Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

कौवे एवं हंस की प्रवृति - प्रेरक कहानी (Kauve Evan Hans Ki Pravarti)


Add To Favorites Change Font Size
पुराने जमाने में एक शहर में दो ब्राह्मण पुत्र रहते थे, एक गरीब था तो दूसरा अमीर दोनों पड़ोसी थे। गरीब ब्राम्हण की क्षपत्नी, उसे प्रतिदिन ताने देती, झगड़ती।
एक दिन ग्यारस के दिन गरीब ब्राह्मण पुत्र झगड़ों से तंग आ जंगल की ओर चल पड़ता है। ये सोचकर, कि जंगल में शेर या कोई मांसाहारी जीव उसे मार कर खा जायेगा। उस जीव का पेट भर जायेगा और मरने से वो रोज की झिक-झिक से मुक्त हो जायेगा।

जंगल में जाते उसे एक गुफा नजर आती है, वो गुफा की तरफ़ जाता है। गुफा में एक शेर सोया होता है और शेर की नींद में बाधा न पड़े इसके लिये हंस का पहरा होता है।

हंस ज़ब दूर से ब्राह्मण पुत्र को आता देखता है तो चिंता में पड़ सोचता है। ये ब्राह्मण आयेगा, शेर जगेगा और इसे मार कर खा जायेगा ग्यारस के दिन मुझे पाप लगेगा, इसे बचायें कैसे?

उसे उपाय सूझता है और वो शेर के भाग्य की तारीफ़ करते कहता हैओ जंगल के राजा उठो, जागोआज आपके भाग खुले हैं, ग्यारस के दिन खुद विप्रदेव आपके घर पधारे हैं, जल्दी उठें और इन्हे दक्षिणा देकर रवाना करेंआपका मोक्ष हो जायेगा ये दिन दुबारा आपकी जिंदगी में शायद ही आये, आपको पशु योनी से छुटकारा मिल जायेगा।

शेर दहाड़ कर उठता है, हंस की बात उसे सही लगती है और पूर्व में शिकार मनुष्यों के गहने वो ब्राह्मण के पैरों में रख, शीश नवाता है, जीभ से उनके पैर चाटता है।

हंस ब्राह्मण को इशारा करता है विप्रदेव ये सब गहने उठाओ और जितना जल्द हो सके वापस अपने घर जाओ, ये सिंह है कब मन बदल जाय। ब्राह्मण बात समझता है और घर लौट जाता है। पडौसी अमीर ब्राह्मण की पत्नी को जब सब पता चलता है तो वो भी अपने पति को जबरदस्ती अगली ग्यारस को जंगल में उसी शेर की गुफा की ओर भेजती है।

अब शेर का पहरेदार बदल जाता है, नया पहरेदार होता है कौवा। जैसे कौवे की प्रवृति होती है वो सोचता है, बढिया है ब्राह्मण आया शेर को जगाऊं। शेर की नींद में बाधा पड़ेगी, गुस्साएगा, ब्राह्मण को मारेगा, तो कुछ मेरे भी हाथ लगेगा, मेरा पेट भर जायेगा।

ये सोच वो कांव-कांव-कांव चिल्लाता है, शेर गुस्सा हो जागता है, दूसरे ब्राह्मण पर उसकी नजर पड़ती है। उसे हंस की बात याद आ जाती है वो समझ जाता है, कौवा क्यूं कांव-कांव कर रहा है।

वो अपने, पूर्व में हंस के कहने पर किये गये धर्म को खत्म नहीं करना चाहता। फिर भी शेर, शेर होता है जंगल का राजा! वो दहाड़ कर ब्राह्मण को कहता है: हंस उड़ सरवर गये, और अब काग भये प्रधान, तो विप्र थांरे घरे जाओ, मैं किनाइनी जिजमान।

अर्थात हंस जो अच्छी सोच वाले अच्छी मनोवृत्ति वाले थे, उड़के सरोवर यानि तालाब को चले गये है और अब कौवा प्रधान पहरेदार है। जो मुझे तुम्हें मारने के लिये उकसा रहा है। मेरी बुध्दि घूमें उससे पहले ही, हे ब्राह्मण! यहां से चले जाओ, शेर किसी का जजमान नहीं हुआ है। वो तो हंस था जिसने मुझ शेर से भी पुण्य करवा दिया।

दूसरा ब्राह्मण सारी बात समझ जाता है, और डर के मारे तुरंत प्राण बचाकर अपने घर की ओर भाग जाता है। कहने का मतलब है, हंस और कौवा कोई और नहीं, हमारे ही चरित्र है।
कोई किसी का दु:ख देख दु:खी होता है और उसका भला सोचता है, वो हंस है।
और जो किसी को दु:खी देखना चाहता है, किसी का सुख जिसे सहन नहीं होता, वो कौवा है।

जो आपस में मिलजुल, भाईचारे से रहना चाहते हैं, वे हंस प्रवृत्ति के हैं। जो झगड़े कर एक दूजे को मारने लूटने की प्रवृत्ति रखते हैं वे कौवे की प्रवृति के है। अपने आस पास छुपे बैठे कौवौं को पहचानों, उनसे दूर रहो और जो हंस प्रवृत्ति के हैं, उनका साथ करो इसी में सब का कल्याण छुपा है।
यह भी जानें

Prerak-kahani Brahaman Prerak-kahaniKauva Prerak-kahaniHansh Prerak-kahaniGufa Prerak-kahaniLoin Prerak-kahaniSher Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे

एक बार की बात है, वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे। नारायण नारायण !! नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है। हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि! कहाँ जा रहे हो?

तुलसीदास जी द्वारा कौशल्यानंदन भगवान् स्थापित - सत्य कथा

कौशल्यानंदन भगवान् श्री राम का विग्रह स्थापित: कुछ लोग दक्षिण देश से भगवान् श्रीराम की मूर्ति लेकर स्थापना करने के लिये श्रीअवध जा रहे थे। यमुना-तट पर उन्होंने विश्राम किया।

बस! अपने मां बाप की सेवा करो - प्रेरक कहानी

एक छोटा सा बोर्ड रेहड़ी की छत से लटक रहा था, उस पर मोटे मारकर से लिखा हुआ था...
घर मे कोई नही है, मेरी बूढ़ी माँ बीमार है, मुझे थोड़ी थोड़ी देर में उन्हें खाना, दवा और टायलट कराने के लिए घर जाना पड़ता है, अगर आपको जल्दी है तो अपनी मर्ज़ी से फल तौल ले...

कहीं बारिश हो गयी तो - प्रेरक कहानी

कहीं बारिश हो गयी तो! बारिश की एक बूँद तक नहीं गिरी थी। सभी बड़े परेशान थे। हरिया भी अपने बीवी-बच्चों के साथ जैसे-तैसे समय काट रहा था। ईश्वर में विश्वास रखें

भक्ति का प्रथम मार्ग है, सरलता - प्रेरक कहानी

प्रभु बोले भक्त की इच्छा है पूरी तो करनी पड़ेगी। चलो लग जाओ काम से। लक्ष्मण जी ने लकड़ी उठाई, माता सीता आटा सानने लगीं। आज एकादशी है...

एक दिन का पुण्य ही क्यूँ? - प्रेरक कहानी

तुम्हारे बाप के नौकर बैठे हैं क्या हम यहां, पहले पैसे, अब पानी, थोड़ी देर में रोटी मांगेगा, चल भाग यहाँ से।

बुढ़िया माई को मुक्ति दी - तुलसी माता की कहानी

कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP