कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भारत के गुजरात राज्य में, लाभ पंचमी सबसे अधिक महत्ता के साथ मनाया जाता है। लाभ पंचमी त्यौहार को सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी, लाखेनी पंचमी एवं सौभाग्य लाभ पंचम भी कहा जाता है।
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः
येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः ॥
हिन्दी भावार्थ: जिनके हृदयमें श्याम रंगके पद्म स्वरूपी जनार्दनका वास है, उन्हें सदैव यश (लाभ) मिलता है, उनकी सदैव जय होती है, उनकी पराजय कैसे संभव है!
गुजरात राज्य में लाभ पंचमी को दिवाली उत्सव का समापन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि लाभ पंचमी के दिन पूजा करने से व्यवसाय और परिवार में लाभ, भाग्य तथा उन्नति मिलती है। लाभ पंचमी गुजरात न्यू ईयर का पहला कामकाजी दिन होता है। गुजरात में अधिकतर व्यवसायी दिवाली मनाकर लाभ पंचमी को वापस अपने काम को प्रारंभ करते हैं।
संबंधित अन्य नाम | सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी, लाखेनी पंचमी, सौभाग्य लाभ पंचम |
सुरुआत तिथि | कार्तिक शुक्ल पंचमी |
कारण | गुजराती नव वर्ष |
उत्सव विधि | लक्ष्मी पूजन, दिए-रोशनी-लाइट, शॉपिंग, घरों एवं दुकान की सजावट तथा मरम्मत। |
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