॥ श्रीदुर्गा षोडशनामस्तोत्रम् ॥
सर्वाख्यानं श्रुतंब्रह्मन्नतीव परमाद्भुतम्
अधुना श्रोतुमिच्छामिदुर्गोपाख्यानमुत्तमम्॥1॥
दुर्गा नारायणीशानाविष्णुमाया शिवा सती
नित्या सत्या भगवतीशर्वाणी सर्वमङ्गला॥2॥
अम्बिका वैष्णवी गौरीपार्वती च सनातनी
नामानि कौथुमोक्तानिसर्वेषां शुभदानि च॥3॥
अर्थं षोडशनाम्नां चसर्वेषामीप्सितं वरम्
ब्रूहि वेदविदां श्रेष्ठवेदोक्तं सर्वसम्मतम्॥4॥
॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्ते महापुराणे प्रकृतिखण्डे सप्तपञ्चाशत्तमोऽध्याये
श्री दुर्गा षोडशनाम स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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