Shri Hanuman Bhajan

शम्भु स्तुति - नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं (Shambhu Stuti)


शम्भु स्तुति - नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं
Add To Favorites Change Font Size
लंका प्रवेश के समय भगवान श्री राम ने रामेश्वरम में स्वयं शिवलिंग की स्थापना के साथ भगवान शिव का आह्वान किया था। शम्भु स्तुति को भगवान राम द्वारा रचित कहा जाता है, इस शम्भु स्तुति का उल्लेख ब्रह्म पुराण से लिया गया है।
नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं
नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।
नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं
नमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥१॥

नमामि देवं परमव्ययंतं
उमापतिं लोकगुरुं नमामि ।
नमामि दारिद्रविदारणं तं
नमामि रोगापहरं नमामि ॥२॥

नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं
नमामि विश्वोद्ध्वबीजरूपम् ।
नमामि विश्वस्थितिकारणं तं
नमामि संहारकरं नमामि ॥३॥

नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं
नमामि नित्यंक्षरमक्षरं तम् ।
नमामि चिद्रूपममेयभावं
त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥४॥

नमामि कारुण्यकरं भवस्या
भयंकरं वापि सदा नमामि ।
नमामि दातारमभीप्सितानां
नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥५॥

नमामि वेदत्रयलोचनं तं
नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् ।
नमामि पुण्यं सदसद्व्यातीतं
नमामि तं पापहरं नमामि ॥६॥

नमामि विश्वस्य हिते रतं तं
नमामि रूपापि बहुनि धत्ते ।
यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता
नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥७॥

यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं
तथागतिं लोकसदाशिवो यः ।
आराधितो यश्च ददाति सर्वं
नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥८॥

नमामि सोमेश्वरंस्वतन्त्रं
उमापतिं तं विजयं नमामि ।
नमामि विघ्नेश्वरनन्दिनाथं
पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥९॥

नमामि देवं भवदुःखशोक
विनाशनं चन्द्रधरं नमामि ।
नमामि गंगाधरमीशमीड्यं
उमाधवं देववरं नमामि ॥१०॥

नमाम्यजादीशपुरन्दरादि
सुरासुरैरर्चितपादपद्मम् ।
नमामि देवीमुखवादनानां
ईक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥११॥

पंचामृतैर्गन्धसुधूपदीपैः
विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः ।
अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः
सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥१२॥
॥ इति श्रीब्रह्ममहापुराणे शम्भुस्तुतिः सम्पूर्णा ॥

शिव चालीसा | लिङ्गाष्टकम् | शिव आरती | शिव भजन | शिव पंचाक्षर स्तोत्र | द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
यह भी जानें
शम्भुस्तुतिः का मूल रूप

नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।
नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं नमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥ १॥

नमामि देवं परमव्ययं तमुमापतिं लोकगुरुं नमामि ।
नमामि दारिद्र्यविदारणं तं नमामि रोगापहरं नमामि ॥ २॥

नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं नमामि विश्वोद्भवबीजरूपम् ।
नमामि विश्वस्थितिकारणं तं नमामि संहारकरं नमामि ॥ ३॥

नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं नमामि नित्यं क्षरमक्षरं तम् ।
नमामि चिद्रूपममेयभावं त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥ ४॥

नमामि कारुण्यकरं भवस्य भयंकरं वाऽपि सदा नमामि ।
नमामि दातारमभीप्सितानां नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥ ५॥

नमामि वेदत्रयलोचनं तं नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् ।
नमामि पुण्यं सदसद्व्यतीतं नमामि तं पापहरं नमामि ॥ ६॥

नमामि विश्वस्य हिते रतं तं नमामि रूपाणि बहूनि धत्ते ।
यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥ ७॥

यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं तथागतिं लोकसदाशिवो यः ।
आराधितो यश्च ददाति सर्व नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥ ८॥

नमामि सोमेशवरमस्वतन्त्रमुमापतिं तं विजयं नमामि ।
नमामि विघ्नेशवरनन्दिनाथं पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥ ९॥

नमामि देवं भवदुःखशोकविनाशनं चन्द्रधरं नमामि ।
नमामि गङ्गाधरमीशमीड्यमुमाधवं देववरं नमामि ॥ १०॥

नमाम्यजादीशपुरन्दरादिसुरासुरैरचितपादपद्मम् ।
नमामि देवीमुखवादनानामीक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥ ११॥

पञ्चामृतैर्गन्धसुधूपदीपैर्विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः ।
अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥ १२॥

॥ इति श्रीब्रह्ममहापुराणे शम्भुस्तुतिः सम्पूर्णा ॥

Mantra Nirvana MantraShiv MantraBholenath MantraMahadev MantraShivaratri MantraSavan Ke Somvar MantraMonday MantraSomwar MantraSomvati Amavasya MantraShri Ram MantraRameshwaram MantraBraham Puran Mantra

अन्य प्रसिद्ध शम्भु स्तुति - नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं वीडियो

Naisha Joshi

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

संकट मोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रवि भक्षी लियो तब।.. लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।...

श्री जगन्नाथ यात्रा के राशि मंत्र

श्री जगन्नाथ यात्रा के सामने बोलें अपना राशि मंत्र।

प्रज्ञानं ब्रह्म महावाक्य

प्रज्ञानं ब्रह्म जिसका शाब्दिक अर्थ है ज्ञान ही ब्रह्म है। यह भारत के पुरातन हिंदू शास्त्र 'ऋग्वेद' का 'महावाक्य' है...

पूर्णब्रह्म स्तोत्रम्

पूर्णचन्द्रमुखं निलेन्दु रूपम् , उद्भाषितं देवं दिव्यं स्वरूपम्, पूर्णं त्वं स्वर्णं त्वं वर्णं त्वं देवम् , पिता माता बंधु त्वमेव सर्वम्, जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्, जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ १ ॥

दशरथकृत शनि स्तोत्र

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च। नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥

श्री हनुमान स्तवन - श्रीहनुमन्नमस्कारः

प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ज्ञानघन ।.. गोष्पदी कृत वारीशं मशकी कृत राक्षसम् ।..

श्री नृसिंह मंत्र

उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् । नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP