Download Bhakti Bharat APP
Hanuman Chalisa - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Hanuman Chalisa - Durga Chalisa -

अक्षय तृतीया कथा (Akshaya Tritiya Katha)


अक्षय तृतीया कथा
Add To Favorites Change Font Size
अक्षय तृतीया की एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। धर्मदास अपने परिवार के साथ एक छोटे से गाँव में रहता था। वह बहुत ही गरीब था। वह हमेशा अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए चिंतित रहता था। उसके परिवार में कई सदस्य थे। धर्मदास बहुत धार्मिक पृव्रत्ति का व्यक्ति था उसका सदाचार तथा देव एवं ब्राह्मणों के प्रति उसकी श्रद्धा अत्यधिक प्रसिद्ध थी।
अक्षय तृतीया व्रत के महात्म्य को सुनने के पश्चात उसने अक्षय तृतीया पर्व के आने पर सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करके विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की, व्रत के दिन सामर्थ्यानुसार जल से भरे घड़े, पंखे, जौ, सत्तू, चावल, नमक, गेंहू, गुड़, घी, दही, सोना तथा वस्त्र आदि वस्तुएँ भगवान के चरणों में रख कर ब्राह्मणों को अर्पित की।

यह सब दान देखकर धर्मदास के परिवार वाले तथा उसकी पत्नी ने उसे रोकने की कोशिश की। उन्होने कहा कि अगर धर्मदास इतना सब कुछ दान में दे देगा, तो उसके परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा। फिर भी धर्मदास अपने दान और पुण्य कर्म से विचलित नहीं हुआ और उसने ब्राह्मणों को कई प्रकार का दान दिया। उसके जीवन में जब भी अक्षय तृतीया का पावन पर्व आया, प्रत्येक बार धर्मदास ने विधि से इस दिन पूजा एवं दान आदि कर्म किया।

अनेक रोगों से ग्रस्त तथा वृद्ध होने के उपरांत भी उसने उपवास करके धर्म-कर्म और दान पुण्य किया। यही वैश्य दूसरे अगले जन्म में कुशावती का राजा हुए

मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान-पुण्य व पूजन के कारण वह अपने अगले जन्म में बहुत धनी एवं प्रतापी राजा बना। वह इतना धनी और प्रतापी राजा था कि त्रिदेव तक उसके दरबार में अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मण का वेष धारण करके उसके महायज्ञ में शामिल होते थे।

अपनी श्रद्धा और भक्ति का उसे कभी घमंड नहीं हुआ, वह प्रतापी राजा महान एवं वैभवशाली होने के बावजूद भी धर्म मार्ग से कभी विचलित नहीं हुआ। माना जाता है कि यही राजा आगे के जन्मों में भारत के प्रसिद्ध सम्राट चंद्रगुप्त के रूप में पैदा हुए थे।

जैसे भगवान ने धर्मदास पर अपनी कृपा की वैसे ही जो भी व्यक्ति इस अक्षय तृतीया की कथा का महत्त्व सुनता है और विधि विधान से पूजा एवं दान आदि करता है, उसे अक्षय पुण्य एवं यश की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया: श्रीकृष्ण मुंडन संस्कार कथा
यह भी जानें

Katha Akshaya Tritiya KathaAkha Teej KathaVaishakha Tritiya KathaVaishakha Shukla Tritiya KathaParshuram Jayanti Katha

अगर आपको यह कथाएँ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस कथाएँ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन

वरुथिनी एकादशी व्रत कथा

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे राजेश्वर! वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।..

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्‌मणों...

नल-दमयंती कथा

वनवास के समय धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह करने पर महर्षि बृहदश्व ने नल-दमयन्ती की कथा सुनाई।

त्रिस्पृशा एकादशी महायोग कथा

पद्म पुराण के अनुसार देवर्षि नारदजी ने भगवान शिवजी से पूछा: सर्वेश्वर! आप त्रिस्पृशा नामक व्रत का वर्णन कीजिये, जिसे सुनकर लोग कर्मबंधन से मुक्त हो जाते हैं।

मंगलवार व्रत कथा

सर्वसुख, राजसम्मान तथा पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार व्रत रखना शुभ माना जाता है। पढ़े हनुमान जी से जुड़ी मंगलवार व्रत कथा...

कथा: हनुमान गाथा

हनुमान गाथा के विस्तार पूर्वक चार चरणों मे - हनुमान जन्म, बाल हनुमान, श्री राम मिलन, लंका आगमन, सीता की खोज

Hanuman Chalisa -
Ram Bhajan -
×
Bhakti Bharat APP