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तारापीठ @Tarapith City, West Bengal

चंडिका मंदिर बागेश्वर @Bageshwar, Uttarakhand
श्री दुर्गियाना मंदिर @Amritsar, Punjab
संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन
संत अनंतकृष्ण बाबा जी के पास एक लड़का सत्संग सुनने के लिए आया करता था। संत से प्रभावित होकर बालक द्वारा दीक्षा के लिए प्रार्थना करने..
भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्मणों...
शिवा दुति स्वरूपेण हत दैत्य महाबले, घोरा रुपे महा रावे भैरवी नमोस्तुते । लक्ष्मी लज्जे महा विद्ये श्रद्धे पुष्टि स्वधे ध्रुवे,
महायोगपीठे तटे भीमरथ्या, वरं पुंडरीकाय दातुं मुनींद्रैः ।
एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि । जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम...

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥

श्री रघुबीर भक्त हितकारी । सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥ निशि दिन ध्यान धरै जो कोई । ता सम भक्त और नहिं होई ॥
गया प्रसाद महाराज एक श्रद्धेय हिंदू संत हैं जो अपने गहन आध्यात्मिक ज्ञान, सादगी और ईश्वर के प्रति अटूट भक्ति के लिए जाने जाते हैं।
प्रमुख स्वामी महाराज हिंदू संप्रदाय, स्वामीनारायण संप्रदाय की एक प्रमुख शाखा, बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के गुरु और अध्यक्ष थे।
शीतलनाथ भगवान जैन धर्म में वर्तमान अवसर्पिणी के 10वें तीर्थंकर हैं। उनका नाम "शीतला" शीतलता, शांति और शांति का प्रतीक है, जो उनकी शांत आध्यात्मिक आभा को दर्शाता है।
पुष्पदंत भगवान, जिन्हें सुविधिनाथ के नाम से भी जाना जाता है, जैन परंपरा के अनुसार वर्तमान अवसर्पिणी के नौवें तीर्थंकर के रूप में पूजे जाते हैं।

नई दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम के शीर्ष मा आदि शक्ति, मां दुर्गा और मां काली मंदिरों की सूची...

नीचे दिए गये हैं, दिल्ली और आस-पास के राज्यों के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध दुर्गा पूजा पंडाल मे आपको जरूर जाना चाहिए...

भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों की श्रद्धा के साथ स्वर्ण और धन की अमूल्य भेंट भी जुड़ी होती है। कई मंदिरों में वर्षों से चढ़ावे के रूप में एकत्रित सोना, रत्न-जवाहरात और दान इन्हें देश के सबसे धनी और स्वर्ण-समृद्ध मंदिरों की श्रेणी में लाता है।
एक सांप को एक बाज़ आसमान पे ले कर उड राहा था। अचानक पंजे से सांप छूट गया और कुवें मे गिर गया बाज़ ने बहुत कोशिश की अखिर थक हार कर चला गया।
एक इल्ली और घुन था। इल्ली बोली आओ घुन कार्तिक स्नान करे, घुन बोला तू ही कार्तिक स्नान कर ले।..
एक औरत रोटी बनाते बनाते ॐ भगवते वासूदेवाय नम: का जाप कर रही थी, अलग से पूजा का समय कहाँ निकाल पाती थी बेचारी, तो बस काम करते करते ही..
हिंदू परंपरा में, देवताओं को सोने के आभूषणों से विलासिता के लिए नहीं, बल्कि गहरे प्रतीकात्मक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कारणों से सजाया जाता है।
मंडला पूजा, शास्त्रों में निर्धारित सभी तपस्या और दिनचर्या के साथ 41 दिनों की लंबी अवधि पूरे कठोर रीती रिवाज़ के साथ पालन किया जाने वाला अनुष्ठान है।
ब्रजेश्र्वर महादेव: (बरसाना)श्री राधा रानी के पिता भृषभानु जी भानोखर सरोवर मे स्नान करके नित्य ब्रजेश्वर महादेव की पूजा करते थे।
जैन धर्म में जैन ध्वज महत्वपूर्ण है और इसके अनुयायियों के लिए एकता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। विभिन्न समारोहों के दौरान जैन ध्वज मंदिर के मुख्य शिखर के ऊपर फहराया जाता है।