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चली पनिया भरन शिव नार - भजन (Chali Paniya Bharan Shiv Naar)


चली पनिया भरन शिव नार - भजन
इठलाती हुई बल खाती हुई,
चली पनिया भरन शिव नार,
सागर में उतारी गागरिया ॥
रूप देख कर सागर बोला,
कौन पिता महतारी,
कौन देश की रहने वाली,
कौन पुरुष की नारी,
बता दे कौन पुरुष की नारी,
हौले हौले गौरा बोले,
छाया है रूप अपार रे,
सागर में उतारी गागरिया।
इठलाती हुई बल खाती हुई,
चली पनियां भरन शिव नार,
सागर में उतारी गागरिया ॥

राजा हिमाचल पिता हमारे,
मैनावती महतारी,
शिव शंकर है पति हमारे,
मैं उनकी घर नारी,
समुंदर मैं उनकी घर नारी,
जल ले जाऊं पिय नहलाऊं,
तू सुन ले वचन हमार रे,
सागर में उतारी गागरिया।
इठलाती हुई बल खाती हुई,
चली पनियां भरन शिव नार,
सागर में उतारी गागरिया ॥

कहे समुंदर छोड़ भोले को,
पास हमारे आओ,
चौदह रत्न छुपे है मुझमे,
बैठी मौज उड़ाओ,
गिरजा बैठी मौज उड़ाओ,
वो है योगिया पीवत भंगिया,
क्यों सहती कष्ट अपार रे,
सागर में उतारी गागरिया।
इठलाती हुई बल खाती हुई,
चली पनियां भरन शिव नार,
सागर में उतारी गागरिया ॥

क्रोधित होकर चली है गौरा,
पास भोले के आई,
तुम्हरे रहते तके समुंदर,
सारी कथा सुनाई,
भोले को सारी कथा सुनाई,
शिव कियो जतन,
सागर को मथन,
लियो चौदह रतन निकाल रे,
सागर में उतारी गागरिया।
इठलाती हुई बल खाती हुई,
चली पनियां भरन शिव नार,
सागर में उतारी गागरिया ॥

इठलाती हुई बल खाती हुई,
चली पनिया भरन शिव नार,
सागर में उतारी गागरिया ॥

Chali Paniya Bharan Shiv Naar in English

Ithalati Hui Bal Khati Hui, Chali Paniya Bharan Shiv Naar, Sagar Se Utri Gagariya ॥
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Debashish Dasgupta

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