जय जय भोले, जय जय भोले,
मन मेरा हरदम ये बोले॥
भोले बाबा द्वार दया का,सदा ही रखे खोले ॥
वो तो हिमालय की चोटी पर अपना करे बसेरा॥
सांपों के संग रहता लेकिन समझो नहीं सपेरा॥
हाथ में डमरू,जटा में गंगा,बाघम्बर लपेटे॥
उसकी दृष्टि में सारी सृष्टि जब चाहे वो समेटे॥
त्रिनेत्र त्रिलोकी को कोई समझ न पाए॥
इसीलिए सब देवों में वो महादेव कहलाए॥
भक्तिभारत भजन
वो सुशांत, वही प्रचण्ड हैं रूप अनेक वो धारे ॥
भक्तों पर है निर्मल शीतल, दुष्टों पर अंगारे॥
देव जब आए संकट में उनके बने सहाए॥
अमृत बांटा विष पी डाला नीलकंठ कहलाए॥
नाम जपे जो श्रद्धा से तो बनते उनके काम ॥
करुणा निधान शिव शंभू को पूजो आठो याम॥
खुद रहते वीरानों में भक्तों के महल बनाते॥
तभी तो इनकी महिमा सारे देवी-देवता गाते॥
सुरों की सुरभि से शम्भु ने सारा जग महकाया॥
भस्म रमा के डमरू बजा के सबको नाच नचाया॥
वेद पुराण सभी ग्रंथों ने एक ही बात कही है ॥
बंद किस्मत के सब तालों की कुंजी एक यही है॥
जय जय भोले जय जय भोले, मन मेरा हरदम ये बोले॥