Download Bhakti Bharat APP

सबसे समर्थ और सच्चा साथी कौन? (Sabse Samarth Aur Sachcha Sathi Kaun?)


Add To Favorites Change Font Size
एक छोटे से गाँव मे श्रीधर नाम का एक व्यक्ति रहता था, स्वभाव से थोड़ा कमजोर और डरपोक किस्म का इंसान था।
एक बार वो एक महात्माजी के दरबार मे गया और उन्हे अपनी कमजोरी बताई और उनसे प्रार्थना करने लगा कि, हे देव! मुझे कोई ऐसा साथी मिल जायें जो सबसे शक्तिशाली हो और विश्वासपात्र भी जिस पर मैं आँखे बंद करके विश्वास कर सकू, जिससे मैं मित्रता करके अपनी कमजोरी को दूर कर सकू, हे देव! भले ही एक ही साथी मिले पर ऐसा मिले कि वो मेरा साथ कभी न छोड़े।

तो महात्मा जी ने कहा पूर्व दिशा मे जाना और तब तक चलते रहना जब तक तुम्हारी तलाश पुरी न हो जायें। और हाँ तुम्हे ऐसा साथी अवश्य मिलेगा जो तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडेंगा बशर्ते कि तुम उसका साथ न छोड़ो।

श्रीधर: बस एक बार वो मुझे मिल जायें तो फिर मैं उसका साथ कभी न छोडूंगा पर हे देव मेरी तलाश तो पुरी होगी ना?

महात्माजी: हे वत्स! यदि तुम सच्चे दिल से उसे पाना चाहते हो तो वो बहुत सुलभता से तुम्हे मिल जायेगा नहीं तो वो बहुत दुर्लभ है।

फिर उसने महात्माजी को प्रणाम किया आशीर्वाद लिया और अपनी राह पर चल पड़ा।

सबसे पहले उसे एक व्यक्ति मिला जो शक्तिशाली घोड़े को काबू मे कर रहा था तो उसने देखा यही है वो जैसै ही उसके पास जाने लगा तो उस इंसान ने एक सैनिक को प्रणाम किया और घोड़ा देकर चला गया। श्रीधर ने सोचा सैनिक ही है वो तो, वो मित्रता के लिये आगे बड़ा पर इतने मे सैनापति आ गया सैनिक ने प्रणाम किया और घोड़ा आगे किया सैनापति घोड़ा लेकर चला गया।

श्रीधर भी खूब दौड़ा और अन्ततः वो सैनापति तक पहुँचा पर सैनापति ने राजाजी को प्रणाम किया और घोड़ा देकर चला गया तो श्रीधर ने राजा को मित्रता के लिये चुना और उसने मित्रता करनी चाही पर राजा घोड़े पर बैठकर शिकार के लिये वन को निकले श्रीधर भी भागा और घनघोर जंगल मे श्रीधर पहुँचा पर राजा कही न दिखे।

प्यास से उसका गला सूख रहा था थोड़ी दूर गया तो एक नदी बह रही थी, वो पानी पीकर आया और एक वृक्ष की छाँव मे बैठ गया। वहाँ एक राहगीर जमीन पे सोया था और उसके मुख से राम राम की जप ध्वनि सुनाई दे रही थी तथा एक काला नाग उस राहगीर के चारों तरफ चक्कर लगा रहा था। श्रीधर ने बहुत देर तक उस दृश्य को देखा, फिर वृक्ष की एक डाल टूटकर नीचे गिरी तो साँप वहाँ से चला गया। इतने मे उस राहगीर की नींद टूट गई और वो उठा तथा राम राम का सुमिरन करते हुये अपनी राह पे चला गया।

श्रीधर पुनः महात्माजी के आश्रम पहुँचा और सारा किस्सा कह सुनाया. उनसे पुछा हे नाथ मुझे तो बस इतना बताओ कि वो काला नाग उस राहगीर के चारों ओर चक्कर काट रहा था पर वो उस राहगीर को डँस क्यों नहीं पा रहा था।

लगता है देव की कोई अद्रश्य सत्ता उसकी रक्षा कर रही थी। महात्माजी ने कहा उसका सबसे सच्चा साथी ही उसकी रक्षा कर रहा था, जो उसके साथ था। तो श्रीधर ने कहा वहाँ तो कोई भी नहीं था। देव बस संयोगवश हवा चली वृक्ष से एक डाली टूटकर नाग के पास गिरी और नाग चला गया।

महात्माजी ने कहा नहीं वत्स उसका जो सबसे अहम साथी था वही उसकी रक्षा कर रहा था। जो दिखाई तो नही दे रहा था पर हर पल उसे बचा रहा था। उस साथी का नाम है "धर्म" हे वत्स धर्म से समर्थ और सच्चा साथी जगत मे और कोई नहीं है केवल एक धर्म ही है। जो सोने के बाद भी तुम्हारी रक्षा करता है और मरने के बाद भी तुम्हारा साथ देता है।

हे वत्स पाप का कोई रखवाला नहीं हो सकता और धर्म कभी असहाय नहीं है महाभारत के युध्द मे भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों का साथ सिर्फ इसिलिये दिया था क्योंकि धर्म उनके पक्ष मे था।

हे वत्स! तुम भी केवल धर्म को ही अपना सच्चा साथी मानना एवं इसे मजबूत बनाना क्योंकि यदि धर्म तुम्हारे पक्ष मे है तो स्वयं नारायण और सद्गुरु तुम्हारे साथ है। नही तो एक दिन तुम्हारे साथ कोई न होगा और कोई तुम्हारा साथ न देगा। यदि धर्म मजबूत है तो वो तुम्हे बचा लेगा इसलिये धर्म को मजबूत बनाओ।

हे वत्स! एक बात हमेशा याद रखना कि इस संसार मे समय बदलने पर अच्छे से अच्छे साथ छोड़कर चले जाते है। केवल एक धर्म ही है जो घनघोर बीहड़ और गहरे अन्धकार मे भी तुम्हारा साथ नही छोडेंगा। कदाचित तुम्हारी परछाई भी तुम्हारा साथ छोड़ दे परन्तु धर्म तुम्हारा साथ कभी नही छोडेंगा बशर्ते कि तुम उसका साथ न छोड़ो। इसलिये धर्म को मजबूत बनाना क्योंकि केवल यही है जो हमारा सच्चा साथी है।
यह भी जानें
Shridhar, Dharm, Guru

Prerak-kahani Shridhar Prerak-kahaniDharm Prerak-kahaniGuru Prerak-kahaniFrienship Day Prerak-kahaniTrue Friend Prerak-kahaniSachcha Dost Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

भाग्य में कितना धन है? - प्रेरक कहानी

हर मनुष्य को उसका प्रारब्ध (भाग्य) मिलता है। किसके भाग्य से घर में धन दौलत आती है हमको नहीं पता। लेकिन मनुष्य अहंकार करता है कि मैने बनाया, मैंने कमाया, मेरा है, मै कमा रहा हूँ, मेरी वजह से हो रहा है।

विद्वत्ता पर कभी घमंड न करें - प्रेरक कहानी

महाकवि कालिदास रास्ते में थे। प्यास लगी। वहां एक पनिहारिन पानी भर रही थी।
कालिदास बोले: माते! पानी पिला दीजिए बङा पुण्य होगा।

युधिष्ठिर को कलयुग का पूर्ण आभास था

पाण्डवों का अज्ञातवाश समाप्त होने में कुछ समय शेष रह गया था। पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छूपने का स्थान ढूंढ रहे थे।...

मृत्यु से भय कैसा? - प्रेरक कहानी

राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण सुनातें हुए जब शुकदेव जी महाराज को छह दिन बीत गए और तक्षक (सर्प) के काटने से मृत्यु होने का एक दिन शेष रह गया..

शुभचिन्तक की अज्ञानवस भी उपेक्षा न करें - प्रेरक कहानी

सच्चे शुभचिन्तक की अज्ञानवस भी उपेक्षा न करें - एक कुम्हार को मिट्टी खोदते हुए अचानक एक हीरा मिल गया, उसने उसे अपने गधे के गले में बांध दिया...

सेवा का समर्पण भाव - प्रेरक कहानी

एक बार एक राजा भोजन कर रहा था, अचानक खाना परोस रहे सेवक के हाथ से थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर छलक गई। राजा की त्यौरियां चढ़ गयीं।

दान करने से वस्तु घटती नहीं - प्रेरक कहानी

एक दयालु नरेश - एक राजा बड़े धर्मात्मा और दयालु थे, किंतु उनसे भूलसे कोई एक पाप हो गया था। जब उनकी मृत्यु हो गयी, तब उन्हें लेने यमराजके दूत आये।..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Durga Chalisa - Durga Chalisa
Bhakti Bharat APP