मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू, हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥
शिव अद्भुत रूप बनाए, जब ब्याह रचाने आए। भुत बेताल थे..
कंकर कंकर मेरा शंकर, मैं लहर-लहर अविनाशी हूँ मैं काशी हूँ मैं…मैं काशी हूँ…!
भोले डमरु बजा दो एक बार हमारे हरी कीर्तन में, कीर्तन में हरी कीर्तन में ॥
मुझे दास बनाकर रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में, मुझे दास बनाकर रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में, भोलेनाथ तुम अपने चरणों में भोलेनाथ तुम अपने चरणों में, मुझें दास बनाकर रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में ॥
हे त्रिपुरारी गंगाधरी, सृष्टि के आधार, शंकर किरपा करुणाकार, भोले किरपा करुणाकार ॥
शिव शंकर भोलेनाथ, तेरा डमरू बाजे पर्वत पे, तेरा डमरू बाजे पर्वत पे, शिवशंकर भोलेनाथ ओ नाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे ॥