आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू..
ॐ महाकाल के काल तुम हो प्रभो, गुण के आगार सत्यम् शिवम् सुंदरम्, कर में डमरू लसे चंद्रमा भाल पर, हो निराकार सत्यम् शिवम् सुंदरम् ॥
जब से देखी सूरत, मैंने महाकाल की, दुनिया बदल ही गयी, दुनिया बदल ही गयी ॥
बंजारन मैं बंजारन, भोले तेरी बंजारन, बैजनाथ मैं गई, विश्वनाथ भी गई..
भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना , है आपके हाथो में मेरी बिगड़ी बना देना ॥
शिव शम्भू सा निराला, कोई देवता नहीं है, जैसा भी है डमरू वाला, कोई देवता नहीं है ॥
देखो शिव की बारात चली है, भोले शिव की बारात चली है, सारी श्रष्टि में हलचल मचा दी, स्वर्ग में मच गई खलबली है, सारी श्रष्टि में हलचल मचा दी ॥