कर्मो का उचित फल - प्रेरक कहानी
कुछ दिन पहले की बात है मैं अपने भाई के घर यानी अपने मायके गयी। वहां अपनी मम्मी और भाभी के साथ बैठ कर बातें कर रही थी।
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तुम्हारे विचार ही तुम्हारे कर्म हैं!
एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था। अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा: मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।
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बुढ़िया माई को मुक्ति दी - तुलसी माता की कहानी
कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ..
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भक्ति का प्रथम मार्ग है, सरलता - प्रेरक कहानी
प्रभु बोले भक्त की इच्छा है पूरी तो करनी पड़ेगी। चलो लग जाओ काम से। लक्ष्मण जी ने लकड़ी उठाई, माता सीता आटा सानने लगीं। आज एकादशी है...
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एक दिन का पुण्य ही क्यूँ? - प्रेरक कहानी
तुम्हारे बाप के नौकर बैठे हैं क्या हम यहां, पहले पैसे, अब पानी, थोड़ी देर में रोटी मांगेगा, चल भाग यहाँ से।
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गोस्वामी तुलसीदास द्वारा जगन्नाथ जी दर्शन - सत्य कथा
जगन्नाथ जी का दर्शन | जगन्नाथ जी ने आपके लिए प्रसाद भेजा है | मेरे मंदिर के चारों द्वारों पर हनुमान का पहरा है | वह स्थान तुलसी चौरा नाम से विख्यात हुआ..
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जगन्नाथ जी का खिचड़ी भोग - सत्य कथा
कर्मा बाई जी, जगन्नाथ पुरी में रहती थी और भगवान को बचपन से ही पुत्र रूप में भजती थीं।
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भक्ति में आडंबर नहीं चाहिए होता
न्यायाधीश ने राजा को बताया, कि एक आदमी अपराधी नहीं है,पर चुप रहकर एक तरह से अपराध की मौन स्वीकृति दे रहा है। इसे क्या दंड दिया जाना चाहिए?
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जगन्नाथ मंदिर में प्रेम के पद - सत्य कथा
जगन्नाथ जी की सत्य कथा : उड़ीसा में बैंगन बेचनेवाले की एक बालिका थी। दुनिया की दृष्टि से उसमें कोई अच्छाई नहीं थी।
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इन सब के लिए भगवान तेरा धन्यवाद
एक पक्षी था जो रेगिस्तान में रहता था, बहुत बीमार, कोई पंख नहीं, खाने-पीने के लिए कुछ नहीं, रहने के लिए कोई आश्रय नहीं था।
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अनजाने कर्म का फल - प्रेरक कहानी
एक राजा ब्राह्मणों को भोज में महल के आँगन में भोजन करा रहा था। उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी।...
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भगवन नाम का प्रताप - प्रेरक कहानी
एक व्यक्ति गाड़ी से उतरा। और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट में घुसा, जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी कार्यक्रम मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए आयोजित किया जा रहा था। वह अपनी सीट पर बैठा और हवाई जहाज उड़ गया।
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अर्जुन व कर्ण पर विचारों का सम्मोहन - प्रेरक कहानी
इसकी विपरीत कारण अर्जुन से कहीं अधिक वीर और साहसी होने पर भी दुविधा में पड़ा रहा। उसकी मान कुंती ने युद्ध से पूर्व यह वचन ले लिया की वह युद्धभूमि में अर्जुन के सिवाय और किसी भाई को नहीं मारेगा।...
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जो मुझ से प्रेम रखता है, जो सर्व-शक्तिशाली है - प्रेरक कहानी
मैंने श्राप कभी नहीं दीया, लेकिन कोई है जो मुझ से प्रेम रखता है! और वह इतना शक्तिशाली है कि दुनिया का बड़े से बड़ा राजा भी उसकी लाठी से डरता है...
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सिय राम मय सब जग जानी - प्रेरक कहानी
अरे महात्मा जी, इस रास्ते से मत जाइये आगे एक बैल गुस्से में लोगों को मारता हुआ घूम रहा है। और आपने तो लाल वस्त्र भी पहन रखे हैं...
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