Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

वृन्दावन की चीटियाँ - प्रेरक कहानी (Vrindavan Ki Cheetiyan)


Add To Favorites Change Font Size
एक सच्ची घटना सुनिए एक संत की, वे एक बार वृन्दावन गए वहाँ कुछ दिन घूमे फिरे दर्शन किए जब वापस लौटने का मन किया तो सोचा भगवान् को भोग लगा कर कुछ प्रसाद लेता चलूँ। संत ने रामदाने के कुछ लड्डू ख़रीदे मंदिर गए... प्रसाद चढ़ाया और आश्रम में आकर सो गए। सुबह ट्रेन पकड़नी थी अगले दिन ट्रेन से चले। सुबह वृन्दावन से चली ट्रेन को मुगलसराय स्टेशन तक आने में शाम हो गयी।
संत ने सोचा, अभी पटना तक जाने में तीन चार घंटे और लगेंगे, भूख लग रही है, मुगलसराय में ट्रेन आधे घंटे रूकती है। चलो हाथ पैर धोकर संध्या वंदन करके कुछ पा लिया जाय। संत ने हाथ पैर धोया और लड्डू खाने के लिए डिब्बा खोला। उन्होंने देखा लड्डू में चींटे लगे हुए थे, उन्होंने चींटों को हटाकर एक दो लड्डू खा लिए। बाकी बचे लड्डू प्रसाद बाँट दूंगा ये सोच कर छोड़ दिए।

पर कहते हैं न संत ह्रदय नवनीत समाना, बेचारे को लड्डुओं से अधिक उन चींटों की चिंता सताने लगी। सोचने लगे, ये चींटें वृन्दावन से इस मिठाई के डिब्बे में आए हैं। बेचारे इतनी दूर तक ट्रेन में मुगलसराय तक आ गए। कितने भाग्यशाली थे, इनका जन्म वृन्दावन में हुआ था। अब इतनी दूर से पता नहीं कितने दिन या कितने जन्म लग जाएँगे इनको वापस पहुंचने में! पता नहीं ब्रज की धूल इनको फिर कभी मिल भी पाएगी या नहीं!! मैंने कितना बड़ा पाप कर दिया, इनका वृन्दावन छुड़वा दिया। नहीं मुझे वापस जाना होगा।

और संत ने उन चींटों को वापस उसी मिठाई के डिब्बे में सावधानी से रखा.. और वृन्दावन की ट्रेन पकड़ ली। उसी मिठाई की दूकान के पास गए डिब्बा धरती पर रखा और हाथ जोड़ लिए। मेरे भाग्य में नहीं कि तेरे ब्रज में रह सकूँ तो मुझे कोई अधिकार भी नहीं कि जिसके भाग्य में ब्रज की धूल लिखी है उसे दूर कर सकूँ। दूकानदार ने देखा तो आया, महाराज चीटें लग गए तो कोई बात नहीं आप दूसरी मिठाई तौलवा लो। संत ने कहा: भईया मिठाई में कोई कमी नहीं थी। इन हाथों से पाप होते होते रह गया उसी का प्रायश्चित कर रहा हूँ। दुकानदार ने जब सारी बात जानी तो उस संत के पैरों के पास बैठ गया, भावुक हो गया। इधर दुकानदार रो रहा था! उधर संत की आँखें गीली हो रही थीं।

बात भाव की है, बात उस निर्मल मन की है, बात ब्रज की है, बात मेरे वृन्दावन की है। बात मेरे नटवर नागर और उनकी राधारानी की है, बात मेरे कृष्ण की राजधानी की है। बूझो तो बहुत कुछ है, नहीं तो बस पागलपन है, बस एक कहानी।

घर से जब भी बाहर जाये, तो घर में विराजमान अपने प्रभु से जरूर मिलकर जाएं
और जब लौट कर आए तो उनसे जरूर मिले क्योंकि उनको भी आपके घर लौटने का इंतजार रहता है

घर में यह नियम बनाइए की जब भी आप घर से बाहर निकले तो घर में मंदिर के पास दो घड़ी खड़े रह कर कहें
प्रभु चलिए...
आपको साथ में रहना हैं!

ऐसा बोल कर ही घर से निकले, क्यूँकिआप भले ही
लाखों की घड़ी हाथ में क्यूँ ना पहने हो
पर
समय तो प्रभु के ही हाथ में हैं न।


Read Also
» श्री कृष्ण जन्माष्टमी - Shri Krishna Janmashtami | भोग प्रसाद
» दिल्ली मे कहाँ मनाएँ श्री कृष्ण जन्माष्टमी।
» दिल्ली और आस-पास के प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर। | जानें दिल्ली मे ISKCON मंदिर कहाँ-कहाँ हैं? | दिल्ली के प्रमुख श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर।
» ब्रजभूमि के प्रसिद्ध मंदिर! | भारत के चार धाम
» आरती: श्री बाल कृष्ण जी | भोग आरती: श्रीकृष्ण जी | बधाई भजन: लल्ला की सुन के मै आयी!
यह भी जानें

Prerak-kahani Vrindavan Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

भक्ति में आडंबर नहीं चाहिए होता

न्यायाधीश ने राजा को बताया, कि एक आदमी अपराधी नहीं है,पर चुप रहकर एक तरह से अपराध की मौन स्वीकृति दे रहा है। इसे क्या दंड दिया जाना चाहिए?

जब काम न रहे तो - प्रेरक कहानी

एक आदमी ने एक भूत पकड़ लिया और उसे बेचने शहर गया, बस पाँच सौ रुपए है। मगर भूत तो भूत ही था। अपना मन ही वह भूत है..

बुजुर्गों की सोच दूर दृष्टि और अनुभव वाली होती है - प्रेरक कहानी

हंस बोला: ताऊ, तू तो एक छोटी-सी बेल को खींच कर ज्यादा ही लम्बा कर रहा है। किसी ने कहा, यह ताऊ अपनी अक्ल का रोब डालने के लिए अर्थहीन कहानी गढ़ रहा है...

जीवन की ठक-ठक चलती ही रहेगी - प्रेरक कहानी

एक आदमी घोड़े पर कहीं जा रहा था। घोड़े को जोर की प्यास लगी थी। दूर कुएं पर एक किसान बैलों से रहट चलाकर खेतों में पानी लगा रहा था।...

विश्वास के आगे पंडितजी का नमन - प्रेरक कहानी

एक सेठ बड़ा धार्मिक था संपन्न भी था। एक बार उसने अपने घर पर पूजा पाठ रखी और पूरे शहर को न्यौता दिया।...

डमरू बजा, बारिश शुरू हो गई - प्रेरक कहानी

सहज विनोद भाव में बोलीं: प्रभु,आप भी अगर बारह वर्षों के बाद डमरू बजाना भूल गये तो?..

नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे

एक बार की बात है, वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे। नारायण नारायण !! नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है। हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि! कहाँ जा रहे हो?

Durga Chalisa - Durga Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP