आयी बरसाने वाली है आयी,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
देखो टोली है सखियों के संग में,
छाई मस्ती है हर अंग अंग में,
राधा कान्हा को देख मुस्काई,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
कैसा प्यारा लगे ये नज़ारा,
श्याम राधे को करते इशारा,
देखो राधे रानी शरमाई,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
राधे नाच नाच श्याम को रिझाए,
कान्हा मुरली जो होंठो से लगाए,
राधा रानी की सुध बिसराई,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
श्याम अलबेला रास रचाए,
सारे गोकुल को संग में नचाए,
कहे ‘पवन’ क्या माया रचाई,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
आयी बरसाने वाली है आयी,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
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