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शिवजी और कामदेव से जुड़ी होली की पौराणिक कथा (Mythology of Holi related to Shivji and Kamdev)

शिवरात्रि का पर्व न आए तो होली का अवसर ही नहीं आता। शास्त्रों के अनुसार होली की कथा चार घटनाओं से जुड़ी हुई है। पहला होलिका और भक्त प्रह्लाद, दूसरा कामदेव और शिव, तीसरा राजा पृथु और राक्षस धुंधी और चौथा श्रीकृष्ण और पूतना।

आइए जानते हैं कामदेव और शिवजी की पौराणिक कथा।
जब माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में भस्म हो जाती हैं, तो उसके बाद भगवान शिव गंगा और तमसा नदी के संगम पर घोर तपस्या में लीन हो जाते हैं। इस दौरान दो घटनाएं घटती हैं, सबसे पहले तारकासुर नाम का एक राक्षस तपस्या करके ब्रह्मा से अमरता का वरदान मांगता है, तो ब्रह्माजी कहते हैं कि यह संभव नहीं है, अगर वह कुछ और मांगते हैं तो वह यह वरदान मांगते हैं कि केवल शिव का पुत्र ही उसे मार सकता है ऐसा वरदान दो। तारकासुर जानता था कि सती भस्म हो गई है और शिवजी तपस्या में लीन हैं जो हजारों वर्षों तक लीन रहेंगे। ऐसी स्थिति में शिव का कोई पुत्र नहीं होगा, तो मुझे कौन मारेगा? इस वरदान को पाकर वह तीनों लोकों पर अपना आतंक मचाता है और स्वर्ग का अधिपति बनता है।

दूसरी घटना यह है कि इस दौरान माता सती अपने दूसरे जन्म में पार्वती के रूप में हिमवान और मानदेवी के स्थान पर उन्हें वापस पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या में लीन हो जाती हैं।
❀ जब देवताओं को इस बात का पता चलता है तो वे सब मिलकर सोचते हैं कि कौन भगवान शिव की तपस्या भंग करे। सभी माता पार्वती के पास जाते हैं और निवेदन करते हैं। माता इसके लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में सभी देवताओं की सिफारिश पर कामदेव और देवी रति शिवजी की तपस्या भंग करने का जोखिम उठाते हैं।
❀ फाल्गुन के महीने में कामदेव और रति शिवजी के सामने नाचते-गाते हैं और फिर कामदेव आम के पेड़ के पीछे छिप जाते हैं और शिवजी पर एक-एक करके अपने पुष्प बाण छोड़ते हैं। अंत में एक तीर उनके हृदय में लगता है, जिससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती है। तपस्या भंग होते ही वह कामदेव को आम के पेड़ के पीछे छिपे हुए देखते हैं, फिर क्रोध में आकर वह अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को जलाकर भस्म कर देते हैं।
❀ यह देखकर देवी रति सहित सभी देवी-देवता दुखी हो जाते हैं। अपने पति की भस्म देखकर देवी रति विलाप करने लगती हैं और कहती हैं कि इसमें मेरे पति का दोष नहीं था। मेरे पति को जीवित कर दो।
❀ जब भगवान शिव को पता चलता है कि कामदेव दुनिया के कल्याण के लिए देवताओं द्वारा बनाई गई योजना के अनुसार काम कर रहे थे, तो उनका गुस्सा शांत होजाता है। तब वे भस्म से देवी रति के पति कामदेव की आत्मा को प्रकट करते हैं और फिर शिव देवी रति को वचन देते हैं कि द्वापर युग में जब भगवान विष्णु कृष्ण के रूप में यदुकुल में जन्म लेंगे, तो तुम्हारा पति उनके पुत्र के रूप में जन्म लेगा, जिसका नाम होगा प्रद्युम्न। उस काल में तुम संभारासुर का वध करके अपने पति से फिर मिलोगी।
❀ इस वरदान से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। शिवजी भी पार्वती से विवाह करने की सहमति देते हैं। यह सुनकर सभी देवी-देवता प्रसन्न होकर फूल और रंगों की वर्षा करते हैं और अगले दिन उत्सव मनाते हैं।

धुलंडी
धार्मिक मान्यता के अनुसार होली के दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन धुलंडी में रंग खेला जाता है। धुलंडी पर रंग खेलने की शुरुआत देवी-देवताओं को रंग लगाने से की जाती है। इसके लिए सभी देवी-देवताओं का पसंदीदा रंग होता है और उस रंग की वस्तुएं उन्हें अर्पित करने से शुभता की प्राप्ति होती है, उनकी कृपा प्राप्त होती है, जीवन में समृद्धि आती है, वैभव आता है और घर धन-धान्य से भर जाते हैं।

Mythology of Holi related to Shivji and Kamdev in English

If the festival of Shivratri does not come, then the occasion of Holi does not come. According to the scriptures, the story of Holi is related to four incidents. First Holika and devotee Prahlad, second Kamdev and Shiva, third king Prithu and demon Dhundhi and fourth Shri Krishna and Putna.
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