Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र - Gajendra Moksham StotramDownload APP Now - Download APP NowHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

लक्ष्मी स्तोत्र - इन्द्रकृत (Lakshmi Stotram By Indra)


लक्ष्मी स्तोत्र - इन्द्रकृत
Add To Favorites Change Font Size
इन्द्र उवाच
ऊँ नम: कमलवासिन्यै नारायण्यै नमो नम: ।
कृष्णप्रियायै सारायै पद्मायै च नमो नम: ॥1॥
पद्मपत्रेक्षणायै च पद्मास्यायै नमो नम: ।
पद्मासनायै पद्मिन्यै वैष्णव्यै च नमो नम: ॥2॥

सर्वसम्पत्स्वरूपायै सर्वदात्र्यै नमो नम: ।
सुखदायै मोक्षदायै सिद्धिदायै नमो नम: ॥3॥

हरिभक्तिप्रदात्र्यै च हर्षदात्र्यै नमो नम: ।
कृष्णवक्ष:स्थितायै च कृष्णेशायै नमो नम: ॥4॥

कृष्णशोभास्वरूपायै रत्नपद्मे च शोभने ।
सम्पत्त्यधिष्ठातृदेव्यै महादेव्यै नमो नम: ॥5॥

शस्याधिष्ठातृदेव्यै च शस्यायै च नमो नम: ।
नमो बुद्धिस्वरूपायै बुद्धिदायै नमो नम: ॥6॥

वैकुण्ठे या महालक्ष्मीर्लक्ष्मी: क्षीरोदसागरे ।
स्वर्गलक्ष्मीरिन्द्रगेहे राजलक्ष्मीर्नृपालये ॥7॥
गृहलक्ष्मीश्च गृहिणां गेहे च गृहदेवता ।
सुरभी सा गवां माता दक्षिणा यज्ञकामिनी ॥8॥

अदितिर्देवमाता त्वं कमला कमलालये ।
स्वाहा त्वं च हविर्दाने कव्यदाने स्वधा स्मृता ॥9॥

त्वं हि विष्णुस्वरूपा च सर्वाधारा वसुन्धरा ।
शुद्धसत्त्वस्वरूपा त्वं नारायणपरायणा ॥10॥

क्रोधहिंसावर्जिता च वरदा च शुभानना ।
परमार्थप्रदा त्वं च हरिदास्यप्रदा परा ॥11॥

यया विना जगत् सर्वं भस्मीभूतमसारकम् ।
जीवन्मृतं च विश्वं च शवतुल्यं यया विना ॥12॥

सर्वेषां च परा त्वं हि सर्वबान्धवरूपिणी ।
यया विना न सम्भाष्यो बान्धवैर्बान्धव: सदा ॥13॥

त्वया हीनो बन्धुहीनस्त्वया युक्त: सबान्धव: ।
धर्मार्थकाममोक्षाणां त्वं च कारणरूपिणी ॥14॥

यथा माता स्तनन्धानां शिशूनां शैशवे सदा ।
तथा त्वं सर्वदा माता सर्वेषां सर्वरूपत: ॥15॥

मातृहीन: स्तनत्यक्त: स चेज्जीवति दैवत: ।
त्वया हीनो जन: कोsपि न जीवत्येव निश्चितम् ॥16॥

सुप्रसन्नस्वरूपा त्वं मां प्रसन्ना भवाम्बिके ।
वैरिग्रस्तं च विषयं देहि मह्यं सनातनि ॥17॥

वयं यावत् त्वया हीना बन्धुहीनाश्च भिक्षुका: ।
सर्वसम्पद्विहीनाश्च तावदेव हरिप्रिये ॥18॥

राज्यं देहि श्रियं देहि बलं देहि सुरेश्वरि ।
कीर्तिं देहि धनं देहि यशो मह्यं च देहि वै ॥19॥

कामं देहि मतिं देहि भोगान् देहि हरिप्रिये ।
ज्ञानं देहि च धर्मं च सर्वसौभाग्यमीप्सितम् ॥20॥

प्रभावं च प्रतापं च सर्वाधिकारमेव च ।
जयं पराक्रमं युद्धे परमैश्वर्यमेव च ॥21॥

फलश्रुति:
इदं स्तोत्रं महापुण्यं त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: ।
कुबेरतुल्य: स भवेद् राजराजेश्वरो महान् ॥
सिद्धस्तोत्रं यदि पठेत् सोsपि कल्पतरुर्नर: ।
पंचलक्षजपेनैव स्तोत्रसिद्धिर्भवेन्नृणाम् ॥
सिद्धिस्तोत्रं यदि पठेन्मासमेकं च संयत: ।
महासुखी च राजेन्द्रो भविष्यति न संशय: ॥

॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्तमहापुराणे इन्द्रकृतं लक्ष्मीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
यह भी जानें
हिन्दी भावार्थ

देवराज इन्द्र बोले – भगवती कमलवासिनी को नमस्कार है देवी नारायणी को बार-बार नमस्कार है संसार की सारभूता कृष्णप्रिया भगवती पद्मा को अनेकश: नमस्कार है॥1

कमलरत्न के समान नेत्रवाली कमलमुखी भगवती महालक्ष्मी को नमस्कार है पद्मासना, पद्मिनी एवं वैष्णवी नाम से प्रसिद्ध भगवती महालक्ष्मी को बार-बार नमस्कार है॥2

सर्वसम्पत्स्वरुपिणी सर्वदात्री देवी को नमस्कार है सुखदायिनी, मोक्षदायिनी और सिद्धिदायिनी देवी को बारम्बार नमस्कार है॥3

भगवान श्रीहरि में भक्ति उत्पन्न करने वाली तथा हर्ष प्रदान करने में परम कुशल देवी को बार-बार नमस्कार है भगवान श्रीकृष्ण के वक्ष:स्थल पर विराजमान एवं उनकी हृदयेश्वरी देवी को बारम्बार प्रणाम है॥4

रत्नपद्मे ! शोभने ! तुम श्रीकृष्ण की शोभास्वरुपा हो, सम्पूर्ण सम्पत्ति की अधिष्ठात्री देवी एवं महादेवी हो, तुम्हें मैं बार-बार प्रणाम करता हूँ॥5

शस्य की अधिष्ठात्री देवी एवं शस्यस्वरुपा हो, तुम्हें बारम्बार नमस्कार है बुद्धिस्वरुपा एवं बुद्धिप्रदा भगवती के लिए अनेकश: प्रणाम है॥6

देवि ! तुम वैकुण्ठ में महालक्ष्मी, क्षीरसमुद्र में लक्ष्मी, राजाओं के भवन में राजलक्ष्मी, इन्द्र के स्वर्ग में स्वर्गलक्ष्मी, गृहस्थों के घर में गृहलक्ष्मी, प्रत्येक घर में गृहदेवता, गोमाता सुरभि और यज्ञ की पत्नी दक्षिणा के रूप में विराजमान रहती हो॥7-8

तुम देवताओं की माता अदिति हो कमलालयवासिनी कमला भी तुम्हीं हो हव्य प्रदान करते समय ‘स्वाहा’ और कव्य प्रदान करने के अवसर पर ‘स्वधा’ का जो उच्चारण होता है, वह तुम्हारा ही नाम है॥9

सबको धारण करने वाली विष्णुस्वरुपा पृथ्वी तुम्हीं हो भगवान नारायण की उपासना में सदा तत्पर रहने वाली देवि ! तुम शुद्ध सत्त्वस्वरुपा हो॥10

तुम में क्रोध और हिंसा के लिए किंचिन्मात्र भी स्थान नहीं है तुम्हें वरदा, शारदा, शुभा, परमार्थदा एवं हरिदास्यप्रदा कहते हैं॥11

तुम्हारे बिना सारा जगत भस्मीभूत एवं नि:सार है, जीते-जी ही मृतक है, शव के तुल्य है॥12

तुम सम्पूर्ण प्राणियों की श्रेष्ठ माता हो सबके बान्धव रुप में तुम्हारा ही पधारना हुआ है तुम्हारे बिना भाई भी भाई-बन्धुओं के लिए बात करने योग्य भी नहीं रहता है॥13

जो तुमसे हीन है, वह बन्धुजनों से हीन है तथा जो तुमसे युक्त है, वह बन्धुजनों से भी युक्त है तुम्हारी ही कृपा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त होते हैं॥14

जिस प्रकार बचपन में दुधमुँहे बच्चों के लिए माता है, वैसे ही तुम अखिल जगत की जननी होकर सबकी सभी अभिलाषाएँ पूर्ण किया करती हो॥15

स्तनपायी बालक माता के न रहने पर भाग्यवश जी भी सकता है, परंतु तुम्हारे बिना कोई भी नहीं जी सकता यह बिलकुल निश्चित है॥16

हे अम्बिके ! सदा प्रसन्न रहना तुम्हारा स्वाभाविक गुण है अत: मुझ पर प्रसन्न हो जाओ सनातनी ! मेरा राज्य शत्रुओं के हाथ में चला गया है, तुम्हारी कृपा से वह मुझे पुन: प्राप्त हो जाए॥17

हरिप्रिये ! मुझे जब तक तुम्हारा दर्शन नहीं मिला था, तभी तक मैं बन्धुहीन, भिक्षुक तथा सम्पूर्ण सम्पत्तियों से शून्य था॥18

सुरेश्वरि ! अब तो मुझे राज्य दो, श्री दो, बल दो, कीर्ति दो, धन दो और यश भी प्रदान करो॥19

हरिप्रिये ! मनोवांछित वस्तुएँ दो, बुद्धि दो, भोग दो, ज्ञान दो, धर्म दो तथा सम्पूर्ण अभिलषित सौभाग्य दो॥20

इसके सिवा मुझे प्रभाव, प्रताप, सम्पूर्ण अधिकार, युद्ध में विजय, पराक्रम तथा परम ऎश्वर्य की प्राप्ति भी कराओ॥21

फलश्रुति – यह स्तोत्र महा पवित्र है इसका त्रिकाल पाठ करने वाला बड़भागी पुरुष कुबेर के समान राजाधिराज हो सकता है पाँच लाख जप करने पर मनुष्यों के लिए यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है यदि इस सिद्ध स्तोत्र का कोई निरन्तर एक महीने तक पाठ करे तो वह महान सुखी एवं राजेन्द्र हो जाएगा, इसमें कोई संशय नही॥

Mantra Diwali MantraMata Lakshmi MantraLaxmi MantraLaxmi Pujan MantraNavratri MantraKojagari Vrat MantraMaha Lakshmi Mantra

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र

ऋण से छुटकारा पाने हेतु ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्त को कर्ज चुकाने मे आसानी होती है

अच्युतस्याष्टकम् - अच्युतं केशवं रामनारायणं

अच्युतं केशवं रामनारायण कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् । श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥..

ॐ श्री विष्णु मंत्र: मङ्गलम् भगवान विष्णुः

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥ शान्ताकारम् भुजगशयनम्... मङ्गलम् भगवान विष्णुः...

श्री गणेशपञ्चरत्नम् - मुदाकरात्तमोदकं

मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं, कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् । अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं...

वक्रतुण्ड महाकाय - गणेश मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

संकट मोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रवि भक्षी लियो तब।.. लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।...

हनुमान द्वादश नाम स्तोत्रम - मंत्र

हनुमान जी के 12 नाम | हनुमान द्वादश नाम | हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र | Hanumaan 12 naam |

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
×
Bhakti Bharat APP