जगन्नाथ पूरी की तर्ज पर ही रोहिणी श्री जगन्नाथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर के प्राण प्रतिस्ता का संभावित समय सन् 2018 में माना जा रहा है। रथ यात्रा के दिन यहाँ हजारों की संख्या में भक्त सम्मलित होते हैं।
मुख्य मंदिर का गर्भग्रह सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर बनाया गया है, उसके साथ-साथ चार सहायक मंदिर क्रमशः लक्ष्मीजी, विमला माँ, श्री हनुमान तथा शिव धाम भी बनाए गये हैं। मंदिर के बाहर तथा भीतर की ओर कुल 1100 मूर्तियों की स्थापित की जा रही है। मंदिर का निर्माण सुरक्षा और सुविधा दोनों को ध्यान में रख कर किया जा रहा है। मंदिर की पूजा-अर्चना का कार्य उड़ीसा से आए ब्राह्मणों के द्वारा 6 आरतियों के साथ किया जा रहा है।
प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा तथा उसके उपरान्त भोग प्रसाद स्वरूप खीर का वितरण किया जाता है। मंदिर समिति मासिक रुद्राभिषेक का आयोजन भी करती है। मंदिर में समय-समय पर सुंदर कांड पाठ, हेल्थ चैकप कैंप तथा योग कैंप लगाए जाते हैं। नई साल के प्रथम रविवार को सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया जाता है। मंदिर में किसी भी प्रकार की पूजा के लिए बुकिंग की व्यवस्था है। जगन्नाथ धाम उड़ीसा की तरह ही रोहिणी मंदिर में सूखे/खाजा भोग को बनवाने की भी व्यवस्था है।
26 Jun 2006
मूर्ति स्थापन और मंदिर का प्रारंभ।
27 November 2011
वर्तमान स्थान का भूमिपूजन, जिसे डीडीए द्वारा प्रदान किया गया है।
25 May 2012
डीडीए की जमीन पर जगन्नाथ जी की स्थापना।
5 April 2015
मंदिर की कलश स्थापना।
26 November 2017
नये मंदिर की स्थापना पूजा।
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