanwar BhajanKanwar Yatra BhajanKanwariya BhajanBhole Bhajan
** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें।