Download Bhakti Bharat APP
Holi Specials - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Om Jai Jagdish Hare Aarti - Ram Bhajan -

भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण से छूटे भगवान चित्रगुप्त (Ram Ke Rajtilak Me Nimantran Se Chhute Bhagwan Chitragupt)


भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण से छूटे भगवान चित्रगुप्त
Add To Favorites Change Font Size
कहते है, जब भगवान राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत थे।
भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की व्यवस्था करने को कहा। गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर राज्यतिलक की तैयारी शुरू कर दीं।

ऐसे में जब राज्यतिलक में सभी देवी-देवता आ गए तब भगवान राम ने अपने अनुज भरत से पूछा चित्रगुप्त जी नहीं दिखाई दे रहे है, इस पर जब उनकी खोज हुई। खोज में जब चित्रगुप्त जी नहीं मिले तो पता लगा कि गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त जी को निमत्रण पहुंचाया ही नहीं था, जिसके चलते भगवान चित्रगुप्त नहीं आये।

इधर भगवान चित्रगुप्त सब जान तो चुके थे, और इसे भी नारायण के अवतार प्रभु राम की महिमा समझ रहे थे। फलस्वरूप उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा-जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया।

सभी देवी देवता जैसे ही राजतिलक से लौटे तो पाया की स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे, प्राणियों का का लेखा-जोखा ना लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था की किसको कहाँ भेजना है।

तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में भगवान् विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर में गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमा याचना की। श्री अयोध्या महात्मय में भी इसे श्री धर्म हरि मंदिर कहा गया है धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्यत: श्री धर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये, अन्यथा उसे इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता।

इसके बाद नारायण रूपी भगवान राम का आदेश मानकर भगवान चित्रगुप्त ने लगभग ४ पहर (२४ घंटे बाद) पुन: कलम की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा-जोखा लिखने का कार्य आरम्भ किया।

ऐसा माना जाता है, कि तभी से कायस्थ समाज दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं, और यम-द्वितीया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते है।

इस घटना के पश्चात ही, कायस्थ ब्राह्मणों के लिए भी पूजनीय हुए और इस घटना के पश्चात मिले वरदान के फलस्वरूप सबसे दान लेने वाले ब्राह्मणों से दान लेने का हक़ भी कायस्थों को ही है।

इस कहानी से निम्न लिखित सवालों का जबाब देने योग्य होंगे आप...
आखिर ऐसा क्यूँ है की पश्चिमी उत्तरप्रदेश में कायस्थ दीपावली के पूजन के कलम रख देते है और फिर कलम दवात पूजन के दिन ही उसे उठाते है?

प्रस्तुति : डा बी बी एस रायजादा (पूर्व संयुक्त निदेशक,उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश ), सहयोग : धीरेन्द्र श्रीवास्तव(इलाहाबाद) : शोध : रुपिका भटनागर एवं आशु भटनागर
यह भी जानें

Katha Diwali KathaLakshmi Puja KathaDiwali Puja KathaChitragupt Ji KathaRam Rajtilak KathaBhai Dooj KathaBhaiya Dooji KathaBhai Tika KathaYam Dwitiya KathaKartik Dwitiya KathaDiwali KathaChitragupt Ji Katha

अगर आपको यह कथाएँ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

भक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस कथाएँ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

एक समय कैलाश में माता पार्वती तथा श्री गणेश जी महाराज विराजमान थे तब 12 माह की गणेश चतुर्थी का प्रसंग चल पड़ा। पार्वती जी ने पूछा कि हे पुत्र ! चैत्र कृष्ण चतुर्थी को गणेश की पूजा कैसे करनी चाहिए?

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्‌मणों...

मंगलवार व्रत कथा

सर्वसुख, राजसम्मान तथा पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार व्रत रखना शुभ माना जाता है। पढ़े हनुमान जी से जुड़ी मंगलवार व्रत कथा...

रोहिणी शकट भेदन, दशरथ रचित शनि स्तोत्र कथा

प्राचीन काल में दशरथ नामक प्रसिद्ध चक्रवती राजा हुए थे। राजा के कार्य से राज्य की प्रजा सुखी जीवन यापन कर रही थी...

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन

आमलकी एकादशी व्रत कथा

श्री भगवान बोले: हे राजन्, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम आमलकी एकादशी है। इस व्रत के करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं..

सोमवार व्रत कथा

किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे..

Hanuman Chalisa -
Ram Bhajan -
×
Bhakti Bharat APP