दक्ष बोले-
हे महेशानि! हे सनातनि! हे जगदम्बे! आपको नमस्कार है, हे सत्ये! हे सत्यस्वरूपिणि! हे महादेवि! मेरे ऊपर दया करें ॥ २८
वेदके ज्ञाता जिन्हें शिवा, शान्ता, महामाया, योगनिद्रा तथा जगन्मयी कहते हैं, उन आप हितकारिणी देवीको मैं नमस्कार करता हूँ॥२९
जिन्होंने पूर्वकालमें ब्रह्माजीको उत्पन्नकर इस जगत्की सृष्टिके कार्यमें नियुक्त किया है, उन परमा जगन्माता आप महेश्वरीको मैं नमस्कार करता हूँ॥ ३०
जिन्होंने सदा संसारके पालनके लिये विष्णुको नियुक्त किया है, उन परमा जगन्माता आप महेश्वरीको मैं नमस्कार करता हूँ। जिन्होंने संसारके विनाशके लिये रुद्रको नियुक्त किया है, उन परमा जगन्माता आप महेश्वरीको मैं नमस्कार करता हूँ॥ ३१-३२
सत्त्व-रज-तमरूपोंवाली, सर्वदा समस्त कार्योंको साधनेवाली तथा तीनों देवताओंको उत्पन्न करनेवाली उन आप शिवादेवीको मैं नमस्कार करता हूँ॥३३
हे देवि! जो आपको विद्या-अविद्या-इन दोनों रूपोंसे स्मरण करता है, उसके हाथमें भोग तथा मोक्ष दोनों ही स्थित हो जाते हैं॥ ३४
हे देवि! जो परमपावनी शिवास्वरूपा आपका प्रत्यक्ष दर्शन करता है, उसे विद्या तथा अविद्याको प्रकाशित करनेवाली मुक्ति अपने-आप मिल जाती है॥ ३५
हे जगदम्बे! जो अम्बिका, जगन्मयी एवं दुर्गा-इन नामोंसे आप भवानीका स्तवन करते हैं, उनके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं॥ ३६
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